जानें क्यो पक्षियों की तरह फडफडा रहें हैं हम?

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अरविंद कुमार

पक्षियों को पालने का शौक अमूमन कई लोगो में देखने को मिल जाता हैं। पक्षी पालना बुरी बात नहीं हैं मगर पक्षियों को पिंजरे में बंद करके पालना एक अपराध ही हैं ऐसा अगर आप किसी पक्षीपालक को बोल दे तो वह आपको अपने दुश्मन से कम नहीं मानता हैं। हो सकता हैं साथ ही आप पर हाथ भी साफ कर दे, पक्षियों को पिंजरे में बंद करके पालने वाले इस अपराध को , अपराध नही मानते हैं और तरह तरह के पक्षियों को पालते हैं ये पक्षीपालक इनके खाने पीने के समय का कैसे पालन करते हैं। क्या खाना इनको देते हैं यह सब इन की मर्जी पर निर्भर हैं, क्योकि पिंजरे में बंद यह पक्षी तो अपने मालिक को ना ही कुछ बोल सकते हैं न ही अपनी मर्जी का भोजन मांग सकते हैं, ऐसे में अगर इनका मालिक किसी कारण इनको खाना (दाना) देना भूल जाए या ना भी दे तो ये बेजुबान तो किसी से शिकायत भी नहीं कर सकते ।

घर एक कैद नहीं मिल झूल के रहने का आशियाना है एक

खुले गंगन के ये आजाद परिंदे कभी अपनी कैद का रोना नही रो पाते हैं, अपनी कैद के कारण ये पक्षी समय से पहले ही दम तोड़ देते हैं। मगर शौक बड़ी चीज हैं ऐसी कहावतो के सामने इन पक्षियों का दर्द कुछ भी नहीं हैं शायद। आज जब देश में कोरोना संक्रमण की वजह से देश में लाॅक डाउन चल रहा हैं। हम लोगों को संक्रमण से बचने के लिए, घरों में ही रहना हैं, तो फिर भी हम पिंजरे में बंद पक्षियों की तरह ही फडफडा रहें हैं, जबकि पिंजरे में कैद पक्षियों के फडफडाने पर हम खुश होते हैं। अगर इन पक्षियों की जगह हम अपने आप को रख कर देखेंगे तो क्या हम पर कोई ऐसा कोई अत्याचार हो रहा हैं जैसे हम इन पक्षियों पर करते हैं, न बल्कि हम इन पक्षियों को अपने मन चाहे आकार के पिंजरे में कैद करके रखते हैं ।

आज जब लाॅकडाउन हैं तो हम लोगों को अपने उन घरों में रहने में तकलीफ क्यो हो रहीं हैं जिनको हमने ही अपनी सुविधानुसार बनवाया हैं ? हमें हमारे मन पसंद खाने की आजादी भी हैं, सुबह शाम जरूरत की वस्तुए भी खरीद पा रहे हैं, अपने परिजनों के बीच रह रहें हैं, लेकिन फिर भी हमें लाॅकडाउन सबसे बड़ी समस्या दिखाई दे रहीं हैं , आखिर हम मानव इतने स्वार्थी और अनुशासनहीनता के परिचायक क्यो बनें हैं ? यह पता होते हुए भी की हम पर कुछ दिन के लिए कुछ पांबदिया लगीं हैं न की हम किसी पिंजरे मैं कैद है जिसमें हम पक्षियो को कैद करके रखते हैं ।
फिर क्यो हम लाॅकडाउन का पालन नहीं कर रहें? यदि हम मानव जाति पर मंडरा रहे कोरोना वायरस के खतरे को जानते हुए भी हम घरों में नहीं रह सकते तो हम उन बेजुबान पक्षियों को पिंजरे कैद करके क्यो रखते जिसका हक हमें हैं ही नहीं ?


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