थानाधिकारी थाने के कैमरे के सुरक्षित रिकॉर्ड 28 जून को पेश करें: हाई कोर्ट

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दिनेश शर्मा “अधिकारी” ।

जयपुर राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ के न्यायाधीश बीरेंद्र कुमार ने “ बजाज नगर थाना प्रभारी द्वारा  एक नौकरी पेशा 28 वर्षीय महिला परिवादी को ही झूठे सबूत और फर्जी गवाहों को तैयार कर आरोपी बनाने के एक मामले में “ राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से  महिला परिवादी को मिली नि:शुल्क विधिक सहायता से हाई कोर्ट में दर्ज एक अपराधिक याचिका की सुनवाई करते हुए थाने के 13 अप्रैल से 17 अप्रैल 22 तक के सीसीटीवी कैमरा रिकॉर्डस को सुरक्षित रखने और 28 जून को न्यायालय में पेश करने के आदेश जारी किए हैं। उल्लेखनीय है कि पीड़िता महिला परिवादी बजाज नगर थाने में अवैध चौथ वसूली, बेवजह डराने, धमकाने से परेशान होकर थाने में प्रार्थना पत्र पेश करने गई थी। थाने के समस्त स्टाफ की मौजूदगी में स्वागत कक्ष में पहले से ही मौजूद दूसरे पक्षकारों के बाहुबल और धनबल के आगे नतमस्तक होते हुए लोक सेवक की परिधि से बाहर और पुलिस की वर्दी और पुलिस मुख्यालय द्वारा  जारी स्लोगन की मर्यादा को ताक पर रखते  हुए महिला आयोग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए पीड़िता को ही थाने के कागजों में आरोपी बनाते हुए और वहां  स्वागत कक्ष में मौजूद विरोधी पक्ष के लोगों को ही गवाह बनाकर महिला परिवादी को ही राज्य कार्य में बाधा शांति भंग जैसे मुकदमों में आरोपी बना कर सीधे 5 दिन के लिए जेल भेज दिया गया। पीड़िता से जमानत के लिए भी ऐसे दस्तावेज मांगे गए, जो एक आम आदमी के पास हर वक्त मौजूद होना संभव नहीं है। जबकि महिला तो केवल शिकायत का प्रार्थना पत्र ही पेश करने गई थी। जैसे तैसे महिला परिवादी ने अपनी जमानत करा कर सीधे राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर कार्यालय में बजाज नगर थाना पुलिस द्वारा खुले आम पुरुष पुलिसकर्मी द्वारा स्वागत कक्ष में उपस्थित अनेक लोगों की उपस्थिति में महिला परिवादी के साथ किए गए सामाजिक मानसिक आर्थिक प्रताड़ना के सबूत पेश किए । रालसा पदाधिकारियों के माध्यम से निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर हाईकोर्ट में तत्काल एक अपराधिक याचिका पेश की गई। प्रार्थीया की ओर से रालसा अधिकारियों ने मेडिकल रिपोर्ट और महिला के कथन की पुष्टि होने के बाद राज्य सेवक की गरिमा के बाहर जाकर थाना अधिकारी द्वारा महिला अधिकारों की सुरक्षा करने के बजाए झूठे केस में फंसा कर आरोपी बना कर थाने में खुलेआम पुरुष पुलिसकर्मी द्वारा एक महिला परिवादी को खुलेआम प्रताड़ित किया गया। जिसमें थाने में मौजूद विपक्षी गण और उनके सहयोगियों मौजूदगी में उनको ही गवाह बतौर रिपोर्ट में पेश कर दिया। पीड़ित महिला को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक प्रताड़ना की मेडिकल रिपोर्ट से प्रमाणित पाए जाने पर रालसा के अधिकारियों ने बजाज नगर थाने से घटनाक्रम के सीसीटीवी कैमरे रिकॉर्ड्स सुरक्षित उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराए गए, साथ ही साथ ही महिला अधिकारों की रक्षा करते हुए रालसा के अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देश की भी खुलेआम अवहेलना की गई। इस पर माननीय न्यायालय ने राज्य सेवक के इन सभी सुनियोजित कृत्यो और रालसा के निर्देशों की अनदेखी को गंभीरता से लेते हुए उक्त आदेश जारी किए हैं।


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