100 गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन का आदेश

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प्रयागराज। कोरोना के मद्देनजर विश्वविद्यालय परिसर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालय के तमाम काम ऑनलाइन मोड पर मीटिंग के द्वारा चलते रहे हैं । इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण निर्णय में गैर शिक्षक कर्मचारियों के लंबित पड़े प्रमोशन के आदेश निर्गत कर किये गए हैं। जब कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने पिछले नवंबर में अपना कार्यभार ग्रहण किया था तो उनके एजेंडे में सबसे ऊपर जो बातें थी उसमें गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन और नियुक्तियों का मुद्दा एक प्रमुख बिंदु था। इस मुद्दे को पिछले 23 वर्षों से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था । इस वजह से गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों का पिछले दो दशक से ज्यादा समय से कोई भी प्रमोशन नहीं हुआ था। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव के निर्देशन में इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ जब उन्होंने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जिसमें कई सीनियर टीचर एवं अधिकारी शामिल थे । कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर 23 वर्षों में पहली बार तकरीबन 100 गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन का आदेश कर दिया गया है। इसमें 47 जूनियर औफिस अस्सिस्टेंट/ आफिस अस्सिस्टेंट को प्रोमोट कर आफिस अस्सिस्टेंट बनाया गया है। 49 जूनियर आफिस अस्सिस्टेंट को आफिस अस्सिस्टेंट बनाया गया है।जिन कर्मचारियों के प्रमोशन हुए हैं उनमें ज्यादातर वे कर्मचारी हैं जिनकी नियुक्ति 1998 में हुई थी और उनको अब पहली बार कोई प्रमोशन मिला है। इन सभी नोशनल प्रमोशन के उपरांत एक वरिष्ठता सूची निकाली जाएगी इसके आधार पर सेक्शन ऑफिसर के पद के लिए प्रमोशन किए जाएंगे। समिति ने इस दौरान विश्वविद्यालय के बंद होने के बावजूद निरंतर कार्य किया है जबकि उस समिति के कई सदस्यों को इस बीच कॅरोना से भी जूझना पड़ा । समिति की मीटिंग ऑफलाइन से ऑनलाइन मोड पर कर दी गई । अपने इसी अथक प्रयास के कारण समिति अपनी रिपोर्ट समय से दे पाई और अब समिति की सिफारिशों के आधार पर कर्मचारियों को आदेश निर्गत किए जा चुके हैं।
प्रोमोट किए गए कर्मचारियों ने एक पत्र लिखकर माननीय कुलपति महोदया एवं समस्त विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी खुशी और धन्यवाद ज्ञापित की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वर्तमान महामारी की परिस्थितियों में को देखते हुए इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि विश्वविद्यालय ने बंद होने के बावजूद अपने कर्मचारियों के हित के लिए इतना महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने इस बात की भी आशा जताई कि जल्द ही बचे हुए मामलों पर भी निर्णय ले लिया जाएगा। इस पूरी कार्यवाही के बाद अब गैर शिक्षक वर्ग में नई नियुक्तियों के लिए भी रास्ता साफ हो जाएगा।


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