न्यूज़ रायबरेली:राष्ट्रीय बालिका दिवस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में आयोजित हुई संगोष्ठी
राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में गोष्ठी आयोजित हुई | गोष्ठी की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने की । इसके साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में
रैली का आयोजन किया गया जिसे हरी झंडी दिखाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने से रवाना किया ।
उन्होंने कहा कि हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है | इस दिवस को मनाने का उद्देश्य देश में बालिकाओं के प्रति होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरूक करना है | साल 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस दिवस की शुरुआत की गई थी |
गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध), अधिनियम(पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1994 के नोडल अधिकारी डा. अरविंद कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए “बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ,” “सुमंगला योजना” जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं है।लड़के की चाह में परिवार वाले भ्रूण हत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। इसे रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट,1994 लागू किया गया है और मुखबिर योजना चलायी जा रही है है। इसके साथ ही चिकित्सीय गर्भसमापन संशोधन अधिनियम (एमटीपी एक्ट) 2021 भी लागू किया गया है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट,1994 के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है। इसके साथ ही www.pyaribitia.com पर अल्ट्रासाउंड केंद्र द्वारा फॉर्म-एफ भरकर अपलोड किया जाता है । इसमें अल्ट्रासाउंड करने और करवाने वाले का सारा विवरण होता है और एक पंजीकरण नंबर भी होता है । इस माध्यम से अल्ट्रासाउंड करवाने के उद्देश्य का भी पता चलता है ।
एक बेहतर भविष्य के लिये बालिकाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है, तभी एक स्वस्थ समाज बन सकता है । सरकार की ओर से चल रही “मुखबिर योजना’ से जुड़कर लिंग चयन/भ्रूण हत्या/अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों/ संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज में सरकार से सहायता प्राप्त की जा सकती है ।
लिंग निर्धारण के लिए प्रेरित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों / नियमों के उल्लंघन के लिए कारावास एवं सजा का प्रावधान है । लिंग जांच करके बताने वाले को 5 साल की सजा या एक लाख का जुर्माना है और जो व्यक्ति भ्रूण लिंग जांच करवाता है उस को 5 साल की सजा या 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
इस मौके पर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डी. एस.अस्थाना, अनिल कुमार पांडे, पीसीपीएनडीटी एक्ट के जिला समन्वयक अखिलेश कुमार त्रिपाठी, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक विनय कुमार एवं अजय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे |