प्रयागराज में महिला कानूनों के दुरुपयोग और ब्लैकमेलिंग का धंधा
प्रयागराज
दहेज,यौन शोषण, छेड़छाड़, जबरन शारीरिक संबंध बनाना यानी बलात्कार और ऐसे ही अन्य घिनौने अपराध के आरोप अक्सर महिलाओं के द्वारा लगाए जाते रहते हैं,लेकिन क्या पुरुष भी ऐसे अपराधों से पीड़ित हैं? या फिर क्या महिलाओं द्वारा लगाए गए ऐसे आरोप हमेशा सही होते हैं? क्या इनका गलत उपयोग भी होता है? आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि जहां यह मामले वास्तव में पीड़ित के होते हैं वहीं पर इस तरह के तमाम मामले ब्लैकमेलिंग और महिला कानूनों के दुरुपयोग से भी जुड़े हुए होते हैं मामला प्रयागराज का है जहां पर कुछ लोगों का एक गिरोह तमाम बड़े और प्रभावशाली लोगों के ऊपर आरोप लगाकर व ब्लैकमेल कर उनसे मोटी रकम वसूलने का है। जिसमें एक महिला के शिक्षक पति ने ही उसके ऊपर ब्लैकमेलिंग और संगठित गिरोह बनाकर पैसा ऐंठने के लिए महिला कानून के दुरूपयोग का आरोप लगाया है।
क्या है मामला
दिनांक 13 मार्च 2020 को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे गए पत्र में मध्य प्रदेश के राकेश सिंह तोमर जो मध्य प्रदेश सरकार में पेशे से अध्यापक हैं उन्होंने प्रयागराज में अपनी पत्नी नीलू चौहान पुत्री धीरेंद्र सिंह चौहान के ऊपर आरोप लगाया है कि वह भले ही उनकी पत्नी हैं परंतु वह और उनका पिता एक शातिर ठग हैं इसके अलावा इनका अपराधियों से संबंध है और यह लोग लोगों के ऊपर फर्जी आरोप लगाकर उनकी संपत्तियों को हड़पने का धंधा भी करते हैं शपथ पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है कि धीरेंद्र सिंह चौहान अपनी पुत्री नीलू चौहान के द्वारा लोगों के ऊपर आरोप लगाकर पैसा लेकर समझौता करवाता है जिसमें उसके साथ जी न्यूज के फर्जी पत्रकार दिनेश सिंह, कचहरी के अधिवक्ता मलिक जमील अहमद, हाई कोर्ट का अधिवक्ता पंकज गुप्ता, कौशांबी के कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज के प्रवक्ता मनोज सिंह की पत्नी रेखा सिंह आदि शामिल हैं राकेश तोमर ने लिखा है कि उनका विवाह 20 अप्रैल 2001 को नीलू चौहान के साथ हुआ था परंतु बाद में जब दोनों में अनबन हो गई तब नीलू चौहान का मामा दिनेश सिंह जो ज़ी न्यूज़ का फर्जी पत्रकार हैं, उसके ऊपर अपनी पहली पत्नी को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप भी है उसने राकेश तोमर को मारने पीटने के साथ दहेज उत्पीड़न और बलात्कार के फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी थी राकेश तोमर ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि सितंबर 2019 में धीरेंद्र सिंह चौहान अपनी छोटी बेटी यानी कि नीलू चौहान की छोटी बहन वंदना राठौर के साथ उनके घर तमाम लोगों के साथ आए और सारी संपत्ति राकेश तोमर की पूर्व पत्नी से उत्पन्न तीनों संतानों को छोड़कर नीलू चौहान से उत्पन्न चौथे पुत्र शिवा के नाम करने का दबाव डाला और 10 लाख रूपया ले लिया, राकेश तोमर ने यह पैसा 21अगस्त को दे भी दिया उसके बावजूद 5 दिन बाद ही उनके ऊपर 26 अगस्त को एसीजेएम कोर्ट 8 में अपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया गया यह सारी चीजें ब्लैक मेलिंग के धंधे की ओर इशारा करती हैं।
राकेश तोमर ने अपने शपथ पत्र में यह भी कहा है कि धीरेंद्र सिंह चौहान जो नीलू चौहान का पिता है के अलावा पुलिस इंस्पेक्टर और जार्जटाउन निवासी दिनेश त्रिपाठी, कचहरी के अधिवक्ता मलिक जमील अहमद, हाईकोर्ट के अधिवक्ता पंकज गुप्ता के अलावा कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज कौशांबी के प्रवक्ता मनोज सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने उनके ऊपर दबाव डाला व कहा कि जैसा कहा जा रहा है वैसा करो अन्यथा मध्य प्रदेश के कानून के आधार पर तुम्हें नौकरी से बर्खास्त करवा देंगे क्योंकि मध्यप्रदेश में यह नियम है कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा है, वे नौकरी में नहीं रखे जाते हैं। शपथ पत्र में राकेश तोमर ने प्रार्थना किया है कि उनकी पत्नी नीलू चौहान और अन्य लोगों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत उनको छला है इसके अलावा उन्होंने इन लोगों से अपनी जान का खतरा बताया है, उन्होंने यह शपथ पत्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, लोकायुक्त, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पुलिस अधीक्षक, प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक, प्रधानमंत्री, इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक व थानाध्यक्ष धूमगंज प्रयागराज को भी भेजा है।
एक जून को राज्यपाल से की है मामले के जांच की प्रार्थना
एक प्रार्थना पत्र राकेश तोमर ने अपने अधिवक्ता मोहम्मद अमानउल्ला खान के द्वारा मध्य प्रदेश के राज्यपाल को भी 1 जून 2020 को प्रेषित किया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रुप से अपने आप को ब्लैकमेल करने, जान से मारने, के अलावा झूठे मामले में फसाने की धमकी देकर पैसा ऐंठने के प्रकरण की जांच कराने की प्रार्थना की है उन्होंने प्रार्थना पत्र की प्रति मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पुलिस अधीक्षक, उत्तर प्रदेश के डीजीपी, प्रयागराज परिक्षेत्र के एडीजी, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्यन्यायाधीश को भी प्रेषित किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के किसी रजिस्ट्रार के खिलाफ झूठी गवाही का भी दबाव
राकेश तोमर ने राष्ट्रपति को भेजें गए शपथ पत्र के दूसरे पृष्ठ के अंतिम की दो लाइनों में स्पष्ट रुप से लिखा है कि उनकी पत्नी नीलू चौहान और साजिश में शामिल लोगों ने उनको इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यरत किसी रजिस्ट्रार के विरूद्ध झूठी गवाही देने के लिए भी कहा परंतु उन्होंने यह सब करने के लिए मना कर दिया था।
गिरोह के सदस्यों पर 17अगस्त 2020 को एक लड़की के बलात्कार व बलात्कार की साजिश का दर्ज हुआ है मुकदमा
प्रयागराज के मऊ आइमा थाने में दिनांक 17 अगस्त 2020 को अधिवक्ता मलिक जमील अहमद नीलू चौहान, नीलू चौहान की मां के अलावा चार लोगों के ऊपर मऊ आइमा की ही एक महिला ने बलात्कार, बिना सहमति गर्भपात, आपराधिक कृत्य, नशीला पदार्थ खिलाने और बिना अनुमति के घर में घुसकर दबाव डालने का मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसके अलावा पीड़ित महिला के द्वारा 27 अगस्त को ही एक आरोप लगाकर मुख्यमंत्री को यह पत्र भी भेजा गया है कि नीलू चौहान उसके मामा दिनेश सिंह ने उसके ऊपर जबरदस्ती समझौता करने का दबाव डाला और उसके अपहरण का प्रयास किया तथा उसको निर्वस्त्र कर दिया उसने इस प्रार्थना पत्र की एक प्रति एडीजी जोन प्रयागराज और प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भेजी है।
नीलू चौहान के आरोप पर ही मलिक जमील अहमद की बार कॉउंसिल की सदस्यता हुई थी समाप्त
यह सोचने का विषय है कि आज भले ही तमाम मामलों में मलिक जमील अहमद और नीलू चौहान एक साथ आरोपी बनाए जा रहे हो परंतु यह भी सत्य है कि एक वर्ष पहले नीलू चौहान ने ही अधिवक्ता मलिक जमील अहमद के ऊपर आरोप लगाया था कि मलिक जमील अहमद ने उनके साथ ठगी किया है और पैसा ले लेने के बावजूद मुकदमा दाखिल नहीं किया है नीलू चौहान ने यहां तक कहा था कि मलिक जमील अहमद सिस्टर शीबा जोंस का जूनियर रह चुका है शीबा जोंस के ऊपर भी तमाम आपराधिक वाद दर्ज है, तथा मलिक जमील अहमद का माफिया अतीक अहमद से भी संबंध बताया था। जिसके बाद मलिक जमील अहमद को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की सदस्यता से बाहर कर दिया गया था, क्या कारण है कि आज दोनों एक साथ हो गए हैं? क्या इस तरह के लोगों के ऊपर भरोसा किया जा सकता है? क्या इस तरह के लोग यदि किसी के ऊपर कोई आरोप लगाते हैं तो उसको सच माना जा सकता है?
यह एक विचारणीय प्रश्न है।
बडा समाज सेवक बनने वाला एक हाईकोर्ट का अधिवक्ता भी है ब्लैकमेलर
भोली भाली महिला व लड़कियों को लालच देकर बड़े बड़े व प्रभावशाली लोगों को महिला कानूनों का दुरुपयोग कर ब्लैकमेलिंग का धंधा भी खूब फल फूल रहा है, इसमेंइलाहाबाद हाईकोर्ट का एक अधिवक्ता भी शामिल है जो अपने आप को बहुत बड़ा समाज सेवक बताता है और महिला सशक्तिकरण की बात कहता है लेकिन वास्तविकता यही है कि उसका धंधा ब्लैकमेलिंग का है।
पुरुषों के अधिकारों की भी हो रक्षा
ऊपर लिखी हुई घटना का यदि आकलन किया जाए और चीजों को ध्यान से देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में महिला कानूनों का दुरुपयोग महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है इसका तात्पर्य ये नहीं है कि महिलाएं पीड़ित नहीं है परंतु अधिकतर मामलों में महिलाएं पुरुषों को ब्लैकमेल कर उनसे मोटी रकम वसूलती है ऐसे में सरकार को यह चाहिए कि वह महिला कानूनों को ध्यान में रखते हुए ऐसा कोई कानून बनाए ताकि पुरुषों के भी अधिकारों की रक्षा हो सके क्योंकि महिला कानूनों के दुरुपयोग की घटनाएं लगातार बढ़ती चली जा रही है।