आत्मनिर्भर भारत की संकल्प को साकार कर रहा है नंदिनी गोधाम

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सौरभ सिंह सोमवंशी।

मऊ। तमाम झंझावातों के बावजूद नंदिनी गोधाम डेयरी एंड ऑर्गेनिक फार्म्स ने भारत निर्माण ख़ासकर ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित किया है। नंदिनी गोधाम उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के रानीपुर विकासखंड अंतर्गत बस्ती ग्राम में स्थित है। इस डेयरी की स्थापना तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के कामधेनु योजना के अंतर्गत हुई थी। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में १०० गायों की एक डेयरी स्थापित होनी थी। इस योजना के शुरुआती वर्ष (2013-2014) में पूरे प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक डेयरी खुली। पशुपालकों की रुचि को देखते हुए बाद के वर्षों में प्रदेश के हर जनपद में तीन से पाँच डेयरी और खोली गईं लेकिन उनमें से 90 फीसदी डेयरी, बाज़ार की कमी और संसाधनों के अभाव तथा अन्य-2 कारणों से बंद हो गईं। विपरीत परिस्थितियों में भी नंदिनी गोधाम डेयरी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और शुद्ध उत्पाद मुहैया कराने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा।

इस डेयरी के निदेशक वैसे तो हरिश्चंद सिंह जी हैं, लेकिन उनके सुपुत्र डॉ. शैलेंद्र प्रताप सिंह ‘मंटू’ ने अपने बुजुर्ग पिता का हाथ पूरी तरह थाम रखा है। डेयरी के कार्यकारी निदेशक शैलेंद्र प्रताप सिंह पूरे मऊ जनपद में अकादमिक रूप से बेहद समृद्ध हैं। उन्होंने तीन विषय से परास्नातक किया है, बीएड, एम.एड, एलएलबी, एम.फिल, पीएचडी तक उपाधि धारित की है। वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी हैं। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने स्नातक, परास्नातक और विधि स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरा किया है और पीएचडी की उपाधि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हासिल की है।

शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कामधेनु योजना को संचालित करने की बात जब अपने परिवार, शुभचिंतकों, मित्रों आदि से कि तो लोग उनका उपहास उड़ाते थे। लोग कहते थे कि इतना पढ़ लिखकर गाय भैंस और गोबर का काम करोगे? डेयरी चलाना आसान नहीं, पढ़े-लिखे लोगों को शैक्षिक संस्थान स्थापित करना चाहिए। इसी तरह की और भी तमाम बातें। यह बातें शुरुआती तीन वर्षों में काफ़ी हद तक ठीक साबित होती दिखीं। बाज़ार या पैकेजिंग प्लांट में कच्चे दूध की कीमत ठीक नहीं मिलती थी। नंदिनी डेयरी अपनी शुद्धता को लेकर एकदम प्रतिबद्ध है, इस वजह से उनका दूध बाजार मूल्य से महंगा भी पड़ता था। मजबूरन सस्ता देना पड़ता था तो घाटा होता था। ऐसी स्थिति में नंदिनी गोधाम ने मऊ शहर में सीधे उपभोक्ताओं तक शुद्ध दूध पहुँचाने की मुहिम शुरू की। डेयरी का दुग्ध वाहन सुबह और शाम शहर में जाने लगा तो सुधी ग्राहकों ने हाथों-हाथ लिया और देखते ही देखते नंदिनी गोधाम शुद्धता का पर्याय बन गया।

इन सबके बावजूद भी डेयरी संस्थान को अपने खर्चे निकालने में कठिनाई होती थी। अब, विगत तीन वर्षों से शैलेंद्र सिंह ने कच्चे दूध का उत्पाद बनाना शुरू कर दिया है। मसलन दही, घी, पनीर, गुलाबजामुन, रसगुल्ला, पेड़ा, बर्फी आदि। नंदिनी गोधाम में सामान्य देशी घी ₹1600 प्रति किलोग्राम और A2 देशी घी ₹3200 प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। पनीर ₹360 प्रति किलोग्राम है। इन वस्तुओं के निर्माण में उन्होंने शुद्धता और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया, यही वजह है कि उनके उत्पाद बाजार मूल्य से महंगे प्रतीत होते हैं। देखा जाय तो शुद्ध वस्तुओं का मूल्य नकली उत्पादों की तुलना में महंगा भले लगे, पर दीर्घकाल के लिए खासकर स्वास्थ्य की दृष्टि से उनका कोई मोल नहीं और यह बात नंदिनी गोधाम के ग्राहक बखूबी समझते हैं

नंदिनी गोधाम से अब जैविक उत्पादों की भी बिक्री होती है। जैविक खाद, गेहूँ, काला नमक चावल, बासमती चावल, देशी गुड़ आदि। इस तरह के नवाचारी व्यवस्था के संचालन से डॉ सिंह ने अपनी डेयरी को गतिमान बनाये रखा है। निरंतर होते घाटे के बावजूद शत-प्रतिशत शुद्ध उत्पाद और उत्तम गुणवत्ता के अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया है और अब धीरे धीरे अपने संस्थान को लाभप्रद बनाने की ओर अग्रसर हैं।

निदेशक शैलेंद्र सिंह

नंदिनी गोधाम के कार्यकारी निदेशक शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने डेयरी परिसर में उन्होंने 15-20 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दे रखा है जबकि आसपास के गाँवों के लगभग सौ परिवार किसी न किसी रूप में डेयरी संस्थान से जुड़े हुए हैं। नंदिनी गोधाम के उत्पादों की बढ़ती माँग को देखते हुए भविष्य में उनकी योजना दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के अलावा डेयरी परिसर में अन्य गतिविधियों के विस्तार की है जिसमें निःशुल्क किसान बाज़ार और युवाओं को ग्रामीण विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ना शामिल है।


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