..ताकि फिर कोई वायरस इंसानी बम न बन सके!

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ऋतुपर्ण दवे

अब इस बात में शक नहीं कि दुनिया भर में चीन की करतूत का वायरस दो रास्तों से फैल रहा था। राष्ट्रीय राजधानी की खास जगह निजामुद्दीन से सामने आए सच ने पूरे भारत को बड़ी चिन्ता में डाल दिया है। आगे चलकर इस बात को लेकर भी बड़ी बहस तय है कि क्या चीन और तबलीगी जमात के मालिक-मुखियाओं का कोई सीक्रेट कनेक्शन तो नहीं? पूरे भारत में इस जमात के लोग जहाँ-तहाँ अक्सर देखे जाते हैं। यह सामान्य-सा है लेकिन सवाल बस इतना है कि जब दुनिया कोरोना वायरस को लेकर डरी हुई थी, बड़े-बड़े एलर्ट थे तो निजामुद्दीन में इनकी जुटती भीड़ को लेकर कोई शक-सुबहा हुई क्यों नहीं हुई? यकीनन यह बड़ी चूक है जो शासन-प्रशासन और इण्टीलेंस के लिए आगे सिरदर्द बनना तय है।

अब यह साफ है कि निजामुद्दीन मरकज का इलाका भारत में कोरोना वायरस का एपीसेण्टर हो चुका है लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि देश के ऊपर आन पड़े इस संकट से उबरा कैसे जाए?ध्यान रखना होगा कि यह वक्त एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों या सफाई देने का नहीं है। फिलहाल निजामुद्दीन के तबलीगी जमात में शामिल लोग जिस रास्ते से लौटे, ट्रेन या बस जो भी हो उसकी जानकारी इकट्ठा हो ताकि नियंत्रण के लिए कुछ किया जा सके। इसके लिए हर किसी की जिम्मेदारी बनती है कि अगर उन्हें पता हो तो तत्काल स्थानीय प्रशासन, पुलिस या  हेल्पलाइन नंबर पर जानकारी देकर महामारी का फैलाव रोकें और खुद-ब-खुद अपने इलाके को सुरक्षित करें।

हालांकि चौंकाने वाली सच्चाई भी पता चली है जिसमें तब्लीगी मरकज दिल्ली के प्रमुख का एक आपत्तिजनक वीडियो व ऑडियो संदेश वायरल होने का मामला सामने आया है। यूट्यूब चैनल के जरिए मरकज प्रमुख पर अपने एक संदेश में लोगों को कोरोना संक्रमण के दौरान सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ मस्जिद में जमा होने के लिए उकसाने का आरोप है। जो नई-नई सच्चाई सामने आ रही है उससे काफी डर भी फैल रहा है। इस जमात के लोग भारत आने से ठीक पहले दुनिया के दूसरे देशों में भी इस धार्मिक यात्रा पर गए थे। एक प्रतिष्ठित समाचार चैनल के जाने-माने एंकर का ट्वीट तो और भी डराता है जिसमें दिल्ली पुलिस के हवाले से कहा गया है कि जब निजामुद्दीन इलाके से कई संदिग्ध लोगों को मेडिकल जाँच कराने के लिए बस में बैठाया जा रहा था तब वे जानबूझकर बस की खिड़कियों से नीचे थूक रहे थे। ये वाकई में बेहद चौंकाने वाला मामला बनता जा रहा है।पूरे मामले में देश के सभी मुसलमानों पर शक करना ठीक नहीं।

तमाम मौकों पर कौमी एकजुटता की सैकड़ों मिसालें देखी गई हैं। ऐसे में यह वक्त केवल धीरज से काटने का है और किसी भी तरह की भड़काऊ बातों या हरकतों से बचने का है। कुछ सिरफिरों के चलते सब पर उंगली उठाना बिल्कुल लाजिमी नहीं है। बावजूद इसके जमात के नाम पर बाहर के कुछ खास देशों से आए लोगों से जरूर सख्ती से पूछताछ होनी चाहिए। हो सकता है इससे कोई बड़ी सच्चाई देश और दुनिया के सामने आए। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस साल करीब 2100 विदेशी तबलीगी जमात के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए भारत आए। इनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, किर्गिस्तान जैसे देशों के लोग शामिल हैं।दिल्ली के इस कार्यक्रम के बाद जो जमाती राज्यों में लौटे उनकी संख्या को लेकर भी आंकड़े अलग-अलग आ रहे हैं। जबकि विदेश से आए लोगों की संख्या 824 बताई जा रही है। इसके अलावा तमिलनाडु 501, असम 216, उत्तर प्रदेश 156, हरियाणा 192, महाराष्ट्र 109, मध्य प्रदेश 107, कश्मीर 100, बिहार 86, हैदराबाद 55, झारखंड 46, कर्नाटक 45, उत्तराखंड 34, अंडमान 21, राजस्थान 19, हिमाचल 17, केरल 15, ओडिशा 15, पंजाब 09, पुड्डुचेरी 6, मेघालय के 05 जमाती अपने राज्यों को वापस लौट गए हैं। सभी की पहचान की जा रही है तथा कई की हो चुकी है। चिन्ताजनक यह है कि इन्हीं में बहुतों को कोरोना पॉजिटिव निकल रहा है।

मामला उजागर होते ही दिल्ली प्रशासन ने 1888 लोगों को मरकज से बाहर निकाला, जिसमें 441 में कोरोना लक्षण मिले वहीं 24 के संक्रमित होने की पुष्ट भी हुई। कोई डेढ़ हजार लोगों को क्वारंटाइन सेण्टर पर भेजा गया। वहीं राज्यों में जमात से लौटे लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने के बढ़ते आंकड़े बेहद चिन्ताजनक हैं।समूची दुनिया पर आए इस संकट के बीच सरकार के साथ बिना किसी तर्क-वितर्क के सभी को खड़ा होना चाहिए। यह वक्त है जब सबको मिलकर न केवल तय करना होगा बल्कि मानना भी होगा कि धार्मिक कार्यक्रमों व आयोजनों के मौकों या अंतर्राष्ट्रीय मौकों पर या ऐसे केन्द्रों को जहाँ पूरे साल धार्मिक गतिविधियों में देश-विदेश के लोग बड़ी संख्या में जुटते हैं, पूरी तरह से आर्टिफीशियल इण्टेलीजेंस से लैस किए जाएँ। हर आने-जाने वाले पर निगाह रखी जाए। सीसीटीवी कैमरों की अनिवार्यता की जाए। इसको लेकर किसी भी तरह की आपत्ति को सख्ती से खारिज किया जाए। तत्काल इस दिशा में शुरुआत हो और ऐसा अध्यादेश लाया जाए जिससे देश के सारे धार्मिक या श्रध्दा केन्द्रों तथा उनके आसपास सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं जिनका सीधा संपर्क जिले व उस क्षेत्र के थानों से हो।

ताकि कब, कहाँ कितनी भीड़ इकट्ठी हो रही है, किस तरह के लोग आ-जा रहे हैं, वो देशी हैं या विदेशी हैं इस बात की पहचान भी हो सकेगी और उनका रिकॉर्ड भी रखा जा सकेगा। वैसे अभी भी देश में कई धार्मिक स्थानों पर स्वतः इसकी संचालन समितियों ने कैमरे लगा रखे हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जहाँ रूढ़िवादिता या धार्मिक कट्टरता की दुहाई पर कैमरों से परहेज किया जाता है।जब अत्याधुनिक तकनीक के दौर में रोजमर्रा के कामकाज में तकनीक के भरपूर उपयोग से कोई गुरेज नहीं करता तो किसी धार्मिक स्थान पर इकट्ठे होने व धार्मिक गतिविधियों को छुपाने या गोपनीय रखने का तुक बचकाना ही है। यह दायित्व भी बड़े-बड़े आयोजनों को करने वाले धार्मिक संगठनों को तत्काल देना होगा कि ऐसे स्थान चाहे वो किसी भी धर्म के क्यों न हो बिना आर्टीफीशियल इण्टेलीजेंस से लैस हुए बिना नहीं चल पाएंगे। इस बात की सख्ती होनी ही चाहिए।

इसके लिए यही उचित समय है और सरकार को तुरंत ही फैसला भी लेना चाहिए। सवाल किसी की धार्मिक आस्था को लांघने, चोट पहुँचाने या सवालों में खड़ा करने का नहीं है। वक्त है समय के साथ सोच बदलने का, फैसला लेने और स्वयं आगे बढ़कर पालन करने का। दुनिया में दूसरा कोई कोरोना मानव बम की शक्ल ले पाए इसके पहले ही इंसानियत को सवालों में घेरने वाले मामलों पर बेहद सख्ती हो।(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)


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