कोटवा में 116 वर्ष से हो रही है रामलीला

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अजय विश्वकर्मा।

भगवान शिव का धनुष टूटते ही लगे गगनभेदी जयकारे। माता सीता ने भगवान श्रीराम के गले में डाल दी वरमाला।

प्रयागराज। राजा राज शाह जू दल रामलीला कमेटी कोटवा प्रयागराज की ओर से ऐतिहासिक रामलीला 116 साल से निरंतर हो रही है। मंचन प्रतिदिन रात सात बजे से शुरु होकर 12 बजे तक चलता है।

उच्च शिक्षा प्राप्त रामलीला के पात्रों के द्वारा भव्य भगवान की लीलाओं का मंचन किया जा रहा है जिसे देखने के लिए दूर – दूर से लोग आते है। मंचन में आज जब देश और विदेश के राजा- युवराज राजा जनक के चल रहे स्वयंवर में धनुष तोड नही पाये तो निराश हो गये। इस पर राजा जनक ने निराश होकर महर्षि से कहा कि हे गुरुवर क्या यह भगवान शिव का धनुष नही टूटेगा और मेरी पुत्री का विवाह नही होगा। इस पर रिषीवर ने कहा कि परेशान न हो राजन सब कुछ संभव है।

रिषीवर की आज्ञा पाकर भगवान श्रीराम ने भगवान शिव के धनुष की प्रत्यांचा चढकर तोड दिया। इस पर राजा जनक के दरबार में जयकारे लगने लगे। देवी – देवता, यक्ष – गंधर्व सहित सभी भगवान श्रीराम पर पुष्प वर्ष करने लगे। गुरु, माता – पिता की आज्ञा पाकर माता जानकी ने भगवान श्रीराम के गले में जयमाला डाल दिया। इस पर सभी लोग खुशी से झूम उठे। रामलीला के पात्रों के द्वारा नाना प्रकार के लीलाओं का मंचन किया जा रहा है । आयोजन संपन्न कराने में वरिष्ठ समाजसेवी मनु प्रताप सिंह,आयुष प्रताप सिंह विमल सिंह, त्रिभुवन उपाध्याय, सुरेंद्र नाथ पांडे, त्रिभुवन पांडे, भूपेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, महेंद्र नाथ पांडे और सुजीत मालवीय के नेतृत्व में मंचन हो रहा है । ओम नमः शिवाय के पूज्य गुरुदेव प्रभु जी का कहना है कि इस आयोजन को 116 वर्ष हो गये है। बहुत उतार – चढाव देखा है लेकिन इसको रुकने और बंद नही होने दिया गया है। उन्होंने बताया कि आयोजन को और बेहतर बनाते हुए लोगों को जोडा जा रहा है। पूज्य गुरुदेव ने बताया कि आयोजन को प्रतिवर्ष और बेहतर बनाया जा रहा है। यह आयोजन प्रतिवर्ष नवरात्र के पहले दिन से शुरू होकर दशहरा के दूसरे दिन श्रीराम और भरत मिलाप के साथ संपन्न होता है।


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