अपने व्यवहार में देशभक्ति लाने की जरूरत : सुश्री रेखा चुडासमा जी
डाॅ अजय ओझा।
अधिकार के साथ कर्तव्यों का पालन करें : सुश्री चुडासमा जी।
हमारी संस्कृति और परम्परा को सहेजने की जरूरत : कर्नल ज्ञान प्रकाश शर्मा।
अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी : ले. ज. प्रो. बी.एन.बी.एम. प्रसाद।
देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा : कर्नल आर.वी. सिंह।
लखनऊ, 21 अप्रैल । देश की संस्कृति और परम्परा को सुरक्षित रखने के साथ-साथ हमें अपने व्यवहार में देश भक्ति लाने की जरूरत है, तभी आजादी के अमृत महोत्सव का उद्देश्य सार्थक होगा। हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करना चाहिए और इसे अपने व्यवहार में लाना चाहिए। हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ देश के प्रति कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। उक्त उद्गार कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती की अखिल भारतीय बालिका शिक्षा संयोजिका सुश्री रेखा चुडासमा जी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के 19वें अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।
मुख्य वक्ता जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी कर्नल ज्ञान प्रकाश शर्मा ने कहा कि वर्षो तक हमारे पूर्वजों ने संस्कृति को बचाकर रखा, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में उसे तेज गति से आगे बढ़ाने में उतने सफल नहीं हो पाये जितना होना चाहिए था। वर्तमान समय में अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने और उसे संजोने का जो प्रयास किया जा रहा है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित तभी संभव है, जब हम उसके इतिहास और संस्कृति पर गर्व करें। इससे हमें अपने देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी मिलती है।
विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. प्रो. बी.एन.बी.एम. प्रसाद जी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में अनुशासन और किसी चीज के लिए दृढ़ संकल्पित होना आवश्यक है, क्योंकि वे ही इस देश का भविष्य हैं और उन पर ही देश का भविष्य निर्भर है। उन्होंने कहा कि हमारे देश को आज़ाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन विकास की रफ्तार धीमी ही रही। भारत का भव्य इतिहास रहा है, जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती थी। दुनिया भर के लिए भारत की छवि विश्वगुरु के रूप में थी। उन्होंने कहा कि भारत का दीर्घकालिक स्वर्णिम इतिहास रहा है, क्योंकि हमारे पूर्वजों ने अपनी संस्कृति को हमेशा सुरक्षित रखा और उसे आगे बढ़ाया। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हमने अपनी संस्कृति और पहचान को खो दिया है, नतीजतन हम पिछड़ते गए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्या भारती जैसी संस्थाएं भारत की प्राचीन संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है, जो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने देश की संस्कृति को आगे बढ़ाएं, जिससे फिर हम विश्वगुरु बन सकें।
विशिष्ट अतिथि पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के कर्नल आर.वी. सिंह (से.नि.) ने कहा कि सेना में अनुशासन महत्वपूर्ण होता है, इसे सीखने के लिए किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं होती है, बस जरूरत है उसे ग्रहण करने की। उन्होंने कहा कि अनुशासन के दो ही तरीके हैं, एक तो अपने अंदर इसका प्रार्दुभाव स्वयं करना पड़ता है, दूसरा पालन कराने के लिए कानून व आदेश का सहारा लिया जाता है। उन्होंने कहा कि सेना में जाने के लिए देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। देश के युवाओं के अंदर सभी क्षमताएं मौजूद हैं, बस उन्हें प्रेरित करने की जरूरत है।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती की अखिल भारतीय बालिका शिक्षा संयोजिका सुश्री रेखा चुडासमा जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा के माध्यम से देश बदलेगा ही, लेकिन विद्या भारती बीते 60 सालों से ये सफल प्रयोग कर रही है। बच्चों को राष्ट्रभक्ति और संस्कारों से ओतप्रोत बनाने का भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभक्ति गीत, शौर्य कथाएं और प्रेरक कहानियों के माध्यम से अभिभावक अपने बच्चों को देशप्रेम के प्रति प्रेरित करने का कार्य करें। उन्होंने का कि बच्चों के चरित्र विकास के लिए घर में ही माता-पिता को कुटुम्ब प्रबोधन देना चाहिए। बच्चों को डाक्टर, इंजीनियर बनाने से पहले एक आदर्श मनुष्य बनाना चाहिए। जब आप का बच्चा अच्छा मनुष्य बनेगा, तभी देशहित के बारे में सोच पाएगा। उन्होंने कहा कि हमें मितव्ययी जीवन शैली अपनानी चाहिए, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, ये भी राष्ट्रहित का ही कार्य है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि की सहायक आचार्या डॉ. तनु डंग जी ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख मा. उमाशंकर मिश्र जी ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का परिचय भी कराया और आभार ज्ञापन इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत के उपाध्यक्ष डॉ. राकेश मंजुल जी ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख श्री भास्कर दूबे जी ने किया। इससे पहले सूबेदार विश्वेसर सिंह जी की शौर्य गाथा पर आधारित डाक्युमेंट्री का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर पूर्व सैनिक सेवा परिषद से स्क़्वाड्रन लीडर राखी अग्रवाल (से.नि.), किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सक प्रो. नरसिंह वर्मा, श्री प्रवीन चौहान, मुकेश वर्मा एवं 63वीं यू.पी. एनसीसी बटालियन लखनऊ के कैडेट सहित कई लोग मौजूद रहे।
फोटो परिचय-
डीएससी 01: कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती की अखिल भारतीय बालिका शिक्षा संयोजिका सुश्री रेखा चुडासमा जी और मंच पर दाहिने से मुख्य वक्ता जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी कर्नल ज्ञान प्रकाश शर्मा, मुख्य अतिथि सूबेदार विश्वेसर सिंह जी, विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. प्रो. बी.एन.बी.एम. प्रसाद जी ।
डीएससी 02: कार्यक्रम में 63वीं यू.पी. एनसीसी बटालियन लखनऊ के कैडेट सहित अन्य पदाधिकारीगण।