भारत के पड़ोसी देश कैसे मनाते हैं महाशिवरात्रि का पर्व

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जयति भट्टाचार्य ।

बांग्लादेश – बांग्लादेश का हिंदू संप्रदाय महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं। महाशिवरात्रि के कम से कम दस दिन पहले उनका उत्साह देखने लायक होता है। हालंकि बांग्लादेश में अब इस्लामिक संस्कृति का बोलबाला है परंतु वहां के हिंदू अपनी संस्कृति को नहीं भूले हैं। अपने हर पर्व, त्यौहार की तरह वह हर्षोल्लास के साथ महाशिवरात्रि का पर्व भी मनाते है। बांग्लादेश में निवासरत शिव भक्त हिंदू महाशिवरात्रि के दिन एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं। मुख्य समारोह चटगांव स्थित चन्द्रनाथ धाम के चन्द्रशेखर मंदिर में मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार यह एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है। यह चन्द्र नाथ पहाड़ों पर स्थित है। सीताकुंड के निकट स्थित इस शक्ति पीठ में देवी सती की दाहिनी बांह गिरी थी। कुमारी लड़कियां यहां अच्छा वर पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन पूजा करती हैं।

माॅरीशस – यहां हजारों की संख्या में शिव भक्त महाशिवरात्रि का पर्व भव्य रूप से मनाते हैं। गंगा तालाब नामक पवित्र तालाब के किनारे महाशिवरात्रि के दिन हजारों लोग जुटते हैं। महाशिवरात्रि के एक सप्ताह पहले से ही उत्सव की तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं। सभी लोग उस दिन शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं एवं गंगा तालाब पर जाते हैं। अधिकतर लोग शुद्धता की निशानी के तौर पर सफेद कपड़े पहनते हैं। वहां रात भर पूजा, विभिन्न रस्में और प्रार्थना होती है।

नेपाल – यह हिंदू बाहुल्य देश है। यहां का पशुपतिनाथ मंदिर ज्योर्तिलिंग न होते हुए भी विश्व प्रसिद्ध है। क्या आप जानते हैं इस मन्दिर का नाम पशुपतिनाथ क्यों है। नेपाल की नैसर्गिक सुन्दरता पर मोहित होकर एक बार भगवान शिव कैलाश छोड़कर नेपाल आ गए और वहां तीन सीगों वाला हिरण बनकर घूमने लगे। इधर ब्रह्या जी और भगवान विष्णु को चिंता सताने लगी कि भगवान शिव कहां गए। दोनों उन्हें खोजने निकल पड़े। ब्रह्या जी ने योग विद्या से पता लगा लिया कि यह तीन सींगों वाला हिरण ही शिव जी हैं। उन्होंने उछलकर हिरण के सींगों को पकड़ने की कोशिश की तो उसके तीन टुकड़े हो गए। भगवान शिव ने कैलाश लौटने से इनकार कर दिया। तब उनकी इच्छानुसार ब्रह्या जी ने उन्हें लिंग के रूप में वहीं स्थापित कर दिया। यहां का लिंग पंचमुखी है। सींग का एक टुकड़़ा वहां गिरा था इसलिए इसका नाम पशुपतिनाथ हुआ। यहां पर केवल नेपाल के शिव भक्त ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शिव भक्त महाशिवरात्रि मनाने आते हैं। अनेक साधू महाशिवरात्रि के दिन पशुपतिनाथ आते हैं । इस दिन यहां की सजावट देखने लायक होती है। \


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