मध्य प्रदेश : जनाधार वालों का होगा जलवा

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देवदत्त दुबे।

वैसे तो राजनीति में वक्त के हिसाब से पैमाने बदलते रहते हैं, लेकिन चुनाव के समय एक ही पैमाना रहता है : कि कौन जनाधार वाला है और चुनाव जितवा सकता है इसी के इर्द-गिर्द नियुक्तियों के फैसले होने लगते हैं खासकर जब किसी दल की लहर ना हो और मुकाबला संघर्ष का हो तब जातीय समीकरणों को साधने के साथ-साथ चुनाव जिताऊ परिस्थितियां तैयार की जाती है।

दरअसल भाजपा और कांग्रेस प्रदेश में 2023 की चुनावी तैयारियों में जुट गई है और इस सिलसिले में अब वे केवल चुनाव जीतने की कसौटी पर काम कर रहे हैं। सत्तारूढ़ दल भाजपा 2018 की तरह किसी भी प्रकार के ओवरकॉन्फिडेंस में नहीं रहना चाहती यही है, कारण है कि चौतरफा प्रयास शुरू हो गए हैं एक तरफ जहां विकास यात्रा के माध्यम से गांव गांव और घर घर पहुंचने की योजना चल रही है वहीं दूसरी ओर विभिन्न निगम मंडलों रिक्त पदों को भरने के लिए बैठकों का दौर भी चल रहा है

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिव प्रकाश प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ बैठक और चर्चा अलग अलग हो चुकी है।

राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री शिव प्रकाश

जिसमें यह तय किया गया है पार्टी के अनुभवी वरिष्ठ नेताओं को जिसमें संघ पृष्ठभूमि के नेताओं को प्राथमिकता देते हुए शेष खाली बजे निगम मंडल प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पदों पर विशेष तौर पर जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय की जाए।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णु दत्त शर्मा।

माना जा रहा है वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद अब विकास प्राधिकरण और निगम मंडल वा आयोगों के शेष बचे रिक्त पदों पर नियुक्तियों के आदेश कभी भी निकल सकते हैं। नगर निगम क्षेत्रों और नगर पालिकाओं में एल्डरमैन की नियुक्तियां भी शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा मशक्कत जयपुर विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति होना है। उनमें भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ इंदौर में इंदौर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद विशेष रूप से शामिल है।

इसके अलावा सिंगरौली, रतलाम, कटनी, ओरछा, खजुराहो और विंध्य क्षेत्र के विकास प्राधिकरण में भी नियुक्तियां होना है। यह भी माना जा रहा है कि अब मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल ना करते हुए चार रिक्त पदों पर अगले माह शपथ दिलाई जा सकती है, जिसमें विंध्य और महाकौशल क्षेत्र से प्रतिनिधित्व मिल सकता है।

अब तक जो भी निगम मंडल में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष काम कर रहे हैं, उनके साथ बैठक करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार की अपेक्षाओं से अवगत कराया, जिसमें उनसे मैदान में सक्रिय रहने और जनता के हित में काम करने और उनकी समस्याएं सुलझाने के लिए भी कहा गया है। यह भी कहा गया है कि वे विकास यात्राओं में भी सहभागी बने।

पूर्व मुख्यमंत्री , प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ

वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस में पार्टी पदाधिकारियों और मौजूदा विधायकों से अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहने के लिए कहां गया है। गुरुवार को अपने निवास पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने पत्रकार मिलन समारोह रखा जिसमें अनौपचारिक चर्चा में कमलनाथ में पत्रकारों के बीच कई तरह के स्पष्टीकरण भी दिए। “मसलन मुख्यमंत्री पद को लेकर जिस तरह से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बयान आ रहे हैं उस पर उन्होंने कहा कि मैंने खुद ही सबसे पहले इंदौर में एक प्रश्न के उत्तर में कहा था की भावी विधायक आने दीजिए मुख्यमंत्री का फैसला तो फिर हो जाएगा”। इसी तरह उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्रतिदिन पूछे जाने वाले सवालों के संबंध में कहा कि 190 महीने सरकार चलाने वालों से प्रश्न पूछना चाहिए सो 15 माह की सरकार वालों से प्रश्न पूछे जा रहे हैं।

कमलनाथ के चौतरफा प्रयास
एक तरफ जहां पार्टी के अंदर से कमलनाथ को चुनौती मिल रही है। भावी मुख्यमंत्री के मुद्दे पर अरुण यादव, अजय सिंह, जीतू पटवारी, दे रहे हैं, वही कमलनाथ ने अब अपने प्रयासों को गति दे दी है। एक तरफ जहां लगातार जिलों में प्रवास कर रहे हैं, वही अब अपने स्वभाव के विपरीत सहजता से मिल रहे हैं, बात कर रहे हैं, पत्रकारों से भी बड़ी सहजता से मिले और अब् वे बागेश्वर धाम भी जा रहे हैं। तभी कहा जा रहा है कि प्रतिशोध की ज्वाला में जल रहे कमलनाथ 2023 के लिए चौतरफा प्रयास कर रहे हैं। इसमें पार्टी नेताओं का कितना सहयोग मिलता है इसी पर उनके प्रयासों की सफलता टिकी है।

कुल मिलाकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकारों में छटपटाहट बढ़ गई है और अब चुनाव जिताऊ नेताओं की सूची बनना शुरू हो गई है। अब ना उम्र का बंधन देखा जा रहा है और ना जाति का जो चुनाव जितवा सके वही नेताओं को पसंद आ रहा है। जाहिर है जनाधार वाले नेताओं का जलवा बढ़ने वाला है।


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