कोरोना महामारी को खुलेआम निमंत्रण दे रहे है प्रयागराज के लोग सोशल डिस्टन्सिंग का पालन ना करके

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अरविंद कुमार

10 अप्रैल, प्रयागराज: एक बार फिर बैंकों के बाहर ठीक उसी तरह लाइन लगनी है शुरू हो गई है जैसा कि नोटबंदी(demonetization) के दौरान देखने को मिली थी। नोट बंदी के वक्त लोग इसलिए बैंकों के बाहर लाइन में खड़े थे कि वह अपनी मेहनत की कमाई को नये नोटों मे बदल कर अपना पैसा सुरक्षित कर सकें, लेकिन अब स्थिति एक दम विपरीत है। कोरोना महामारी के चलते देश मे चल रहें 21दिन के लाॅकडाउन के दौरान जब लोगों के पास रोजगार नहीं है , ऐसे समय में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें गरीब मजदूरो आदि की सहायता हेतू बहुत सही योजनाए चला रहीं हैं उनमें से ही एक योजना के अंतर्गत जनधन बैंक खातो में सरकार की ओर से 500 सौ रूपये भेजे गए। खातों में जो पैसे भेजे गए उस पैसे को निकालने के लिए अचानक से बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें दिखाई देने लगी है। ऐसा नहीं है कि उन लोगों के खाते में पहले से पैसा नहीं था। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके खातों में पहले से 5000 हजार से एक लाख तक की रकम जमा है लेकिन जैसे ही सरकार की तरफ से भेजे गए पैसों का मैसेज इन खाताधारकों को मिला इनमें से अधिकांश खाताधारकों ने मात्र उसी पैसे को निकालने के लिए बैंकों के बाहर लाइनें लगा ली है, जो भीड़ बैंको के बाहर खड़ी हैं उसमें 90 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियाँ है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि लोगों को इस पैसे की जरूरत नहीं है, लेकिन इनमें अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनके मन में यह गलतफहमी हैं कि अगर हमने यह पैसा नहीं निकाला तो कहीं सरकार इस पैसे को वापस ना ले ले ,ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे हैं, इस संबंध में हमने बैंक ऑफ इंडिया सुलेम सराय ,प्रयागराज के शाखा प्रबंध  से बात की तो उन्होंने बताया कि लोग सिर्फ 1000 और ₹500 रूपये  निकालने के लिए आ रहे हैं और यह भीड़ तब बढ़ी है जब लोगों के पास मैसेज पहुंचा कि सरकार ने उनके खाते में 500 रूपये भेजे हैं, अब लोग इसी पैसे को निकालने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन नहीं कर रहे हैं बैंक कर्मचारी इन लोगों को समझाने का अथक प्रयास कर रहे है कि सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए,मगर यह लोग पैसा निकालने के चक्कर में नहीं समझ रहे है कि सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का क्या फायदा है ? अगर सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) नहीं अपनाया जाता है तो क्या नुकसान हो सकता है ? बस उनको दिखाई दे रहा है उनके खाते में आया पैसा  बैंक कर्मचारी इन लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) पालन करवाने में लगे या इन लोगों को बैंकिंग (banking)सेवाएं देने में यह बड़ा सवाल है और समस्या भी । बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक का  कहना कि हम लोग अपना प्रयास कर रहे हैं कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का ध्यान रखें मगर हम अपने प्रयासों के बावजूद भी इसका पालन कराने में सफल नहीं हो पा रहे  सिर्फ इसलिए कि आम जनता जो हमारे ग्राहक हैं वह इसमें हमारा सहयोग नहीं कर रहे हैं ।इसलिए मेरा मीडिया और सरकार से अनुरोध है कि सिर्फ बैंकों को ही सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन न करवा पाने का अपराधी ना माना जाए जनता को भी सहयोग करने की अपील शासन प्रशासन और मीडिया के द्वारा की जानी चाहिए।

ऊपर दिए गया चित्र यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, शाखा प्रीतम नगर, प्रयागराज का है।


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