अब लाइलाज नहीं रह गया कैंसर-डा सोनिया तिवारी
सौरभ सिंह सोमवंशी।
विश्व कैंसर दिवस विशेष
प्रयागराज। आज विश्व कैंसर दिवस है जो पूरे देश में और विदेश में कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और भ्रांतियां को दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है,लोगों को बताया जाता है कि कैंसर अब लाइलाज नहीं रहा गया है। कैंसर का मतलब ये नहीं है कि ये जिसको हो गया है उसकी जान चली जाएगी। इस तरह की भ्रांतियों को समाज से दूर करने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को मनाया जाता है।इस बार की थीम है “क्लोज द केयर गैप” कैंसर के बारे में कुछ जानकारियां अपने पाठकों को बताने के लिए हमने प्रयागराज स्थित कमला नेहरु क्षेत्रीय कैंसर संस्थान की कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सोनिया तिवारी से बातचीत की जो आपके सामने प्रस्तुत है।

1 कैंसर क्या है?
मानव शरीर कई अनगिनत कोशिकाओं यानी सैल्स से बना हुआ है और इन कोशिकाओं में निरंतर ही विभाजन होता रहता है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसपर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। लेकिन कभी-कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाएं बेहिसाब तरीके से बढ़ने लगती है तो उसे कैंसर कहा जाता है।
जो कई प्रकार का होता है।
ब्लड कैंसर
लोगों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में ब्लड कैंसर सबसे आगे है। इस कैंसर में व्यक्ति के शरीर की रक्त कोशिकाओं में कैंसर पैदा होने लगता हैऔर इसी के चलते शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और कैंसर बहुत तेजी से शरीर में संक्रमित होना शुरू हो जाता है।
फेफड़ों का कैंसर
फेफड़ों के कैंसर में व्यक्ति की स्थिति बहुत दयनीय और खराब हो जाती है। सांस लेने में परेशानी, बलगम जमने की दिक्कत, हड्डियों-जोड़ों में बेहिसाब दर्द और भूख ना लगना इसके प्रमुख लक्षण हैं । शरीर में भारी कमजोरी का आभास होता है । हर समय बेवजह ही थकान लगी रहती है । फेफड़ों के कैंसर के बढ़ने की वजह धुम्रपान है।

ब्रेन कैंसर
ब्रेन कैंसर व्यक्ति के सिर वाले भाग में पनपता है । ब्रेन कैंसर का ही दूसरा नाम ब्रेन ट्यूमर भी है । इस कैंसर वाले रोगी के दिमाग वाले भाग में एक ट्यूमर यानि गांठ बन जाती है और यह गांठ समय के साथ-साथ बड़ी होने लगती है और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाती है ।
स्तन कैंसर
स्तन कैंसर या जिसे ब्रैस्ट कैंसर भी कहते हैं, यह विशेषकर महिलाओं को होता है, परंतु ऐसा नहीं है कि यह पुरुषों को नहीं हो सकता । इस कैंसर से ग्रसित औरतों के स्तन में एक प्रकार की गांठ बननी शुरु हो जाती है, जो धीरे-धीरे समयानुसार बढ़ने लगती है । यदि इससे बचाव करना है तो नियमित रूप से स्तन की जांच करवाते रहें।
चर्म यानि स्किन कैंसर
चर्म कैंसर यानि स्किन कैंसर के मामले भी देश में बहुत तेजी से सामने आए हैं । डॉक्टर्स का कहना है कि स्किन कैंसर बहुत अधिक गर्मी में रहने, उचित भोजन न करने और शून्य शारीरिक गतिविधि न करने से शरीर में पनपता है । स्किन कैंसर हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है ।
2.कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या है?
शरीर के किसी भी हिस्से पर गांठ होना जो अनियंत्रित रूप से बढ़ रही हो। मुंह या शरीर के किसी हिस्से में घाव का होना, त्वचा पर मस्सा जिसमें लगातार परिवर्तन हो रहा हो, आवाज में बदलाव होना, लंबे समय तक खासी जिसमें खून आ रहा हो पेशाब से खून आना मल मूत्र से खून आना इसके अलावा सर में दर्द होना ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है।
3.क्या सभी तरह की गांठे कैंसर है?
यहां पर यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि हर तरह की गांठ कैंसर नहीं होती है। परंतु अनियंत्रित रूप से यदि गांठ बढ़ रही है या फिर उसमें अचानक बदलाव आ रहा है खून आ रहा है,फट जा रही है जैसा ब्रेस्ट कैंसर के मामले में होता है तो वह कैंसर हो सकता है।
4.कैंसर के बारे में सबसे बड़ी भ्रांति है कि इसके हो जाने के बाद मौत निश्चित है।
यह पूरी तरह से भ्रांति है यह पूरी तरह से मिथ्या भी है। वास्तव में कैंसर की कुल चार अवस्थाएं होती हैं। प्रथम द्वितीय तृतीय और चतुर्थ। पहली और दूसरी अवस्था को प्रारंभिक अवस्था कहा जाता है जिसमें 80 से 90% लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं तीसरी अवस्था में कैंसर उस अंग के आसपास फैल जाता है और चौथी अवस्था में कैंसर उस अंग के अलावा दूसरे हिस्से में भी फैल जाता है। तीसरे अवस्था में भी 30 से 40% लोग ठीक हो जाते हैं और चौथी अवस्था में भी मरीज के सही होने की गुंजाइश होती है। इसके अलावा उसके जीवन को शांतिप्रिय और सुगम बना करके उसकी उम्र को तीन-चार वर्षों तक चलाया जा सकता है इस तरह से यह पूरी तरह से मिथ्या है कि कैंसर हो जाने के बाद मौत निश्चित है।
5.क्या कैंसर छूने से फैलता है?
अक्सर देखा जाता है कि कैंसर हो जाने के बाद घर परिवार वाले भी मरीज से दूरी बना लेते हैं जो पूरी तरह से गलत है कैंसर का छूने या संपर्क में रहने से कोई संबंध नहीं है यह साथ बैठने उठने या सामाजिक रूप से नहीं फैलता है।
6.कैसर के गरीब मरीजों के लिए सरकार की तरफ से क्या योजनाएं हैं?
कैंसर के मरीज यदि आर्थिक रुप से कमजोर हैं तो उसके लिए सरकार ने तमाम सारी योजनाएं चलाई हैं। जैसे आयुष्मान योजना इसके अलावा सांसद निधि, विधायक निधि के अलावा कई तरह के फंड सरकार के पास होते हैं, इन सबके अलावा कुछ एनजीओ भी हैं जो इलाज में लोगों की मदद करते हैं।
इसके अलावा यह भी है कि कैंसर का पता चल जाने के बाद लोग आयुर्वेद और होमियोपैथी की ओर चले जाती हैं तब तक वह एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है जो खतरनाक है इस लोगों को केवल इलाज पर ध्यान देना चाहिए।