मानवता की रक्षा के लिए भगवान लेते हैं जन्म-पं.सच्चिदानन्द महाराज

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मानवता की रक्षा के लिए भगवान मानव के रूप में इस पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। समाज में जब जब अधर्म, पाप एवं अनैतिकता का बोलबाला होता है तब तब सर्वसमर्थ ईश्वर मानव एवं मानवता की रक्षा के लिए स्वयं मनुष्य के रूप में इस जगत में जन्म लेते हैं।
उक्त विचार कथा मर्मज्ञ पंडित सच्चिदानंद महाराज के हैं जो वे नगवां स्थित बड़ा हनुमान मंदिर के सानिध्य में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के श्री कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर कथा प्रसंग में व्यक्त किया व्यास जी ने कहा कि गौ, गंगा, गायत्री भारतीय संस्कृति की पहचान है जैसे गंगा मानव को शुद्ध कर उसे भव पार कराती है। वैसे ही भगवान केशव एवं सियाराम की कथा अमृत रूपी गंगा श्रवण से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने समाज की विसंगतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि आज समाज में बच्चों को भेदभाव तरीके से दोहरी शिक्षा दी जा रही है। संपन्नवर्ग के बच्चों को कान्वेंट में जबकि गरीबों के बच्चे सामान्य पाठशाला में पढ़ रहे हैं। इससे समाज का भला नहीं हो सकता है वहीं भारतीय सनातन संस्कृति में कृष्ण एवं रामायण के युग में समान शिक्षा पद्धति के अंतर्गत राजाओं एवं आमजन के बच्चों को एक साथ शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने धर्म के मार्ग पर चल कर ही हम शाश्वत एवं सत्य विकास कर सकते हैं को अपनाने पर जोर दिया प्रारंभ में व्यासपीठ के आचार्य एवं सहयोगी देवता तिवारी, पूजन एवं आरती विद्वान पंडित रामायण त्रिपाठी सपरिवार किया कथा में धर्मार्थ एवं पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी, धर्मसंघ शिक्षा मंडल के सचिव जगजीतन पाण्डेय एवं जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर के सहयोग से श्रीमद्भागवत कथा चल रही है। सभी भक्तों का स्वागत पत्रकार सुबोध त्रिपाठी ने किया इस अवसर पर भाजपा के वयोवृद्ध वरिष्ठ नेता सुमित्र शास्त्री, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नरेन्द्र प्रताप सिन्हा, समाजसेवी अर्जुन पाण्डेय,निगम जी, विनोद पांडेय सहित समस्त नगवां क्षेत्र की महिला व बच्चें कथा में उपस्थित हो रहें हैं ।


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