नवरात्र के आठवें दिन माॅं महागौरी की होती है आराधना
काशी में माॅं महागौरी माॅं अन्नपूर्णा के रूप में हैं विराजमान
माॅं अन्नपूर्णा की कृपा से काशी में नहीं रहता है कोई भी भूखा
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अपने इस रूप में मां आठ वर्ष की हैं. इसलिए नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजन की परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महागौरी की उपासना से इंसान को हर पाप से मुक्ति मिल जाती है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनको दर्शन देकर से मां का शरीर कांतिमय कर दिया तब से इनका नाम महागौरी पड़ा.
नवरात्र के आठवें दिन (अष्टमी) को माँ दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा होती है. यह रूप काशी की अधिष्ठात्री देवी माता अन्नपूर्णा भी हैं. इनके दर्शन पूजन करने से भक्त कभी दरिद्र नहीं होते. भक्तों पर माँ की असीम अनुकम्पा हमेशा रहती है. जिससे धन संपदा और अन्न की प्राप्ति होती है। महागौरी हमेशा काशी वासियों का कल्याण करती हैं. इनकी कृपा से काशीवासी कभी भूखे नहीं रहते. माँ का रूप पूरी तरह से गौर है माँ की सवारी वृषभ है. इनकी चार भुजाएं हैं. इनकी मुद्रा शांत और सौम्य है. इनके दर्शन के लिए भक्तों की जमकर भीड़ होती है. यह मंदिर अन्नपूर्णा मंदिर विश्वनाथ गली में स्थित है.
वृषभ पर सवार माता महागौरी का स्वरूप अत्यंत सौम्य एवं सुशील है. इनकी चार भुजाएं हैं. मान्यता है कि इस दिन माता महागौरी की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं पर मां की विशेष कृपा बरसती है. माता महागौरी को नारियल बेहद प्रिय है. इसलिए इस दिन उन्हें नारियल और नारियल से बनी मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से महागौरी बहुत प्रसन्न होती हैं.
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत होकर देवी महागौरी की संपूर्ण विधि से पूजा करें. सर्वप्रथम देवी की प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव करें. माता महागौरी के सामने धूप दीप प्रज्वलित करें. अब पंचामृत (कच्चा दूध, दही, शहद, शक्कर और पंचमेवा से निर्मित) वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण,पान, सुपारी, पुष्प-हार (संभव हो तो रात की रानी का फूल लें.) सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग आदि अर्पित करें, और निम्न मंत्र का जाप करें.
नवरात्र की अष्टमी के दिन कन्या-पूजन का विशेष महत्व है. कुछ लोग नवमी के दिन कन्या-पूजन करते हैं. मान्यता है कि 9 दिन व्रत रहने वालों के लिए कन्या पूजन जरूरी होता है, तभी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. देवी पुराण के अनुसार 2 से 10 साल की कन्याओं में दुर्गाजी वास करती हैं, इसलिए अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं और एक लड़के को पूरे मान-सम्मान के साथ भोजन करवा कर, उन्हें यथोचित उपहार देकर, उनके चरण स्पर्श उनका आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन का अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें।
महागौरी के मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
महागौरी स्तोत्र
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
माता महागौरी ध्यान
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
माता महागौरी कवच
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
इस तरह महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है !
✍️ डॉ अजय ओझा
चेयरमैन – भोजपुरी फाउंडेशन