मध्य प्रदेश :लॉक डाउन सत्ता सुख राजनीति का नीरस दौर

Share:

देवदत्त दुबे

17 अप्रैल, भोपाल : वैसे तो हर क्षेत्र में उतार चढ़ाव आते जाते रहते, पर सत्ता के साथ हमेशा सुख शब्द का ही उपयोग होता है क्योंकि जब तक जो भी सत्ता से जुड़ा रहता है वह सुख का अनुभव करता है, क्योंकि इसमें अनेक प्रकार के सुख है किसी को रुतबे का सुख है, तो कोई पैसे का सुख अनुभव करता है, तो किसी को आम जनता की समस्याओं को हल करने में सुख प्राप्त होता है, किसी को ऑफिस और बंगले पर सुबह शाम मिलने जुलने वालों से मिलने पर सुख अनुभव करता है, कुछ को तो गाड़ी और बंगलों में ही सुख का अनुभव हो जाता है। पर इस समय सत्ता सुख से सत्ताधारी दल के अधिकांश लोग दूर हैं विपक्ष भी सन्नाटे में है।

दरअसल कोरना महामारी ने जिस तरह से पूरी दुनिया को तहस-नहस कर दिया है उसका असर प्रदेश में भी दिखाई दे रहा है, प्रदेश में जहां कोरोना महामारी पैर पसार रही है वही सरकार विकेंद्रीकरण सत्ता का नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी तक अपने मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाए जिसके कारण उन्हें आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ रहा है।

विपक्षी दल कांग्रेस लगातार इस बात को लेकर हमलावर है और पार्टी के अंदर से अब दबाव बढ़ रहा है कि मंत्रिमंडल का गठन जल्द किया जाए कांग्रेस के बागी विधायक भी बेताब है क्योंकि उन्हें उपचुनाव भी लड़ना है माना जा रहा है चौतरफा दबाव को देखते हुए अब मंत्रिमंडल का गठन कभी भी हो सकता है।

बहरहाल कोरोना महामारी के चलते सरकार की जो चमक धमक और आकर्षण होता है वह पूरी तरह से लॉक डाउन है और सरकार से जुड़े अधिकांश लोग सत्ता सुख से वंचित है। अनेक जनप्रतिनिधि संकट के मौके पर सरकार के सहारे अपने अपने क्षेत्र में लोगों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन कोई नहीं कर पा रहे कुछ ऐसे अनुभवी नेता है जो अपने अनुभव के आधार पर इस विश्वव्यापी महामारी पर अंकुश लगाने में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं लेकिन उनके अनुभवों का भी लाभ सरकार में नहीं लिया जा रहा है अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों में कोरोना का ऐसा भय है कि वे केवल औपचारिकता पूरी कर रहे इस समय चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े डॉक्टर नर्स और पुलिसकर्मियों मीडिया से जुड़े लोगों की दिलेरी जरूर आमजन को आकर्षित कर रही है।

कुल मिलाकर राजनीति में और खासकर सरकार में ऐसी नीरसता इसके पहले कभी नहीं देखी गई ना तो सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जा रहा है और ना ही अनुभवों का लाभ लिया जा रहा है। केवल जैसे तैसे कोरोना महामारी से लड़ने के प्रयास हो रहे हैं ऐसे में अव्यवस्था भी एक बड़ी समस्या के रूप में उभर सकती है। जिस पर ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है और सरकार में कुछ लोगों को शामिल करके उनको दायित्व सौंपकर सरकार को प्रभावी तरीके से इस समस्या के सामने पेश किया जा सकता है।

इस समय राजनीति का स्यापा चारों ओर देखने को मिल रहा है विपक्षी दल भी बयानों तक सीमित है और जब बड़े-बड़े नेताओं की भूमिका तय नहीं हो पा रही है तब स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधि जरूरतमंदों में खाने के पैकेट बांट कर फोटो खिंचवा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रहे हैं।


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *