मंगलवार को लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के साथ ही दिशा-निर्देश जारी करेंगे पीएम
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी के मद्देजनर देश में जारी पूर्णबंदी (लॉकडाउन) को बढ़ाने के सिलसिले में मंगलवार 14 अप्रैल को पूर्वाह्न 10 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। वह लॉकडाउन को लचीला बनाने के संबंध में भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्रियों के साथ विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुए संवाद के तीन दिन बाद प्रधानमंत्री लॉकडाउन बढ़ाने और कुछ क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों की अनुमति के बारे में ऐलान कर सकते हैं। पिछली बैठक में मोदी ने ‘जान भी, जहान भी’ का सूत्र दिया था, जिससे ये संकेत मिला था कि सरकार आवश्यक एहतियात के साथ कुछ क्षेत्रों में लॉकडाउन को लचीला बना सकती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने तो बैठक के बाद ही एक ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने का ऐलान कर दिया था। हालांकि, इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कोई बयान नहीं आया।
मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया था कि लॉकडाउन दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया जाए। पंजाब, ओडिशा, तमिलनाडू, महाराष्ट्र आदि राज्यों ने अपने स्तर पर लॉकडाउन की अवधि 30 अप्रैल तक बढ़ा दी है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में सोमवार को कहा गया कि देश के 15 राज्यों में पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। संभावना है कि इन राज्यों में लॉकडाउन को कुछ नरम बना दिया जाए।
नरेन्द्र मोदी सहित दुनिया के विभिन्न देशों के नेताओं के सामने यह धर्मसंकट है कि वे अपने यहां लॉकडाउन को कब समाप्त करें अथवा आंशिक छूट की रूपरेखा तय करें। चिकित्सा विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री भी लॉकडाउन के बारे में अलग-अलग राय रखते हैं।
अमेरिका के चिकित्सा विशेषज्ञों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आगाह किया है कि वे देश में जारी लॉकडाउन को एक मई को न हटाएं। विशेषज्ञों के अनुसार, जल्दबाजी में लॉकडाउन हटाने का फैसला सही नहीं होगा। संक्रमण का प्रसार और इसका असर नए सिरे से संक्रमण फैल सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य सलाहकार एंटोनी पाउची के अनुसार, सामान्य जनजीवन की बहाली इस समय हम तय नहीं कर सकते, यह कोरोना वायरस ही तय करेगा।
भारत सहित दुनिया के चिकित्सा विशेषज्ञों का एक अन्य वर्ग लॉकडाउन को लंबे समय तक जारी रखने के पक्ष में नहीं है। उनकी राय है कि सरकारों को लॉकडाउन की बजाय लोगों की टेस्टिंग (जांच) पर जोर देना चाहिए। जो लोग संक्रमित हों उन्हें आइसोलेशन (चिकित्सा एकांत) में रखकर संक्रमण मुक्त लोगों को सामान्य कामकाज की अनुमति दे दी जानी चाहिए। इन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बड़े पैमाने पर टेस्टिंग का काम नहीं हुआ तो बार-बार लॉकडाउन का सहारा लेना पड़ेगा, जो आर्थिक दृष्टि से घातक होगा।
भारत के अर्थशास्त्री भी लंबे समय तक आर्थिक गतिविधियों को बंद रखने के पक्ष में नहीं हैं। उनके अनुसार, लंबे समय तक लॉकडाउन गरीबी और बेरोजगारी का कारण बनेगा।
इस बीच, भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य विशेषज्ञ विश्वास व्यक्त कर रहे हैं कि इस महामारी पर काबू पाने के उपाय सफल होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल से जब यह पूछा गया कि महामारी का उच्चतम स्तर कब आएगा तो उन्होंने कहा कि हमारे सारे प्रयास इस बात पर केंद्रित हैं कि उच्चतम स्तर पर जाने की नौबत ही न आए।
गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन को लचीला बनाने के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए। जिसके तहत आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए ट्रकों एवं मालवाहक वाहनों के आवागमन की छूट दी गई है।माल की प्रकृति चाहे वह जरूरी है अथवा नहीं के बावजूद होगा। इसके अलावा किसी और परमिट या अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। स्थानीय अधिकारियों को सभी अनुमत औद्योगिक/वाणिज्यिक गतिविधियों से जुड़े श्रमिकों को कार्यस्थल पर आनेजाने के लिए आसान एवं त्वरित आवाजाही की सुविधा प्रदान की गई है। रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और सीमा शुल्क अधिकारियों को अपने कर्मचारियों और संविदा श्रमिकों को पास जारी करने के लिए पहले से ही अधिकृत किया गया है।
केंद्र ने राज्यों को कहा है कि वह गेहूं आटा, दालों और खाद्य तेलों जैसी आवश्यक वस्तुओं के निर्माण में लगी एमएसएमई को बिना किसी बाधा के स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति दें। इसके साथ ही गोदामों, कोल्ड स्टोरेज को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजीत/सुफल/बच्चन