झारखंड के 496 स्कूलों में लागू है आरटीई अधिनियम

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डॉ अजय ओझा।

रांची के 97 स्कूलों ने आरटीई के तहत इस वर्ष लिए 437 नामांकन।

लातेहार व साहिबगंज जिले में इस श्रेणी का एक भी विद्यालय नहीं।

सांसद संजय सेठ के सवाल पर केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री का जवाब।

रांची, 27 जुलाई । झारखंड में बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 496 निजी और गैर सहायता प्राप्त विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।
इसमें राजधानी रांची में सबसे अधिक 97 विद्यालयों में यह अधिनियम लागू किया गया है। जबकि चतरा और लोहरदगा जिले में सिर्फ 3 विद्यालयों में अधिनियम लागू है। वही लातेहार और साहिबगंज जिले में इस श्रेणी के कोई विद्यालय नहीं है।

उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में दी। लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान रांची के सांसद श्री संजय सेठ ने यह सवाल किया था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों की बेहतर शिक्षा हो सके, इसके लिए सरकार क्या कदम उठाती है। और कितने विद्यालयों में इसका अनुपालन किया जा रहा है।
इसी के जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बच्चे को नजदीकी विद्यालय में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। विद्यालयों में कक्षा एक में उस कक्षा की संख्या के कम से कम 25% बच्चों का नि:शुल्क प्रवेश की व्यवस्था है। शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में अधिकांश स्कूल संबंधित राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में है, जो अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए अधिकृत हैं। ऐसे विद्यालय जो इनका अनुपालन नहीं करें, उन पर कार्यवाही करने या इस व्यवस्था को लागू करवाने का कार्य राज्य सरकारों के जिम्मे है। निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों का जमीनी मूल्यांकन करने का अनुरोध भी किया गया है ताकि इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि रांची जिला में वर्ष 2020-21 में 345 और 2021-22 में 437 आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों का नामांकन विद्यालयों में कराया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि आरटीआई अधिनियम का कार्यान्वयन बेहतर तरीके से हो, इसके लिए केंद्र सरकार समय-समय पर उनका मार्गदर्शन करती रही है।


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