विशेष : दो दशक तक कोलकाता में शिक्षक बन कर रहा था बंगबंधु (प्रधानमंत्री मुजीबुर रहमान) का हत्यारा, पत्नी को भी नहीं थी खबर

Share:

कोलकाता, 17 अप्रैल (हि.स.)। 40 साल की जरीन के सिर पर 8 अप्रैल को आसमान टूट पड़ा था जब उसे पता चला कि उसका 73 वर्षीय पति अहमद अली बांग्लादेश के मीरपुर में गिरफ्तार किया गया है और वह बांग्लादेश आर्मी का पूर्व कैप्टन अब्दुल माजिद है। वही माजिद जो बांग्लादेश में तख्तापलट कर प्रधानमंत्री मुजीबुर रहमान की हत्या करने वाले सैन्य अधिकारियों में से एक था। आखिरकार रहमान की हत्या के चार दशक बाद गत 12 अप्रैल को उसे फांसी पर लटका दिया गया है। अब्दुल मजीद अहमद अली के नाम से दो दशकों तक कोलकाता और पश्चिम बंगाल के दूसरे जिलों में एक शिक्षक और विनम्र धार्मिक इंसान के तौर पर रहा था। उसके पास अहमद अली के नाम से ही भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड भी थे। करीब एक दशक पहले उससे निकाह करने वाली जरीना को भी 8 अप्रैल को अखबारों से पता चला कि उसका पति दुनिया का मोस्ट वांटेड हत्यारा रहा है। अहमद अली 21 फरवरी को कोलकाता स्थित अपने घर से निकला था लेकिन दूसरे दिन तक जब वह वापस नहीं लौटा तो पत्नी ने स्थानीय थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में जब अखबारों से उसकी हकीकत पता चली तो वह सदमे में है। परिजन बताते हैं कि वह रह रह कर होश खो देती है और कभी कबार ही बोलती है। 

विधवा से की थी शादी-
पत्नी जरीना ने इस बात का खुलासा किया है कि करीब एक दशक पहले जब वह 31 साल की थी तब 64 साल के अहम्मद अली से निकाह की थी। जरीना पढ़ी लिखी नहीं हैं और राजधानी कोलकाता से 55 किलोमीटर दूर हावड़ा जिले के उलूबेरिया में एक गरीब परिवार की विधवा महिला थी। एक बेटी के जन्म के बाद पहले पति की मौत हो गई थी। दो सालों बाद पड़ोसी ने अहमद अली से निकाह के लिए जरीना के परिवार के पास रिश्ता लाया था। वह विनम्र और धार्मिक शिक्षक के तौर पर लोकप्रिय था इसलिए जरीना के परिजनों ने उसके अतीत के बारे में बहुत अधिक खोज खबर नहीं ली और और निकाह हो गया। जरीना ने कहा, “मेरे शौहर अमूमन गुमसुम रहते थे और बहुत कम बोलते थे। मैंने कई बार उनसे उनके गांव और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में जानने की कोशिश की थी लेकिन वह गुस्सा हो जाते थे। हमारे पड़ोसी ने निकाह के लिए रिश्ता लाया था। हमें बताया गया था कि वह एक धार्मिक शख्स हैं, शिक्षक हैं और पांच वक्त नमाज अता करते हैं। शादी के बाद भी मैंने हमेशा उन्हें पांच वक्त की नमाज अता करते देखा था। अधिकतर समय खामोश रहते थे।” जरीना के परिजनों ने बताया कि उसके पहले पति की मौत एक बीमारी से हो गई थी। तब उसकी एक बेटी भी थी। दो सालों के बाद ही अहमद अली के साथ इस दूसरे रिश्ते का प्रस्ताव आया था। उसके अतीत के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन बहुत अधिक जानकारी नहीं मिल सकी। वह शिक्षक था और अच्छी रकम कमा लेता था। परिजनों को लगा कि जरीना को खुश रखेगा इसलिए निकाह हो गई। आठ अप्रैल को जब अखबारों से पता चला कि वह दुनिया के खूंखार हत्यारों में से एक था तब परिवार के पैरों तले से जमीन खिसकी हुई है। पहले पति से जरीना‌ की एक जवान बेटी है, जिसकी शादी होनी अभी बाकी है। 

दक्षिण कोलकाता के पॉश इलाके में रहता था मजीद-
शादी के बाद जरीना कोलकाता के बेडफोर्ड स्ट्रीट में स्थित अहमद अली के घर पर ही उसके साथ रहती थी। उसने कभी भी अपने किसी भी रिश्तेदार के बारे में बात नहीं की। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने बताया है कि वह 1996 में बांग्लादेश से फरार हो गया था। बाद में उसने भारत में दो पासपोर्ट बनाया। एक 2007 में और दूसरा 2017 में। दोनों ही पासपोर्ट और आधार कार्ड अहमद अली के नाम पर बने थे। प्रारंभिक तौर पर इस बात की पुष्टि हुई है कि पहला पासपोर्ट जो उसने बनाया था वह फर्जी था। उसमें पता के तौर पर मध्य कोलकाता के अलीमुद्दीन स्ट्रीट का जिक्र है। हालांकि दूसरा पासपोर्ट 24 मई 2017 को बनाया गया था जिसमें उसका पता दक्षिण कोलकाता के बेडफोर्ड स्ट्रीट का है। दोनों ही पासपोर्ट में उसके पत्नी का नाम सलेहा बेगम लिखा गया है और उसका जन्म वर्ष 1947 दर्ज था।

कोलकाता में चार लोगों ने बस स्टॉप तक किया था पीछा-
अब्दुल मजीद उर्फ अहमद अली 21 फरवरी को बीवी से यह कहकर घर से निकला था कि वह दवा खरीदने जा रहा है। उसके बाद लौटा ही नहीं। उसका फोन बंद था इसलिए दूसरे दिन जरीना ने पार्क स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज करा दी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में चार लोग बस स्टॉप तक उसका पीछा करते कैद हुए हैं, जिस बस में माजिद चढ़ा था उसी में वे चारों भी चढ़े। इसके बाद इनकी तस्वीरें पूरे कोलकाता के किसी भी सीसीटीवी में कैद नहीं हुई हैं। बाद में सात अप्रैल को जब बांग्लादेश में उसकी गिरफ्तारी हुई और अगले दिन यानी आठ अप्रैल को वहां की सरकार ने इस बात की घोषणा की कि अब्दुल माजिद को ढाका के पास मीरपुर से पकड़ा गया है, तब उसके बारे में पता चल सका। वह भी उसकी तस्वीरों से। अखबारों में जब उसकी तस्वीरें छपी और पूरी दुनिया में सुर्खियां बनी तब जरीना को भी इस बारे में जानकारी मिल सकी। 12 अप्रैल को फांसी से पहले उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया था कि वह 15 मार्च को हवाई मार्ग से बांग्लादेश आया था लेकिन उसके पासपोर्ट पर कोई स्टांप नहीं है। इसलिए माजिद अली का कोलकाता से दवा खरीदने के नाम पर गुमशुदा होना, चार लोगों का बस स्टॉप तक उसका पीछा करना और अचानक बांग्लादेश की सरकार द्वारा करीब एक पखवाड़े बाद उसकी गिरफ्तारी की घोषणा, पासपोर्ट पर किसी स्टांप का नहीं होना और हवाई जहाज से उसके बांग्लादेश जाने के दावे, रहस्यमय हैं। हालांकि ना तो उसकी पत्नी और ना ही उसके घर वाले इस रहस्य पर से पर्दा उठाने को लेकर दिलचस्पी रखते हैं।


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *