न्यूज़ लखनऊ:यूपी में मलेरिया के मरीज घटे, जांच में हुआ इजाफा

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया की जांच दर जहां लगभग दोगुनी कर दी है वहीं इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या एक चौथाई रह गई है।
निदेशक, संचारी रोग डॉ.ए.के.सिंह ने बताया कि मॉनसून एवं मॉनसून के बाद मच्छरों की तादाद अचानक से बढ़ने लगती है। मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2027 निर्धारित है। इसी के मद्देनजर हर वर्ष एक से 30 जून तक मलेरियारोधी माह मनाया जाता है। इस माह का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है। साथ ही विभाग व स्वयंसेवी संस्थाएं विविध गतिविधियां करती हैं। उन्होंने बताया कि मलेरिया मच्छरजनित बीमारी है। मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर बुखार आता है। मलेरिया रोधी माह में लोगों को अलग-अलग तरीकों से मलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। मलेरिया के रोगियों की संख्या भी दिन प्रति दिन कम होती दिख रही है।
डॉ. विकास सिंघल, संयुक्त निदेशक, वीबीडी ने बताया कि वर्ष 2020 में 27,76,349 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वहीं जांच की संख्या दोगुनी बढ़ाते हुए वर्ष 2022 में 83,22,741 लोगों की जांच की गई। इस बीमारी से वर्ष 2020 में 28668 लोग संक्रमित हुए थे जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर 7039 हो गई। वर्ष 2019 में 58,54,414, वर्ष 2021 में 42,45,089 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वर्ष 2019 में कुल 92,732 और वर्ष 2021 में 10792 लोग मलेरिया संक्रमित मिले थे।

लक्षण
• सिर में तेज दर्द होना
• उल्टी होना या जी मचलना
• ठंड के साथ ज़ोर कंपकंपी होना और कुछ देर बाद सामान्य हो जाना
• कमजोरी और थकान महसूस होना
• शरीर में खून की कमी होना
• मांसपेशियों में दर्द होना
• बुखार उतरते समय पसीना आना

उपाय —
रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दे। गमलों, छत पर पड़े पुराने टायर, प्रयोग में न आने वाली सामग्री में पानी को एकत्र न होने दें, कूलर का पानी जल्दी-जल्दी बदलते रहें, कूलर के पानी में समय-समय पर मिट्टी का तेल डालते रहें। घर के आस-पास जल एकत्रित न होने दें। सोते समय मच्छरदानी, मच्छररोधी क्वायल आदि का प्रयोग करें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहने जिससे शरीर के अधिक से अधिक हिस्से को ढक कर रखा जाए और मच्छरों से बचाव किया जाए। बुखार आने पर स्वयं कोई इलाज न कर आशा दीदी से संपर्क करें या पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और इलाज कराएं

यह होंगी गतिविधियां
गांवों में ग्रामीण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से रोग से बचाव, उपचार और समय से रोगी का संदर्भन किया जाएगा। साथ ही ज्यादा मच्छर वाले इलाकों की सूची बनाकर दवा का छिड़काव और इलाके व मरीज की सतत निगरानी की जाएगी। हर रविवार, मच्छर पर वार अभियान को और प्रभावशाली बनाया जाएगा। स्वास्थ्य टीम के जरिए जांच की दर और बढ़ाई जाएगी। साथ ही मरीज का समय से इलाज शुरू करना सुनिश्चित जाएगा।

प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया की जांच दर जहां लगभग दोगुनी कर दी है वहीं इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या एक चौथाई रह गई है।
निदेशक, संचारी रोग डॉ.ए.के.सिंह ने बताया कि मॉनसून एवं मॉनसून के बाद मच्छरों की तादाद अचानक से बढ़ने लगती है। मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2027 निर्धारित है। इसी के मद्देनजर हर वर्ष एक से 30 जून तक मलेरियारोधी माह मनाया जाता है। इस माह का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है। साथ ही विभाग व स्वयंसेवी संस्थाएं विविध गतिविधियां करती हैं। उन्होंने बताया कि मलेरिया मच्छरजनित बीमारी है। मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर बुखार आता है। मलेरिया रोधी माह में लोगों को अलग-अलग तरीकों से मलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। मलेरिया के रोगियों की संख्या भी दिन प्रति दिन कम होती दिख रही है।
डॉ. विकास सिंघल, संयुक्त निदेशक, वीबीडी ने बताया कि वर्ष 2020 में 27,76,349 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वहीं जांच की संख्या दोगुनी बढ़ाते हुए वर्ष 2022 में 83,22,741 लोगों की जांच की गई। इस बीमारी से वर्ष 2020 में 28668 लोग संक्रमित हुए थे जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर 7039 हो गई। वर्ष 2019 में 58,54,414, वर्ष 2021 में 42,45,089 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वर्ष 2019 में कुल 92,732 और वर्ष 2021 में 10792 लोग मलेरिया संक्रमित मिले थे।

लक्षण
• सिर में तेज दर्द होना
• उल्टी होना या जी मचलना
• ठंड के साथ ज़ोर कंपकंपी होना और कुछ देर बाद सामान्य हो जाना
• कमजोरी और थकान महसूस होना
• शरीर में खून की कमी होना
• मांसपेशियों में दर्द होना
• बुखार उतरते समय पसीना आना

उपाय —
रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दे। गमलों, छत पर पड़े पुराने टायर, प्रयोग में न आने वाली सामग्री में पानी को एकत्र न होने दें, कूलर का पानी जल्दी-जल्दी बदलते रहें, कूलर के पानी में समय-समय पर मिट्टी का तेल डालते रहें। घर के आस-पास जल एकत्रित न होने दें। सोते समय मच्छरदानी, मच्छररोधी क्वायल आदि का प्रयोग करें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहने जिससे शरीर के अधिक से अधिक हिस्से को ढक कर रखा जाए और मच्छरों से बचाव किया जाए। बुखार आने पर स्वयं कोई इलाज न कर आशा दीदी से संपर्क करें या पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और इलाज कराएं

यह होंगी गतिविधियां
गांवों में ग्रामीण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से रोग से बचाव, उपचार और समय से रोगी का संदर्भन किया जाएगा। साथ ही ज्यादा मच्छर वाले इलाकों की सूची बनाकर दवा का छिड़काव और इलाके व मरीज की सतत निगरानी की जाएगी। हर रविवार, मच्छर पर वार अभियान को और प्रभावशाली बनाया जाएगा। स्वास्थ्य टीम के जरिए जांच की दर और बढ़ाई जाएगी। साथ ही मरीज का समय से इलाज शुरू करना सुनिश्चित जाएगा।


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