कोरोना काल का असर : राजनीतिज्ञ करने लगे धर्म अधर्म और पाप पुण्य पर तंज
भोपाल। वैसे तो कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते रामायण, महाभारत, विष्णु पुराण, श्री कृष्णा, जैसे सीरियल लोगों ने ध्यान से देखें और इस बात का रिनुअल अधिकांश लोगों के मन में हुआ की जीत अंततः धर्म न्याय और सत्य की होती है। अधर्म हमेशा हारा है। शायद इसका असर राजनीतिक लोगों पर भी हुआ है और अब एक दूसरे पर तंज धर्म अधर्म और पाप पुण्य को लेकर किए जाने लगे हैं वास्तव में यदि यह बहस राजनीतिक लोगों के बिछड़ जाए तो शायद कुछ तो ऐसा अमृत निकलेगा जो राजनीति की गिरती हुई साख को वापस ला सके।
दरअसल सांवेर मैं भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने के संबंध में जो बातें कहीं उसको लेकर अब प्रदेश में बहस छिड़ गई है। कांग्रेस जहां लगातार भाजपा को सरकार गिराने के मुद्दे पर घेर रही है उस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ट्वीट की “पापियों का विनाश तो उनका काम है हमारा धर्म तो यही कहता है क्यों बोलो सियापति रामचंद्र की जय ने आग में घी डालने का काम किया है।” अमूमन बड़ी-बड़ी बातों में विश्वास ना रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तंज कसते हुए ट्वीट किया की कुछ लोग खुद को बड़ा धर्म प्रेमी बताते खूब ढोंग करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि यही लोग सबसे बड़े अधर्मी और पापी है। “जनता के धर्म यानी जनादेश को नहीं मानते हुए उसका अपमान करने वाले धर्म प्रेमी कैसे? धोखा फरेब साजिश खरीद-फरोख्त षड्यंत्र प्रलोभन यह आचरण तो धर्म कभी नहीं सिखाता एक समय जिन्हें पापी बताते थे आज वही संगीसाथी है कोई नियत नीति नहीं नैतिकता नहीं कोई सिद्धांत नहीं यह धर्म की राह कैसे यही नहीं कमलनाथ ने एक दूसरा ट्वीट करके डेढ़ साल में किए गए कामों का उल्लेख करते हुए पूछा है कि यह सब करना क्या पाप है। “
बहरहाल विभिन्न धर्म ग्रंथों और धर्म गुरुओं द्वारा पाप पुण्य धर्म के बारे में स्पष्ट व्याख्या की गई है। अब राजनीतिज्ञ कौन से धर्म अधर्म या पाप पुण्य की बातें कर रहे हैं इसको लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है और प्रदेश की जनता चाहती है यह बहस लंबी करें और कम से कम राजनीतिक लोग इसके बारे में सोचने लगे क्योंकि बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने एक समय कहा था कि मैंने पुण्य किया था जो मैं भारत में जन्म लिया लेकिन मैंने पाप किए थे जो मैं राजनीति में आया जबकि आज यदि कोई पत्थर तबीयत से उछाला जाए तो वह जब गिरेगा तो किसी राजनीतिक व्यक्ति पर ही गिरेगा। राजनीति में सराबोर हो गया है समाज ऐसे में राजनीतिज्ञ लोगों का धर्म पुराण होना पुण्यवान होना बहुत जरूरी है। राजनीतिक लोग प्राया अपने आप को जनसेवक कहते हैं, लेकिन सेवा में कितने नेताओं का भरोसा है यह सब भली भांति जानते हैं। यदि वास्तव में सेवा भाव इनके मन में आ जाए तो फिर यह तनाव रहित भी रहेंगे और व्यक्ति समाज और देश का भला भी कर पाएंगे क्योंकि कहा जाता है सेवा से पुण्य मिलता है। पुण्य से ध्यान आता है ध्यान से मन प्रसन्न होता है और मन प्रसन्न है तो फिर सेवा होती है। और सेवा से फिर दूसरों के गुण और अपने अवगुण देखने की शक्ति प्राप्त होती है।
कुल मिलाकर मध्य प्रदेश की राजनीति में ऐसे मुद्दे सामने आए हैं जिन पर यदि लंबी बहस शुरू कर निष्कर्ष निकलेगा तो वह ना केवल राजनीति का शुद्धिकरण करेगा वरन जीत के लिए राजनीतिक लोग छल कपट पाखंड धनबल बाहुबल की जगह न्याय धर्म सत्य और सेवा के मार्ग पर चलकर अभूतपूर्व नेतृत्व की उपमा पाएंगे जबकि मौजूदा दौर में नेता वही है जो पद पर है या फिर वह भूतपूर्व कहलाता है क्योंकि पद से उतरने के बाद पानी से मछली निकलने जैसी होती है। जाहिर है ट्विटर पर छाया हुआ यह सियासी युद्ध मैदान में आना चाहिए जैसे कि आम जनता भी धर्मी और अधर्मी नेतृत्व को पहचान सके।
देवदत्त दुबे (मध्य प्रदेश ब्यूरो)