झारखंड सरकार का क्या है सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोलस?

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डॉक्टर अजय ओझा ।

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स(एसडीजी) इंडिया इंडेक्स और मल्टीडाईमेंशनल प्रोवर्टी इंडेक्स( State-level Workshop on Sustainable Development Goals (SDG) India Index and Multidimensional Proverty Index) विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में शामिल हुए।

रांची 15 जुलाई 2021। किसी भी राज्य के लिए कार्य योजना बनाने से पहले उस राज्य में निवास करने वालों की मनःस्थिति को समझना आवश्यक होता है। पूरे देश में एक जैसा फार्मूला लागू करना उचित होगा की नही यह शोध और तर्क का विषय है । एक तर्क है की अपनी सभ्यता और संस्कृति के माध्यम से भी आगे बढ़ा जा सकता है। झारखण्ड में 40℅ से अधिक कुपोषित बच्चे आज भी हैं, 30% से अधिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने पर मजबूर हैं। आकंड़ों के अनुसार, झारखण्ड के 10 लाख श्रमिक मजदूरी करने अन्य राज्य जाते हैं, कई जिलों में तो खेती की जमीन समाप्त हो गई है। और तो और 80 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं। ऐसे में कैसे लोग आगे बढ़ने का रास्ता कैसे पायेंगे। इस पर कार्ययोजना अतिशीघ्र बनाने की आवश्यकता है। ये बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कही। श्री सोरेन नीति आयोग, भारत सरकार की सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स(एसडीजी) इंडिया इंडेक्स और मल्टीडाईमेंशनल प्रोवर्टी इंडेक्स विषय पर प्लानिंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट झारखण्ड सरकार द्वारा आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे।

राज्य के लिए क्या है चुनौतीपूर्ण ?

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, लोगों की आय में बढ़ोतरी, लैंगिक समानता जैसे विषयों पर कैसे आगे बढ़े। यह चुनौतीपूर्ण है। पूर्व में सिर्फ खनन और खनिज पर ही ध्यान केंद्रित किया गया और राज्य के दलित, वंचित और आदिवासी कई सवालों से घिरे रह गए। योजनाएं और बजट तो बनते हैं लेकिन वास्तविकता अलग है। सरकार के पास संसाधन सीमित हैं। सतत विकास की बात करें तो वर्तमान में जड़ को सशक्त करने की आवश्यकता है न कि टहनियों और पत्तों को। ग्रामीणों की क्रय शक्ति कैसे बढ़े। इसपर विचार करने की जरूरत है।

इसे वरदान कहें या अभिशाप

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल इंडिया के क्षेत्र में राज्य सरकार विकास का कार्य नहीं कर सकती। खनन प्रभावित क्षेत्र के लोग लाल पानी पीने को विवश हैं। यूरेनियम के खदान वाले क्षेत्र में बच्चे अपंग जन्म ले रहें हैं। ये वरदान है या अभिशाप। अगर इन सब का सही प्रबंधन हो तो इस राज्य को आगे बढ़ने से रोका नहीं जा सकता।

मनरेगा में मजदूरी और वनोउत्पाद दर बेहद कम

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत सबसे कम पारिश्रमिक झारखण्ड का है। जिससे ग्रामीण मनरेगा के तहत कार्य करना पसंद नहीं कर शहरों की ओर रुख करते हैं। केंद्र सरकार द्वारा वनोउत्पाद का जो मूल्य तय किया गया है। वह बेहद कम है। आदिवासी सदियों से जंगल में रहते आ रहें हैं। जंगल उनकी आजीविका का साधन भी है। ऐसे में आदिवासी अगर वनोउत्पाद के साथ पाये जाते हैं तो पुलिस उनपर वनों को लेकर बनाये गए कानून के तहत कार्यवाई करती है, इससे उन्हें परेशानी हो रही है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ट्वीट

कार्यशाला में वित्त मंत्री श्री रामेश्वर उरांव, मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त श्री अरुण कुमार सिंह,  मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार चौबे, नीति आयोग की सलाहकार सुश्री संयुक्ता समाना व अन्य उपस्थित थे।


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