संपूर्ण माया एक्सक्लूसिव: चुनौती से भरी है शिवराज की चौथी पारी

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देवदत्त दुबे

भोपाल २४ मार्च इस समय जबकि पूरी दुनिया के साथ-साथ देश और प्रदेश में कई प्रकार की गंभीर चुनौतियां मौजूद है खासकर प्रदेश में राजनीतिक  और आर्थिक चुनौती भी कम नहीं है। कोरोना संक्रमण के कारण तो मानव जीवन के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। ऐसे में चौतरफा चुनौतियों के बीच चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही शिवराज सिंह चौहान सीधे मंत्रालय पहुंचे और कामकाज शुरू कर दिया।

मुख्य मंत्री पद के शपथ ग्रहण के बाद शिवराज सिंह चौहान, गोपाल भार्गव के साथ

दरअसल किसी भी क्षेत्र में अनुभव का होना महत्वपूर्ण होता है और शासन प्रशासन या की राजनीति क्षेत्र में तो विपरीत परिस्थितियों में अनुभव ही काम आता है। मध्यप्रदेश में इस समय सर्वाधिक विपरीत परिस्थितियां ही विराजमान है शिवराज सिंह चौहान जब नवंबर 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब भी चुनौती थी पर तब केवल पार्टी के अंदर से ही चुनौतियां थी। जोकि 2008 के बाद स्तिथि में सुधर हो गया। शिवराज सिंह चौहान को काम करने का मौका मिला और उनका एकछत्र राज था।

मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान पूर्व मुख्य मंत्री कमल नाथ के साथ

वे पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के टिकट तय करते थे। मंत्रिमंडल गठित करने और विस्तार करने में उनको फ्री हैंड मिला था। विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस से कोई चुनौती नहीं थी। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया अधिकांश समय दिल्ली में समय व्यतीत करते थे।वे मध्य प्रदेश आते थे, अपने-अपने क्षेत्रों और समर्थकों के बीच रह कर वापस चले जाते थे। पर विपक्ष की भूमिका सही ढंग से नहीं निभाने के आरोप उनपर लगातार लगते रहे ।

लेकिन चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के समय इस प्रकार की अनुकूलता कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है । जिस तरह से राजनैतिक उठापटक का खेल चला उसमें सिंधिया समर्थक 22 विधायक भाजपा में शामिल हुए जिनमें 6 कांग्रेस सरकार में मंत्री थे और यह माना जा रहा है कि 8 से 10 मंत्री इन बागी विधायकों में से शिवराज सिंह चौहान को बनाना पड़ेगा ।ऐसे में भाजपा में किस-किस को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा इस चुनौती को शिवराज सिंह चौहान को सामना करना ही पड़ेगा ।

मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने बाकि साथियो के साथ

प्रदेश में इस समय कांग्रेस मजबूत विपक्ष के रूप में सामने होगी जो पग-पग पर वैसी ही चुनौतियां पेश करेंगी जैसे भाजपा चुनौती देती रही है, पिछले 15 मई के कांग्रेस शासनकाल के शुरुआत से । बहरहाल जिस तरह से पूरी दुनिया और देश में कोरोना का संकट है, उससे प्रदेश को कितना बचाया जा सकता है, इस बड़ी चुनौती को ध्यान में रखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में अनुभवी नेता जो लगभग 13 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश का चौथी बार मुख्यमंत्री बना दिया गया है। और शिवराज सिंह चौहान ने भी शपथ लेते ही, कोरोना से निपटने के लिए राजभवन से सीधे मंत्रालय पहुंचे, जहां उन्होंने अधिकारियों के साथ समीक्षा शुरू की उनके साथ पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी थे। इसके पहले पार्टी मुख्यालय में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया था। पार्टी के पर्यवेक्षक विनय सहस्रबुद्धे और अरुण सिंह ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पूरी प्रक्रिया को संपन्न कराया।यह पहला मौका है जब सब कुछ बहुत शांत वातावरण में हो रहा है क्योंकि कोरोना का भय सब को सता रहा है ।

शिवराज सिंह चौहान , ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ

पार्टी नेता बार-बार कार्यकर्ताओं और आम जनता से अपील कर रहे हैं कि, वे ना तो घरों से निकले और ना ही किसी प्रकार के कार्यक्रम करें। पिछले 20 दिन में मध्य प्रदेश का राजनीतिक वातावरण उठापटक से चर्चाओं में था। कमलनाथ सरकार की विदाई के साथ ही भाजपा में मुख्यमंत्री पद की रेस तेज हो गई थी। भोपाल से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग की जा रही थी। सोमवार की सुबह तक पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम दिया जा रहा था, इसके अलावा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का भी नाम तेजी से ऊपर आया था, क्योंकि कहीं ना कहीं से वे या इनके समर्थक लॉबिंग कर रहे थे।जबकि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ऐसे किसी भी प्रयासों से दूर रहे।भार्गव जहां गढ़ाकोटा में थे, बीडी शर्मा भोपाल में ही रहकर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्णय का इंतजार कर रहे थे। मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया में होते विलंब से प्रदेश में अजीबोगरीब स्थिति बन गई थी। किसके निर्देश पर कौन काम करें यह समझ से परे था। वह भी ऐसी परिस्थितियों में जब कोरोना का भयावह संकट धीरे धीरे प्रदेश में पांव पसार रहा था। इन परिस्थितियों ने ही पार्टी नेतृत्व को बेचैन कर दिया और उन्होंने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुभवी शिवराज सिंह चौहान का नाम तय कर दिया।साथ ही शाम को विधायक दल की बैठक और कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ का कार्यक्रम संपन्न हुआ और तुरंत ही चुनौतियों के मोर्चे पर चौहान मंत्रालय में डट गए। जहां देर रात तक वे प्रदेश के हालात पर फीडबैक लेकर जरूरी एक्शन लेने की निर्देश देते रहे ।

मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान वलभ भवन पहुंच कर कार्य भर संभालते हुए

मंत्रालय में चौहान के साथ गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, सीताशरण शर्मा, विश्वास सारंग भी विशेष रूप से मौजूद रहे। कुल मिलाकर बेहद गंभीर चुनौतियों के बीच चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान के लिए यह समय अग्नि परीक्षा का है। जब उन्हें एक तरफ जहां राजनीतिक आर्थिक मोर्चे पर संतुलन बनाना है, वही कोरोना के भयावह संकट से प्रदेश को बचाना भी है।


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