सांसद संजय सेठ ने बुक बैंक की तर्ज पर कंप्यूटर बैंक की आज शुरुआत की

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डॉ अजय ओझा।

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सांसद द्वारा रांची लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न विकास की योजनाओं को सदन में उठाया इसकी विस्तृत जानकारी दी गई।

17 जनवरी को रांची के सांसद संजय सेठ ने आज सांसद कार्यालय में एक प्रेस वार्ता कर बीते शीतकालीन सत्र के दौरान रांची लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न समस्याओं को लोकसभा सत्र के दौरान अपनी बातों को रखा उसकी विस्तृत जानकारी आज प्रेस के माध्यम से दी गई साथ ही बुक बैंक की तर्ज पर कंप्यूटर बैंक की भी आज शुरुआत की गई सांसद सेठ ने बताया कंप्यूटर बैंक कि आज से शुरुआत की जा रही है वैसे पुराने कंप्यूटर स्मार्टफोन लैपटॉप जो लोग इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं उसे इकट्ठा कर ग्रामीण क्षेत्र के वैसे स्कूलों में देंगे जहां ग्रामीणों के बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा ग्रहण कर सके सांसद सेठ ने रांची की जनता सहित वैसे सभी प्राइवेट एवं सरकारी दफ्तर जहां पर कंप्यूटर पडे हुए हैं वैसे लोगों से गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए देने की अपील की ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी कंप्यूटर का ज्ञान हासिल कर सके सांसद सेठ ने बताया।

लोकसभा का शीतकालीन सत्र कांग्रेस और संपूर्ण विपक्ष के द्वारा बुरी तरह बाधित किया गया। जनता से जुड़े कई मुद्दे, कई विधेयक, कई बिल पास नहीं हो पाए। कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा नहीं हो पाई। इन सब के बावजूद सरकार ने अपने स्तर से बेहतर काम किया और इन्हीं सबके बीच मैंने भी रांची और झारखंड की जनता के लिए अपने महत्वपूर्ण सवाल रखे। कई सवाल राष्ट्रीय पटल के थे। कई सवाल झारखंड स्तर के थे तो कई सवाल रांची लोकसभा क्षेत्र से जुड़े हुए थे।
इन सवालों में 14 सवाल अतारांकित प्रश्नकाल से जुड़े हुए थे। 3 विषय शुन्यकाल से थे और 2 विषय नियम 377 के तहत लगे थे। कुल 19 विषय मैंने सदन के समक्ष रखे।
अतारांकित प्रश्नों के जवाब तत्काल मिले, जो समय-समय पर मैंने आप सबको उपलब्ध भी करवाया है। जिसमें भारतीय डाक विभाग, आयुष मंत्रालय, रेल मंत्रालय, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, किसानों से जुड़े मामले, महिला एवं बाल विकास से जुड़े मामले सहित कई महत्वपूर्ण विषय है, जो समय-समय पर मैंने आपको दिया।

इसके अतिरिक्त नियम 377 के तहत मैंने केंद्र सरकार के समक्ष झारखंड से हो रही मानव तस्करी का मामला रखा। सरकार से आग्रह किया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसपर कड़ा कानून बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि झारखंड के बच्चों की तस्करी पर लगाम लग सके। इसके साथ ही जीरो एफआईआर के लिए की व्यवस्था झारखंड भवन में ही करने का आग्रह भी किया।

वहीं नियम 377 के तहत ही मैंने सरकार से यह भी मांग किया कि देश की बढ़ती आबादी और सारी व्यवस्थाओं पर बढ़ते बोझ को देखते हुए देश में कॉमन सिविल कोड लाया जाए। कॉमन सिविल कोड से एक देश एक कानून का मार्ग प्रशस्त होगा और वर्तमान समय में यह देश की जरूरत भी है।

शून्यकाल के दौरान ही मैंने सरकार से ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के चांडिल डैम में वाटर फ्लोटिंग सोलर सिस्टम से विद्युत सप्लाई और वहां वाटर स्पोर्ट्स शुरू कराने का आग्रह किया ताकि उस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से नई ऊंचाइयां प्राप्त हो सके। स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके और इस डैम का बहुआयामी उपयोग भी हो सके।
इसके अतिरिक्त शून्यकाल में ही सरकार से मैंने रांची में स्थित खेल गांव को राष्ट्रीय स्तर पर खेल विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव रखा। अपनी बातें केंद्र सरकार के समक्ष रखते हुए आग्रह किया कि यदि यहां खेल विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो झारखंड सहित देश भर की खेल प्रतिभाओं को नई ऊंचाई प्रदान होगी।

इस शीतकालीन सत्र में शून्यकाल के दौरान ही मैंने सरकार से एक राष्ट्रव्यापी मांग रखा। भारत हमारा देश है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कई बार तो इंडिया दैट इज भारत इसका इस्तेमाल किया जाता है। मैंने सरकार से आग्रह किया यदि देश एक है तो इसका नाम भी एक ही होना चाहिए। इस दृष्टि से देश का नाम भारत हो। केंद्र सरकार ने सदन के माध्यम से आग्रह किया कि भारत सिर्फ और सिर्फ भारत के नाम से जाना जाए।
इसके अतिरिक्त अन्य मुद्दों पर भी मैंने अपने विचार रखे हैं।

रांची लोकसभा क्षेत्र सहित झारखंड के विकास को लेकर कई मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की है और समय-समय पर आप सबको इस से अवगत कराया है।

अभी बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने वाला है। इस सत्र में भी मेरा प्रयास होगा कि अपने क्षेत्र और राज्य से जुड़ी समस्याओं को सदन के माध्यम से सरकार के समक्ष रख सकूं और उसका सकारात्मक परिणाम मिले। समस्याओं का समुचित समाधान हो, इस दिशा में मेरा प्रयास जारी है।


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