प्रतीक्षा की परीक्षा से निकलेगा परिणाम

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देवदत्त दुबे

जैसे ईश्वर परीक्षा का नहीं प्रतीक्षा का विषय है वैसे ही यह महामारी परीक्षा कि नहीं घर के अंदर बैठकर प्रतीक्षा का विषय बन गई और प्रतीक्षा से ही अनुकूल परिणाम आएंगे इसके बावजूद ऐसे भी लोग हैं जो इस समय प्रतीक्षा करने की बजाए परीक्षा लेने पर उतारू है इंदौर मुंबई और मुरादाबाद की घटनाएं बता रही है कि किस तरह लोग अभी व्यवहार कर रहे हैं।

दरअसल संसार समस्याओं का समंदर है। समस्याओं को समुद्र की लहरें समझकर उन पर सवार हो किनारे लगने पर जैसे हर लहर मिटती है वैसे ही हर समस्या भी एक ना एक दिन मिटती है।।समस्या है तो समाधान है ही इस समय पूरी दुनिया पर कोरोना महामारी एक बड़ी समस्या के रूप में सबके सामने है। और इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया में जो जहां है अपने से श्रेष्ठ देने का प्रयास कर रहा है। डॉक्टर नर्स और पुलिस जान हथेली पर रखकर संक्रमित मरीजों की जान बचा रहे हैं। लोग इन पर फूल बरसा रहे हैं, तालियां बजा रहे हैं और इनकी खुशामदी की प्रार्थना कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन पर पत्थर बरसा रहे इंदौर के बाद मुरादाबाद में और भी अमानवीय घटना हुई जहां एंबुलेंस पर पत्थर फेंके गए एंबुलेंस पर पत्थर तो दो देशों के बीच होने वाले युद्ध में भी नहीं फेंके जाते कैसे मर्यादा ए भूलकर अमर्यादित हो रहे हैं, जबकि विपत्ति के समय सभी को एक हो जाना चाहिए, मर्यादित हो जाना चाहिए।

जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए देशवासियों का सात बातों पर साथ मांगा है वैसे ही इंसान को मर्यादित जीवन जीने के लिए सात बातों पर अमल करना जरूरी है। जिनमें पहला है अहिंसा मतलब मन वाणी और कर्म से किसी को कष्ट न देना। दूसरा है सत्य मानव को सदैव सत्य पथ पर चलना चाहिए, असत्य को त्यागने में और सत्य को ग्रहण करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। तीसरा है अस्तेय यानी चोरी ना करना कर्म और मन से चोरी ना करना। चौथी मर्यादा है ब्रह्मचर्य ब्रह्मचारी धारण करने से आत्मा में तेजस्विता और इंद्रियों में शक्ति आती है। पांचवी मर्यादा है शौच यानी पवित्रता यानी तन की पवित्रता जितनी आवश्यक है उतनी ही मन की भी हो। छठवीं मर्यादा है स्वाध्याय धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन वामन करना और उनका पालन करना मानव का धर्म है, पुस्तकें कभी गुरु रूप में उपदेश करते हैं तो कभी मित्र बनकर अच्छे बुरे का भेद बता कर अच्छाई की दिशा में चलने को प्रेरित करती है। सातवीं मर्यादा है ईश्वर प्राणी धान यानी मनुष्य को स्वयं को परमात्मा का अंश समझना चाहिए कोई भी प्राणी ईश्वर से भिन्न नहीं है।

कुल मिलाकर कोरोना की लड़ाई में जीत हासिल करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धैर्य संयम के साथ-साथ मर्यादित आचरण भी करना है। हजारों लोग तन मन धन से जान हथेली पर रखकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे में जो लोग चिकित्सकों पुलिस और एंबुलेंस पर पत्थर फेंक रहे हैं वे ना केवल अमानवीय हैं, वरुण पूरी मानवता के दुश्मन भी हैं। दुनिया में आई विपत्ति के समय सभी को एक होकर मुकाबला करना है। और इस महामारी की बाहर निकल कर भीड़ एकत्रित करके इस बीमारी की परीक्षा नहीं लेना है, वरुण घर के अंदर रहकर प्रतीक्षा करना है और तब तय मानिए परिणाम अनुकूल आएंगे।


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