प्रयागराज न्यूज : “लोकभाषा और सिनेमा ” विषय पर विचार संगोष्ठी का आयोजन

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मनीष कपूर।

क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ाने के लिए फिल्म जगत के स्थापित नामों को आना होगा आगे ; ‘सत्यकाम आनन्द’ प्रसिद्ध अभिनेता।

भोजपुरी सिनेमा सफर सिर्फ नायिका होठो से लेकर नाभि तक ; ‘सत्यकाम आनन्द’ प्रसिद्ध अभिनेता।

मादरी ज़बान देती है आपकी कल्पना शक्ति को वास्तविक उड़ान ; प्रोफेसर लक्ष्मण प्रसाद गुप्त।

भाषा को भविष्य की पीढ़ियों के तक पहुचाने का माध्यम है। प्रोफेसर सत्येंद्र प्रजापति।

प्रयागराज, 16 अक्टूबर 2022। आन्सर वेंचर्स एवं नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में ‘लोकभाषा और सिनेमा’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन ‘एंजल फूड डिस्ट्रिक्ट’ स्ट्रैची रोड सिविल लाइंस में किया गया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध अभिनेता ‘सत्यकाम आनन्द’ जी ने स्थानीय-भाषाओं अवधी भोजपुरी और आंचलिक कहानियों को ध्यान में रखकर सिनेमा बनाने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। साथ ही स्थानीय नागरिकों से युवाओं का सहयोग करने की अपील भी की, उन्होने कहा कि जबतक बॉलीवुड और फिल्म जगत के चर्चित और स्थापित नाम अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में सिनेमा बनाने के लिए खुद आगे नहीं आएंगे तबतक लोकभाष में बनने वाले सिनेमा के स्तर पर हमेशा सवाल उठता रहेगा।

श्री सत्यकाम आनन्द अपनी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘शेरनी’ तथा वेब सीरीज ‘महारानी’ के लिए युवाओं में अत्यधिक चर्चित हैं, इसके साथ ही वक्ताओं में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लक्ष्मण प्रसाद गुप्त और महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय से प्रोफेसर सत्येंद्र प्रजापति रहे, दोनों ही वक्ताओं ने लोक भाषा के द्वारा सिनेमा में होने वाले प्रयोग और उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा की।

प्रोफेसर लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने लोकभाषा में हो रहे कार्यों को अपने वक्तव्य में उकेरते हुये मादरी ज़बान का महत्व स्थापित किया, उन्होने कहा कि दुनियाभर में नोबल पुरस्कार मूलतः उनलोगों को मिल रहे हैं जो अपनी मूल ज़बान या मादरी ज़बान में काम कर रहे हैं, उन्होने कहा कि हम अपनी कल्पना शक्ति का अधिकतम उपयोग तभी कर सकते हैं जब अपनी मादरी ज़बान में काम करें न कि अनुदित भाषा में।

आजमगढ़ के महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय से आये प्रोफेसर सत्येंद्र प्रजापति ने भाषा के संरक्षण में साहित्य के योगदान और महत्व पर बात करते हुये कहा कि आज के दौर में लोगों ने साहित्य पढ़ना बहुत कम कर दिया है क्योंकि आज लोग साहित्य को पढ़ते नहीं देखते हैं, और आज के दौर में लोग साहित्य को सिनेमा के माध्यम से देखते हैं। इसलिए भाषा को भविष्य की पीढ़ियों के लिए कुछ बचाएगा तो वो सिनेमा ही है।

चर्चा मुख्य रूप से स्थानीय भाषाओं अवधी, भोजपुरी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में सिनेमा को ज्यादा से ज्यादा विकसित कर भाषाई परंपरा को और मजबूत करने पर रही, कार्यक्रम का संचालन नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान के संस्थापक कृष्ण कुमार मौर्य ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आन्सर वेंचर्स के संस्थापक नितीश के एस ने किया, कार्यक्रम में शहर के ढेर सारे सिनेमा और लोकभाषा प्रेमी जुटे। सभी ने संगोष्ठी में व्यक्त विचारों से सहमति जताते हुये शहर की अपनी कहानियों पर फिल्मों के निर्माण पर बल दिया, कार्यक्रम के सफल आयोजन में रवि कुशवाहा, संतोष गुप्ता, मोहम्मद आरिफ़, अजय कुमार, अभिनव कुशवाहा, देवेंद्र राजभर, विकास यादव, संदीप कुमार, शिव कुमार, आशीष सिंह ने बड़ी ज़िम्मेदारी निभाई। कार्यक्रम में अभय कुमार, मोहम्मद एहतेशाम, आदित्य कुशवाहा, अनुज कुमार, गौतम जी आदि उपस्थित रहे।


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