डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल के लिखित नाटक ‘व्यक्तिगत’ का मंचन किया गया

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मनीष कपूर ।

भारत सरकार के नाट्य प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय की मासिक नाट्य योजना श्रंखला में शुक्रवार को प्रेक्षागृह में डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल के लिखित नाटक व्यक्तिगत का मंचन किया गया। इस नाटक का निर्देशन प्रयागराज के रहने वाले शिव गुप्ता ने किया। जबकि ये नाटक डॉक्टर लक्ष्मी नारायण ने सत्तर के दशक में लिखा था।

इस नाटक के माध्यम से दर्शाया गया है कि व्यक्ति का अर्तद्धंद स्वयं के साथ और दूसरों के साथ जीवन भर कि तरह से चलता रहता है. नाटक में दिखाया गया है कि पति और पत्नी  कैसे आपसी सम्बन्ध में सामंजस्य बनाने की जीवन भर कोशिश करते हैं।

वह कैसे एक-दूसरे के साथ कभी दिखावटी, कभी रूढ़िवादी तो कभी आजाद ख्याल के होते जाते हैं. हालांकि ये सब वह अपनी सुविधा के अनुसार ही करते हैं। लेखक ने जिस भौतिकवादी दुनिया की कल्पना 70 के दशक में की, उसमें निरन्तर ही विकास होता जा रहा है। नाट्य मंचन के दौरान कलाकारों की अभिनय ने सबका मन मोह लिया. नाटक में अजीत बहादुर, रूपा सहाय, आकाश अग्रवाल ’’चर्चित’’, शाम्भवी शुक्ला ने बेहतरीन अभिनय किया जिसकी सभी ने प्रशंसा की जबकि मंच परिकल्पना एवं निर्देशन शिव गुप्त ने किया। वहीं प्रकाश सामंजस्य एवं परिकल्पना सुजॉय घोषाल, ध्वनि संयोजन हरमेन्द्र सरताज और रूप सज्जा रूपा सहाय ने किया था।
कार्यक्रम का संचालन युवा संचालिका हिमानी रावत के द्वारा किया गया।

मंच पर

मैं- अजीत बहादुर। वो- रूपा सहाय। मैं (युवा)- आकाश अग्रवाल ‘चर्चित’ । वो (युवा) शांभवी शुक्ला । मिसेज आनन्द- शांभवी शुक्ला।

मंच परिकल्पना- शिव गुप्ता । मंच निर्माण एवं सामग्री- शुभेंद्रु कुमार, सफल, गौतम, शिवम, आशु, रोहित राज यादव, अभिषेक गिरि। प्रकाश परिकल्पना- सुजॉय घोषाल।सहायक- अमित, अंकित कश्यप। ध्वनि संयोजन- हरमेन्द्र सरताज। वेशभूषा- शांभवी शुक्ला।रूप सज्जा- रूपा सहाय। परिकल्पना एवं निर्देशन- शिव गुप्ता।


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