करोना कालखंड के पांचवे अध्याय का चौदहँवां दिन, घुटनों पर बेठे वज़ीर और चैन की बंसी बजाते शहंशाह के नाम
भारत ने इस अज्ञात बीमारी में, एक दिन में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीजों का, बखान ना करने वाला आंकड़ा पार कर लिया है और अब वो विश्व में चौथे नंबर पर आ गया है, विगत चौबीस घंटे में बारह हजार से अधिक संक्रमित मरीज मिले हैं, एक दिन में सबसे अधिक, और इनमे से अधिकाँश दिल्ली और मुंबई में मिले हैं। जाहिर है, इस गति से यह देश, बहुत जल्द विश्व में पहले नंबर पर भी पहुँच जाएगा क्योंकि इस देश में इंफेक्शन फैलाने वाले मूर्ख जमातिए तो हैं ही, वोट बैंक तुष्टिकरण के लिए घुटने टेक देने वाले नेता वज़ीर भी हैं और जिन्हे इस बीमारी से लड़ने, नीतियां बनाने में सबसे आगे होना चाहिए था, वो प्रमुख डॉक्टर, इन घुटनाटेकों के सामने हाथ बांधें खड़े है, जिन्हे ना तो डॉक्टरी, बीमारी और महामारी की कोई समझ है और ना ही मरते लोगों से कोई संवेदना! उनकी समझ और बैसिरपैर की नई नई नीतियां, सर्वत्र मौत का तांडव फैला रही है सो अलग।और कुछ इसी तरह, अभी तक किसी से भी ना डरने का लोमड़िय क्षद्मासन करते, कोरोना हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता, कहने वाले ढ़ोंगी, (तीसमारखाँ तो यूँ सद्दाम, लादेन भी थे, पर कहाँ और किस गंदगी में मरे ?), अब इस अदृश्य से ना दिखने वाले कीटाणु से बचने के लिए, मोदी सरकार से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं। चंद महीनो पहले यही सब लोग, कागज नहीं दिखाएँगे, कहते हुए, देशभर में चिल्ला चिल्ला कर मोदी को गालियां दे रहे थे और उनके मरने की दुआ मांग रहे थे, और वहीँ जब मोदी सरकार ने, खैरात के पांच सो रुपये इनके खातों में डाले, तो कागज हाथों में लिए, ये सब बैंकों के बाहर लाइनें लगाते नजर आये थे, मोदी लगातार इनके और इनके बच्चों के विकास, उत्थान और सुखी जीवन के लिए प्रयास कर रहे हैं। वो इनके बच्चो के, एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कम्प्यूटर देखना चाहते हैं, लेकिन यह क्या कर रहे हैं, विनाश के अलावा? विगत सौ सालों में, और किस नेता ने इन्हे गरीब, अनपढ़ बनाये रखकर, उल्लू बनाने के सिवा, बार बार इतना स्पष्ट मत दिया है और उसका क्रियान्वन भी करके बताया है? फिर क्यों इन्हें अपना भलाबुरा नही दिखता? जब तुम यहीं पैदा हुए और तुम्हारे दादा परदादा, तलवार के डर, कन्वर्ट हुए साबित हो चुके, तो क्यों नही लौट आते वापिस अपनी जड़ों की और? क्यों दिल्ली मुंबई के महामक्कार अराजक नेताओं के हाथों की कठपुतलियाँ बने बैठे हो? जो तुम्हें बरगलाकर, पूरे देश को गृहयुद्ध में धकेलने के सारे धत्कर्म कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। ख़ास तौर पर, दिल्ली और मुंबई में तो इन्होने मौत को घर घर, ठहाके लगाने पहुंचा दिया है, भ्रष्टाचार के चलते इन शहरों में करोना जांचें भी बहुत कम हो रही हैं और जो भी हो रही हैं, उनमे से हर तीसरा संक्रमित निकल रहा है, इसके क्या मायने हैं? करोना संक्रमण पर विशेषज्ञों की राय स्पष्ट है, कि अगर हर तीसरा संक्रमित है, तो इसका मतलब है कि पूरा शहर अगले दो महीनों में संक्रमित हो जाएगा, अगर यह भी मान लें कि खोजी पत्रकारों द्वारा दिखाए गए चंद स्टिंग ऑपरेशन सही भी हैं और कुछ बेहद लालची अस्पताल मालिक, निरोगी संपन्न लोगों की जांच पॉजिटिव बताकर उनसे धन उगाही करने, उन्हें अस्पतालों में भर्ती भी कर रहे हैं, तो भी संक्रमण के ये आंकड़ें बेहद चिंताजनक हैं और जिस तरह से मुंबई, दिल्ली के अस्पतालों के अन्दर के दृश्य आज सारे मीडिया पर दिख रहे हैं, उनको देखकर स्थिति की भयावहता का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है, किसी की भी रूह कँपाने और विश्वास डिगाने के लिए, काफी हैं ये दृश्य। और इसीलिए पिछले कई दिनों से हम लगातार चेता रहे हैं, कि करोना के चलते, दिल्ली मुंबई में हालात बेहद ख़राब हैं और अब सारे चेनल्स भी इन तकलीफ़देह दृश्यों को लगातार दिखा रहे हैं, उधर फ़र्ज़ी आँकड़ों और मौतों को छुपाने के षड्यंत्र की, केजरीवाल सरकार की पोल, उनकी दिल्ली की ही मुंसीपाल्टी ने खोल दी है, २०९८ मौतों के आँकड़े जारी करके, जबकि केजरीवाल सरकार, अपनी लापरवाही और अक्षमता को छुपाने, इन्हें एक हज़ार से भी कम दिखा रही है, गोयाकि उन्है लगता ही नही, कि जिनके परिजनों का बीमारी की वजह से और उपचार ना मिलने की वजह से देहांत हुआ, वो कुछ नही कहेंगे और शमशान, क़ब्रिस्तान और मुर्दे तो गवाही देंगे ही नही ? लेकिन धन प्रभाव से मीडिया को अपने मोहपाश में जकड़ी और उनसे अपनी हक़ीक़त छुपवाती केजरीवाल सरकार, लगातार जनता और अब सुप्रीम कौर्ट में कटघरे में शर्मसार खड़ी नजर आ रही है । देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली के अस्पतालों की बुरी हालत के लिए उसे बुरी तरह लताड़ लगाई है, आँकड़ों को छुपा रही आम आदमी सरकार के, काग़ज़ों पर मरीज़ों की संख्या कम करने के षड्यंत्र और दिल्ली के अस्पतालों के ख़ौफ़नाक हालात पर आज सुप्रीम कौर्ट ने, दिल्ली सरकार से साफ़ साफ़ कई सवाल पूछे कि मरीज़ों की बुरी हालत देखते हुए, जाँचो की संख्या बहुत कम क्यों हो रही है और दिल्ली के बहुत सारे अस्पतालों को जाँच और भरती के लिए क्यों मना कर दिया गया है? करोना संक्रमित मरीज़ों को लाशों के साथ क्यों रहना पड़ रहा है? मरीज़ परेशान हैं, तब सरकारी अस्पतालों में बिस्तर क्यों ख़ाली पड़े हैं, यहाँ मरीज़ भर्ती क्यों नही किए जा रहे हैं और मरीज़ों को ऑक्सिज़न जेसी बुनियादी सुविधा तक क्यों नही मिल पा रही है? साथ ही दिल्ली, मुंबई, बंगाल के बेहद ख़राब हालात के लिए, इन राज्यों को नोटिस देते हुए, सुप्रीम कौर्ट ने डॉक्टरों, नर्सों और पेरामेडिक्कस के साथ पूरी संवेदना बरतने, उनकी सुरक्षा और वेतन जैसे गम्भीर मुद्दों पर भी तुरंत कदम उठाने को कहा है! पर इन भ्रष्ट कपटी नेताओं की आत्मा पर उन हज़ारों बेगुनाहों की मौत का कलंक हमेशा साया रहेगा, कितना दुखद है सुबह से इन खबरों को पढना, जब दिल्ली के अस्पतालों में इलाज ना मिलने पर एक बीमार पिता, भोपाल अपने बच्चे के पास आता है और स्टेशन से उसे, अपने काँधे ढोता यह बच्चा, १२५० अस्पताल से हमीदिया अस्पताल के चक्कर काटता है और कुछ कर नही पाता, सिर्फ़ अपने पिता को तड़पता और मरता देखने के! एक पति अपनी गर्भवती पत्नी को ढोए हुए दर दर भटकता है, लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नही होती और वो अभागी माँ अपने अजन्मे बालक सहित, बेबस और लाचार पति की बाँहों में, सरकारिया नाक़ारा एरावतों की ड्योढ़ियों पर दम तोड़ देती है।देश के नीति नियंताओं, अब बस करो ! आत्मा नही कचोटती तुम्हारी, इस तरह की अकाल असमय बेबस मौतों पर ? जब इस संक्रमण में वैश्विक स्तर पर मौतों का आँकड़ा बेहद कम है और उससे अधिक तो सड़कों पर एक्सीडेंट्स में, उल्टी दस्त, में हो जाती हैं तब क्यों सारा उपचार बंद करवाए बेठे हो, बेबस लाचार जनता का? जब इस बीमारी में सिर्फ़ बूढों और बीमारों को ही नुक़सान होना था, तो सिर्फ़ उन्हें सुरक्षित करते और बाक़ी का जीवन चलने देते ? सर्वनाश के बाद भी यही तो कर रहे हो, फिर क्यों सारे अस्पतालों पर कोविड़ नॉनकोविड़ का नाटक किया ? उपचार के कड़े मापदंड लागू कर देते बस? भले ही पेसा खर्च होता, लेकिन इंसान अपने परिजन का उपचार तो करवा पाता यहाँ? अभी तो साँस ना ले पाता इंसान, अस्पताल दर अस्पताल भटकने में अपने शरीर की बची खुची ऑक्सिजन भी खोता हुआ, मौत के आग़ोश में जा रहा है? कौन है इनका ज़िम्मेदार ? और वैसे भी जब इस बीमारी का कोई उपचार नही, सिर्फ़ विटामिन सी की गोली खिलाना और गम्भीर मरीज़ों को ऑक्सिजन देना ही है, तो यह तो पान के ठेले और शराब के ठेके जैसे गली गली उपलब्ध करवाया जा सकता था, गाड़ियों एम्बुलेंसों में हर चौराहे पर प्राथमिक उपचार देकर और ऑक्सिजन लगाकर, सम्भावित मरीजों को बिना थके, बिना निराश हुए, कोविड़ केंद्र तक सुरक्षित पहुँचाया जा सकता है, जिससे ढेरों जानें तो बचेंगी ही और कम से कम इनमें से किसी के ना बच पाने की सूरत में वो बेटा, वो पति या वो बेटी, आपको इसी तरह तिल तिल कर मरने की बद्ददुआ तो नही देंगे, सोचिए? धन की, केरियर की लूट, फिर भी एक बार सब भूल जाएँगे, पर अपने पिता या गर्भवती पत्नी को बिना इलाज अपने काँधे ढोते मरते देखने और फिर उनकी लाश ढोने वाला बेटा, या पति इन पलों को कभी नही भूलेगा !काश मेरे पास इतना धन होता कि मैं यह सब व्यवस्थाएँ कर पाता, तो जगह जगह ऑक्सिजन सुविधा वाली गाड़ियों का तो ढेर लगा ही देता । अस्पताल खोल देता सो अलग, लेकिन क्या करूँ, मैं ख़ुद तुम्हारे गुंडों के हाथों सताया बैठा हूँ । लेकिन इतने बुरे हाल में भी, मान्यवरों की, जगह जगह राजनेतिक़ संगोष्ठियाँ, मीटिंग्स, मेल मुलाक़ातें जारी हैं, धरने प्रदर्शन, हुडदंग करते, करोना प्रोटोक़ोल्स का खुलेआम मखौल उड़ाते सभी दलों को देखा जा सकता है, फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग की भी सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, बिगड़ते हालातों में, यह एक अत्यंत ख़तरनाक संकेत और गंभीर लापरवाही है, जिसके दुष्परिणाम, देश और देश की जनता को, आने वाले महीनो में भुगतना ही पड़ेंगे !हालाँकि देर से ही सही, लेकिन आज केंद्र सरकार ने हालातों पर क़ाबू पाने के प्रयास शुरू किए हैं, शायद कुछ अच्छा हो। एक बार फिर करबद्ध निवेदन, जागरूक बनिए, सुरक्षित और स्वस्थ रहिए, और हाँ सुकर्म करते चलिएगा, वही काम आएँगे, इस लोक में भी और परलोक में भी! मिलते हैं कल, तब तक जय श्रीराम ।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग drbgarg@gmail.comhttps://www.facebook.com/bhuvneshawar.gargडॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारतसंपर्क: 9425009303