जल्दबाजी में बार बार पटरी से उतरती ट्रायल ट्रेनें !

Share:


डॉ भुवनेश्वर गर्ग, हेल्थ एडिटर
drbgarg@gmail.com

वालंटियर में गंभीर कॉम्प्लिकेशन के बाद जहाँ एक और जॉनसन एन्ड जॉनसन कम्पनी ने अपनी कोरोना वेक्सीन ट्रायल पर रोक लगा दी है तो वहीँ डीसीजीआई (Drugs Controller General of India), विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) और केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने, भारत की अपनी स्वदेशी वेक्सीन की फेज थ्री ट्रायल की इजाजत देने से पहले, भारत बायोटेक से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्पष्टीकरण माँग लिया है। इसके पहले रूस की स्पूतनिक वेक्सीन भी औंधें मुंह गिर चुकी है और गरीब देशों की सैकड़ों करोड़ “गिनी पिग” जनता के शोध परिणामों के नतीजे खरीद कर बैठे अमीर देश, उत्पाद को जल्द तैयार करवाने की युति भिड़ा रहे हैं।

कारण स्पष्ट हैं, आठ सौ करोड़ जनता को सबसे पहले अपना प्रोडक्ट देने की जल्दबाजी में, सभी दवा और वेक्सीन निर्माण कंपनियां ना सिर्फ नियमों से खिलवाड़ कर रही हैं बल्कि आंकड़ों को अपने मनमाफिक गणित में भी फिट करने की कोशिश कर रही हैं। इसके नतीजे कितने गंभीर दुष्परिणामों वाले हो सकते हैं, यह वैश्विक टीकाकरण प्रक्रिया के अंतर्गत एक मूढ़ बालक भी जानता है, तब इन प्रक्रियाओं में ढील और जल्दबाजी किसी भी नजरिये से तर्कसंगत नहीं है।

जॉनसन एन्ड जॉनसन कंपनी की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया कि उसने एक अध्ययन प्रतिभागी में एक अस्पष्टीकृत बीमारी के कारण अपने ट्रायल को अस्थायी रूप से रोक दिया है.!

ज्ञात रहे कि इसके पहले एस्ट्राजेनेका ने भी ब्रिटेन के एक अध्ययन प्रतिभागी में एक अस्पष्टीकृत बीमारी के कारण अपने ट्रायल पर रोक लगाई थी. हालांकि यूके, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत में परीक्षण फिर से शुरू हो गए हैं, लेकिन सख्त क़ानूनी प्रक्रिया के चलते अमेरिकी में ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

उल्लेखनीय है कि शुरुआत से ही लेखक लगातार करोना संक्रमण पर सटीक जानकारी देने और जागरूकता फैलाने का काम करता आया है, किसी भी वेक्सीन की शोध प्रक्रिया की एक स्पष्ट पद्धति है और लेब के पश्चात एनिमल ट्रायल में सुरक्षित पाए जाने पर ही, स्वेच्छिक मानव समूहों पर पहली दो ट्रायल फेज की अनुमति मिलती है और उसमे सुरक्षित पाए जाने पर ही, तीसरी बड़ी ट्रायल फेज की अनुमति दी जाती है लेकिन दवा माफिया के दबाव में अंधाधुंध नीति, नियम विरुद्ध किये जा रहे ट्रायल लगातार फ़ैल हो रहे हैं और दवा कंपनियों के आंकड़े लगातार संदेह के घेरे में हैं।

दूसरी और दुनिया भर में करोना संक्रमण फैलाने में अपराधी साबित हुआ बैठा चीन, बिना किसी को जानकारी दिए अपनी करोना वेक्सीन अपने नागरिकों और मित्र देशों को उपलब्ध करवा चुका है, दुबई में फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को वेक्सीनेट करने का काम शुरू भी हो चुका है, इससे यह भी स्पष्ट: साबित हो जाता है, कि करोना फैलाया भी उसी ने और दुनिया को लूटने के लिए उपचार, वेक्सीन भी उसके पास तैयार थे, इसीलिए जहाँ यह संक्रमण पूरी दुनिया के लिए जानलेवा बना हुआ है तो वहीँ दूसरी और चीन में ना सिर्फ वुहान के बाद इसे कंट्रोल कर लिया गया, बल्कि बाकी क्षेत्रो में पनपने भी नहीं दिया गया है।

दुनिया भर में, नौ वेक्सीन फेज थ्री ट्रायल की स्टेज में हैं और इन्हे जल्दी से जल्दी जरूरतमंदों को लगाए जाने योग्य बनाये जाने हेतु नियम, परिक्षण और रिव्यू प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है, लेकिन विश्व के दवा वेक्सीन रेगुलेटर्स को यह भी देखना होगा कि वेक्सीन की सेफ्टी प्रक्रिया से कोई खिलवाड़ ना हो और इसके गंभीर दुष्परिणाम लोगों को ना झेलने पड़ें!


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *