अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से राष्ट्र कल्याण संभव है -डॉक्टर मदन मोहन मिस्त्री

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बेनीमाधव सिंह।

विज्ञान कृति का विश्लेषण करता है जबकी अध्यात्म कर्ता का अन्वेषण करता है। विज्ञान के बल पर आदमी आकाश में पक्षी की तरह उड़ सकता है। मछली की तरह जल में तैर सकता है ,किंतु अध्यात्म के अभाव में आदमी की तरह धरती पर नहीं चल पाता ।विज्ञान गतिशील बनाता है जबकि अध्यात्म संवेदनशील बनाता है। उक्त बातें शकलदीपा पाटन के मानस महायज्ञ में काशी से पधारे हुए डॉक्टर मदन मोहन मिश्र ने व्यक्त किया ।आपने आगे कहा कि जब लोभ रूपी मंथरा क्रिया शक्ति कैकई के जीवन में आएगी तो निश्चित रूप से अशाति आएगी और काम का साम्राज्य आएगा ।जिस प्रकार से नीव के ईट को कोई नहीं देखता है उसी प्रकार कैकेई रामराज के न्यू की ईट है ।कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है। जब कहीं भी कुमति प्राप्त होती है तो विपत्ति का आना स्वाभाविक है ।गोरखपुर से पधारे हुए गीता भागवत रामायण के राष्ट्रीय कथाकार हेमंत तिवारी ने कहा कि कौशल्या ज्ञान सकती है सुमित्रा उपासना सकती है, कैकई क्रिया सकती है ।आलोचना जब होगी काम करने वालों की होगी उपासना और ज्ञान की आलोचना कौन करेगा क्रिया शक्ति कैकई ने श्रीराम को वन भेजकर राष्ट्र का बहुत बड़ा कल्याण किया। कैकेई ने कहा धर्म के चार चरण हैं -सत्य दया ,दान तपका आचरण आप स्वय करे । करें तपस्या राम करें ,दया मेरे ऊपर हो राज्य मेरे बेटे भरत को दिया जाए। दशरथ जी के यह कहने पर श्री राम तो साधु हैं कैकई ने कहा साधु को तो वन में ही रहना चाहिए ।बीच-बीच में शास्त्रीय ढंग से सु मधुर भजनों की प्रस्तुति कर भक्ति रस से सब को अनुप्राणित कर दिया उसमें मणिकांचन संजोग के रूप में बहुत प्रसिद्ध तबला वादक रमापति जी के द्वारा ऐसी मधुर ध्वनि निकाली गई जिससे श्रोता भाव विभोर हो गए ।ईश्वर पांडे ने ज्ञान की महिमा पर प्रकाश डाला सभा में कृष्ण मोहन पांडे मुक्तेश्वर पांडे महेंद्र पांडे सुदर्शन सिंह प्रयाग सिंह प्रदीप द्विवेदी महेंद्र पानडेय के अलावे कई लोग उपस्थित थे मंच संचालन राम विनय पांडे ने किया।


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