नौ दिवसीय रामकथा संपन्न

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रिपोर्ट – ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह जिला ब्यूरोचीफ सुलतानपुर ।

अवध सैंया मोरि छोड़ो न बहिंया-राजन जी जीवन लक्ष्य की प्राप्ति तक, विश्राम की सोच नहीं करना चाहिए, नौ दिवसीय राम कथा के विश्राम दिवस सीता खोज, हनुमान जी से भेंट, सुग्रीव से मित्रता, दशानन वध, अयोध्या धाम वापसी और राजतिलक की कथा संपन्न।

अमेठी। शनिवार को अमेठी जिला मुख्यालय के गौरीगंज में विधायक राकेश सिंह के व्यवस्थापन में उनके निवास मंगलम परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के विश्राम दिवस पर माता सीता की खोज, हनुमान जी से भेंट, सुग्रीव से मित्रता, दशानन वध, अयोध्या धाम वापसी और राजतिलक की कथा को पूर्ण करते हुये श्रोताओं को राम कथा मर्मज्ञ पूज्य राजन जी महाराज ने हनुमान जी के चरित्र के वर्णन करते हुए बताई। हनुमान जी ने सुग्रीव के पास ऋष्यमूक पर्वत पर ले जाने के लिए पीठ पर बैठाने का मर्म बताते हुए कहा कि पीठ पर ही बैठेंगे तो मुझे पकड़े रहेंगें और जिसको प्रभु पकड़े रहें उसे दुनिया की कोई ताकत गिरा ही नहीं सकती।झांसी के ओरछा की रानी बृषभानु कुँवरि द्वारा गाये जाने वाले भजन “अवध सैंया मोरि छोड़ो न बहिंया” के माध्यम से इसे समझाते हुए भाव विभोर कर दिया। सुग्रीव से मित्रता, बालि वध, अंगद को युवराज बनाने के बाद सुग्रीव के राजपाट में लग भगवान के कार्य मां सीता की खोज की शुरूआत करना भूल गए, इसका चित्रण करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान तभी तक याद रहते हैं जब तक जीवन में दुःख बने रहते हैं। यहां कृष्ण के कुन्ती को वर देने के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि कुन्ती ने कृष्ण से जीवन में दुःख समाप्त न होने का वरदान मांगा ताकि भगवान को भूल न पायें। सीता की खोज में निकले जामवंत व हनुमानजी से जटायु के भाई सम्पाती की भेंट, उनके बताये हुए स्थान 100 जोजन अर्थात 1200 किमी दूर त्रिकुट पर्वत पर बसी लंका के लिये हनुमानजी के प्रस्थान के समय जामवंत के द्वारा ‘पवन तनय बल पवन समाना.., कौन सो काजु कठिन जग मांही.., राम काजु लगि तव अवतारा.., के माध्यम से हनुमानजी को राम काज के लिए प्रेरित करने के प्रसंग में राजन जी बताया कि युवा शक्ति के प्रयोग करने के दौरान श्रेष्ठ जन की सलाह आवश्यक है। मैनाक पर्वत के प्रसंग में ‘राम काजु कीन्हे बिना मोहि कहां विश्राम’ युवाओं को प्रेरित किया कि जो लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें अनवरत परिश्रम करना चाहिए। सुरसा, सिंहिका, लंकिनी, विभीषण जी से मुलाकात, त्रिजटा के प्रसंगों का चित्रण करते हुए सीता जी से हनुमान जी मिलने के सुखद संवाद के बाद अशोक वाटिका में हनुमानजी के तांडव, अक्षय कुमार के वध, लंका दहन, सीता जी की आज्ञा व आशीर्वाद लेकर वापसी, प्रभु को खबर देना जैसे प्रसंगों में हनुमानजी के चित्रण से श्रोताओं में रोमांच दिखा। राम सेना के लंका प्रस्थान, विभीषण से मैत्री व उनका राज्याभिषेक, राम सेतु निर्माण, अंगद के मैत्री दूत के रूप में रावण के पास जाकर समझाने के बाद न मानने पर युद्व, सैन्य समेत रावण वध और पुष्पक विमान से वापसी और राज्याभिषेक की कथा कहते हुए राजन जी ने कथा को विश्राम दिया। “बजरंगी लाये खबरिया, राम आते नगरिया”, “आई गये रघुनंदन, सजवा दो वन्दन द्वार”, सीताराम जी को प्यारी राजधानी लागै”, “राजा बने रघुरैया, अवध में बाजे बधइया”, राजे भी देखे महाराजे भी देखे, मेरे राम जैसा कोई राजा न देखा” जैसे भजनों व गीतों से पूरा पण्डाल भक्ति भाव से सराबोर हो गया। आज की कथा में उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, एम एल सी राज पाल कश्यप, विधायक ऊंचाहार मनोज पांडेय, अमेठी विधायक प्रतिनिधि अनंत विक्रम सिंह, प्रमुख तिलोई मुन्ना सिंह सहित हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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