कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के वजह से योगी सरकार की छवि खराब होने का भय
कुछ मुख्य सवाल :
●कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का जिम्मेदार कौन ?
●सरकार द्वारा पूरा बजट दिए जाने के बाद भी मजदूरों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं में अनियमितताएं क्यों ?
●आखिर मजदूरों को मजबूर बनाने पर क्यों उतारू है कुछ प्रशासनिक अधिकारी, ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी ही सरकार का असली चेहरा होते हैं ।
प्रयागराज। कटरा रामलीला में बने प्रवासी मजदूरों के लिए आश्रय स्थल पर मंगलवार को प्रवासी मजदूरों की जबरदस्त भीड थी। यहाँ पर रोडवेड बसों के द्वारा आने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ साथ वह प्रवासी मजदूर भी पहुँच रहे थे जो पैदल या ट्रको आदि वाहनो से खुद के खर्चे से प्रयागराज तक पहुंचने मे सफल हो पाए और उनको अपने घर तक जाने के लिए अभी आगे का सफर तय करना बाकी था।
ये मजदूर इस आशा में यहाँ पहुँच रहे थे कि प्रयागराज से आगे का सफर प्रशासन की मदद से ही आसान हो जायेगा । कटरा रामलीला पहुंचने के बाद मजदूरों को प्रशासन के अनुसार अपना सफर तय करना था । प्रशासन भी अपना कार्य करने में लगा हुआ था मगर यहाँ पर प्रशासनिक अधिकारियों की कार्य शैली में कुछ लाॅक डाउन के दौरान अपनाएँ जाने वाले नियम शामिल नहीं दिखे । जैसे मजदूरों को बैठाने की व्यवस्था आराम करने की व्यवस्था के साथ उनके बीच में सोशल डिस्टेंसिंग का अभाव साफ नजर आ रहा था ।
मजदूरों को इस तरह लाइन में लगाया गया था जैसे पुराने वक्त में बैंकों में हाईस्कूल और इंटर की इंटर की फीस जमा करने के लिए छात्र लाइनों में लगे हुए दिखाई देते थे। या फिर यह कह सकते हैं कि जैसे किसी नौकरी के लिए अंतिम दिन आवेदन करने के लिए लोगों की लाइनें लगी रहती है।
रामलीला कटरा आश्रय स्थल पर कुछ इसी तरह से मजदूरों की लाइनें देखने को मिली। शाम को 5:00 बजे तो यहां के अधिकारियों ने अपने साथ ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को आश्रय स्थल के बाहर आकर हडका दिया कि यदि अब कोई मजदूर लाइन में लगता हुआ दिखाई दिया तो आप लोगों को ही देर तक हमारे साथ यार होना पड़ेगा उनका कहना था कि यह सेंटर आज ही बंद होगा आगे यह सेंटर कार्य नहीं करेगा ।
परंतु मजदूरों का आना रुक नहीं रहा था इसलिए कर्मचारियों ने अपने अधिकारियों के समक्ष अपनी मजबूर रखी तो उस पर अधिकारियों ने कहा कि अब आने वाले मजदूरों को यहाँ से जी एच एस भेज दो । यहां पर आने वाले मजदूरों को घर जाना था इसलिए प्रशासन की जैसी व्यवस्था थी उसी में उन्होंने संतोष कर लिया और पैदल चलकर सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए प्रयागराज तक पहुंचे मजदूरों की मजबूरी थी जैसा मिले वैसे में गुजारा करना।
यूँ कहना गलत ना होगा कि मजदूर रामलीला कटरा प्रयागराज आश्रय स्थल पर आकर अव्यवस्था का शिकार बने । रास्ते में उन्होंने कोरोना कहीं से लिया या नहीं या उनके साथ कोराना का कोई संदिग्ध था या नही मगर रामलीला टकरा आश्रय स्थल पर आकर अगर कोई एक भी संदिग्ध व्यक्ति इन सब के बीच रहा होगा तो उसके संपर्क में न जाने कितने मजदूर आए होंगे और कितने मजदूरों को घर जाने वाली बस के साथ कोरोना संक्रमण मिलने की आशंका बढ़ गई होगी ।
यहां की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा था कि मजदूरों को वास्तव में मजदूर नहीं मजबूर ही कहना उचित होगा। क्योंकि यहाँ पर की कोई व्यवस्था किसी भी प्रकार से नाममात्र को भी दिखाई नहीं दे रही थी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस समय मजदूरों के हित में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए जानी जाती है और जानी ही नहीं जाती है बल्कि वह श्रेष्ठ कार्य करने के लिए हर उचित कदम भी उठा रही है परंतु प्रशासन स्तर पर कुछ अधिकारी योगी सरकार की साफ छवि को धूमिल कराने पर उतारू हैं। जो मौका पाते ही उनकी छवि को धूमिल करने में लगे हुए हैं ।
स्थिति यह है कि मजदूरों के साथ अभद्र भाषा के प्रयोग से लेकर उनको एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकाने तक का कार्य कुछ प्रशासनिक अधिकारी और उनके साथ संलिप्त कुछ कर्मचारी कर रहें हैं अगर प्रशासनिक अधिकारी इसी तरह से मजदूरों के साथ व्यवहार करते रहे और इसी तरह से प्रवासी मजदूर आश्रय स्थलों पर अव्यवस्था उनके द्वारा अपनाई जाती रही तो वास्तव में इससे सरकार की ही छवि खराब होंगी ।
क्योंकि सरकार का चेहरा उसके प्रशासनिक अधिकारी ही होते हैं ।
प्रशासन स्तर पर मजदूरों को जब इतनी समस्याओं का सामना करना पड रहा हैं। जब कोविड 19 महामारी के चलते सरकार की ओर से मजदूरों के लिए उचित प्रबंध कराने हेतु प्रशासन को पूरा बजट दिया जा रहा है, पूरी सहायता दी जा रही है।
उसके बाद भी प्रशासन अगर इन मजदूरों के लिए सही व्यवस्थाएं नहीं बना पा रहा है तो क्या सरकार इन प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यो पर नजर बंद करके बैठी ? या प्रशासन के द्वारा जो कोविड 19 के अंतर्गत होने वाले कार्यों का लेखा जोखा,आखो देखा विवरण सरकार को देने के लिए अधिकारी सरकार के द्वारा नियुक्त किए गए हैं उन अधिकारियों की कार्यशैली में कहीं बड़ी कोताही हैं ? यहा बड़े सवाल मजदूरों के लिए की जा रहीं व्यवस्थाओं में हो रही प्रशासन की लापरवाही खड़े कर रही है ।
अरविंद कुमार