‘अनुपम स्मृति संवाद’ का आयोजन स्वराज विद्यापीठ के सभागार में

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मनीष कपूर।

आज दिनांक 1 सितंबर को डॉ अनुपम आनन्द की प्रथम पुण्य तिथि पर आकार एवं स्वराज विद्यापीठ ने ‘अनुपम स्मृति संवाद’ का आयोजन स्वराज विद्यापीठ के सभागार में किया ।

कार्यक्रम का आरम्भ डॉ अनुपम आनन्द द्वारा लिखित नाटक पक्ष –विपक्ष के श्रुति नाटक से हुई । इस नाटक का पाठ आकार संस्था के कलाकारों द्वारा किया गया । अनुपम आनन्द का लिखा यह नाटक कालिदास के नाट्य संसार से प्रत्यक्ष रूप में मुटभेड़ करता है । अनुपम आनन्द की रचना माल्विकाग्निमित्रम की स्वतंत्र व्याख्या है । संस्कृत नाटकों से अनुप्रेरित यह नया लेखन समकालीन वास्तविकता की पहचान कराने के लिए संस्कृत नाटक के रचना संसार का एक भिन्न भूमि पर उपयोग है ।

नाट्य पाठ के उपरान्त अनुपम आनन्द को याद करते और नाटक पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ रंगनिर्देशक श्री प्रवीण शेखर ने कहा कि अनुपम आनन्द का जाना कभी न भरने वाली रिक्तिता है, बौद्धिकता की भारी छति है प्रयागराज के लिए । प्रवीण ने नाटक के शिल्प और कथ्य पर अपनी विस्तृत बात रखते हुए कहा कि आज के वैश्विक परिदृश्य में यह नाटक सटीक बैठता है । ऐसा लगता है कि हम आज की वास्तविकता रूबरू हो रहें हैं । माल्विकाग्निमित्राम के कुछ प्रसंगों के माध्यम से समकालीन राजनीति सांजीक व्यवस्था की विसंगतियों पर प्रहार करता है । उन्होने नाटक के शिल्प पर कहा कि इस इस नाटक की बुनावट रंग निर्देशक और अभिनेता को स्पेस देती है ।

अगले क्रम में वरिष्ठ साहित्यकार अनीता गोपेश ने अनुपम आनन्द के साथ अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि मैंने उन्हें रंगकर्म से बहुत गंभीरता से जुड़े हुए देखा है । मैंने हमेशा उनको नाटक की परिचर्चा और गोष्ठी में सुना है । नाटक पर उन्होने कहा कि नाटक में आज के समय का सीधा सक्षत्कार है । सत्ता का चरित्र और राज्यश्र्यमें रहने वाले लोग चाहे वो कलाकार ही क्यों न हों किस तरह से सत्ता की चाटुकारिता करते हैं वो इस नाटक का मूल है ।

अगले क्रम में श्री अजामिल ने उनके द्वारा लिखित नाटक के श्रुति नाट्य पाठ की सराहना करते हुए कहा कि अनुपम को याद करने का इससे बेहतर आयोजन नहीं हो सकता । उन्होने अनुपम को याद करते हुए कहा कि अनुपम नाम जैसे ही अनुपम थे । उनके विधिवत रंगकर्म करने का समय अब शुरू ही होने वाला था उससे पहले ही समय ने उन्हें हमसे छीन लिया । उनका यह नाटक आज के चुनौतीपूर्ण समय मे सटीक बैठता है ।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रंग निर्देशक श्री अनिल रंजन भौमिक ने उन्हे याद करते हुए कहा कि इलाहाबाद के युवा रंगकर्मियों को हमेशा पढे लिखे रंगकर्म की ओर ले जाना चाहते थे अनुपम । प्रयागराज में कोई भी गोष्ठी को सम्मेलन हो उसमें उनकी उपस्थिती ज़रूर रहती थी । अनिल रंजन भौमिक ने नाटक पक्ष –विपक्ष पर कहा कि ‘पक्ष-विपक्ष’ कालिदास की प्रसिद्ध नाट्यकृति ‘माल्विकाग्निमित्र’ के कुछ प्रसंगो केपरिवर्तन के माध्यम से समकालीन राजनीति सामाजिक व्यवस्था की विसंगतियों पर प्रहार करता है ।

संस्कार भारती की नगर अध्यक्ष श्रीमती कल्पना सहाय ने कहा कि अनुपम का जाना साहित्यिक और रंगकर्म के बीरादरी का खाली होना है ।

अंत में आकार संस्था के निर्देशक नीरज उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञपित करते हुए कहा कि डॉ अनुपम आनन्द के अधूरे कार्यों को आकार संस्था पूरा करेगी ।

श्रुति नाट्य में सतीश तिवारी, सुनीता थापा, शिवम सिंह, निखीलेश मौर्य, सिधार्थ पाल, नीरज उपाध्याय, प्रत्युष वार्सने ने भूमिका निभाई ।

कार्यक्रम में सी एम पी डिग्री कॉलेज की हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ सरोज सिंह, आभा, डॉ दीपा श्रीवास्तव, इत्यादि मौजूद रहे ।


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