माकपा का खेवनहार बनी सायरा, दोबारा वामपंथ के उद्भव के आसार

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गंगा ‘अनु’

कोलकाता, 16 अप्रैल। राज्य के आसनसोल लोकसभा और बालीगंज विधानसभा उपचुनाव परिणाम के अनुसार दोनों ही सीटों पर तृणमूल कांग्रेस जीत गई है लेकिन माकपा बाजी हार कर भी चर्चा के केंद्र में है। इसकी वजह है राजनीतिक तौर पर अस्तित्व के संकट से जूझ रहे वाम मोर्चा को सायरा शाह हलीम के तौर पर ऑक्सीजन मिली है। बॉलीवुड के अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की भतीजी सायरा ने बालीगंज में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

शनिवार को जब चुनाव परिणाम स्पष्ट हुए तो पता चला कि बाबुल सुप्रियो तो 20 हजार वोट के अंतर से जीत गए हैं लेकिन सायरा ने तीसरे नंबर पर रही अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार केया घोष को 17 हजार 851 वोटों से हराया है। यानी भाजपा के मुकाबले माकपा उम्मीदवार को यहां करीब 18 हजार अधिक वोट मिले, जो महत्वपूर्ण हैं। 2006 के बाद यह पहली बार है जब माकपा के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हलीम न केवल बंगाल बल्कि देश के लिए भी चर्चित चेहरा थीं, क्योंकि नागरिकता अधिनियम के खिलाफ आंदोलन का वह मुख्य सूत्रधार रही थीं। दिवंगत दिग्गज माकपा नेता तथा विधानसभा के अध्यक्ष रहे हसन अब्दुल हलीम की पुत्रवधू सायरा के सामने दो चुनौतियां थीं। पहली 2021 के विधानसभा चुनाव के समय बालीगंज से माकपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुके पति फुआद हलीम द्वारा हासिल किए गए वोट से अधिक वोट हासिल करना और दूसरी इस विधानसभा इलाके में पिछले साल नगर निगम चुनाव के समय माकपा को मिले मत से अधिक मत हासिल करना।

विधानसभा चुनाव के बाद संपन्न हुए नगर निगम चुनाव में बालीगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवारों को एक 11 हजार 242 वोट मिले थे। हालांकि यह वोट भी भाजपा से अधिक था, इसीलिए वाममोर्चा को भरोसा था कि इस विधानसभा क्षेत्र में अगर जनप्रिय चेहरे को उतारा जाए तो तृणमूल कांग्रेस को अच्छी टक्कर दी जा सकती है और सायरा हलीम के रूप में जिस विकल्प पर पार्टी ने दांव खेला वह पूरी तरह से सफल दिख रहा है। ऐसा तब हुआ है जब कांग्रेस और माकपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा है। इस जीत के साथ ही 33 सालों तक पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज रहने वाली वामपंथी पार्टियों को हाल के चुनावों में मिली बढ़त से निश्चित तौर पर राज्य में राजनीतिक वर्चस्व एक बार फिर हासिल होने की उम्मीद बढ़ चली है।


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