मप्रः गहराएगा कोरोना संकट ?

Share:

सतीश एलिया

मध्य प्रदेश में बदले राजनीतिक घटनाक्रम के कारण कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई की जो कमजोर तैयारी बीते माह के आखिरी दिनों में हुई, उसका नतीजा प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मामलों की बढ़ोतरी के रूप में सामने आ रहा है। करीब एक पखवाड़ा पहले मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान अकेले ही करीब ढाई दर्जन मंत्रियोें का काम कर रहे हैं। कई बड़े अफसर और मैदानी अफसरों की बदली से भी हालात कठिन होते गए। इसके बाद से मुख्यमंत्री लगातार कोरोना पर पूरी तरह से सरकार और शासन को केंद्रित किए हुए हैं लेकिन नौकरशाही के फैसलों और जानकारियां जाहिर नहीं करने के चलते स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव, संचालक, अपर संचालक से लेकर कई अफसर व कर्मचारी काेरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके पीछे अहम कारण उनमें से कुछ के परिवारों के सदस्यों का अमेरिका जैसे कोरोना प्रभावित देशों से आने की जानकारी के बावजूद इन अफसरों का खुद को क्वारंटीन करने के बजाय सरकारी कामकाज में जुटे रहना और परिवार की ट्रैवल हिस्ट्री को अपने तक ही सीमित रखने जैसी गंभीर लापरवाही शामिल है।

सरकार चलाने में होती सहूलियत

मध्य प्रदेश विधानसभा में अभी 230 में से 24 सीटें रिक्त हैं। यानी वर्तमान में 206 विधायक हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में विधायक संख्या के 15 फीसदी यानी 29 मंत्री हो सकते हैं। कोराना संकटकाल में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, नगरीय प्रशासन, होम, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, ऊर्जा, श्रम समेत करीब एक दर्जन ऐसे महकमे हैं, जिनमें समन्वय और प्रशासन चुस्ती आवश्यक है। पूरा मंत्रिमंडल भले न सही लेकिन एक दर्जन मंत्री बनाए जाते तो बेहतर काम हो सकता था। वर्तमान में अकेले मुख्यमंत्री समूची सरकार की तरह दिन-रात जूझ रहे हैं। तंत्र का आलम यह है कि 21 के टोटल लॉकडाउन में भी राजधानी भोपाल समेत ज्यादातर शहरों व कस्बों में इसका उल्लंघन होता रहा। कोरोना संक्रमण के फैलाव की आशंका के चलते अब मंगलवार से सख्त लॉकडाउन के निर्देश दिए गए हैं।

बेचैन हैं भाजपा के वरिष्ठ विधायक

भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा कमलनाथ सरकार के तख्ता पलट में महत्वपूर्ण किरदार थे लेकिन भारी सक्रियता के बाद अचानक कोरोना संकट में कोई सक्रिय भूमिका न मिलने से बीते एक पखवाड़े से वे अपने घर में नाती-पोतों के साथ खेलते, गायों की सेवा करते और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने विधानसभा क्षेत्र दतिया के हालचाल जानते हुए न्यूज चैनलों पर दिखाए जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष और मंत्री रहे गोपाल भार्गव भी यदाकदा टीवी चैनलों पर दिखते हैं। दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा अकेले ऐसे नेता हैं जो शिवराज की ही तरह खबरों में दिख रहे हैं। दूसरी तरफ एक महीने पहले तक बतौर मंत्री भारी सक्रिय रहे सिधिया समर्थक पूर्व मंत्री दल बदलकर विधायक भी नहीं रहे लेकिन अब वे भी निष्क्रियता के इस दौर में परेशान हैं। यह बेचैनी यदाकदा सोशल मीडिया या प्रादेशिक न्यूज चैनलों में उनकी सक्रियता में दिखती रहती है।

जमातियों की खोज खबर रखने में विफल

दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके से मरकज की जमात से मप्र लौटे लोगाें में जमातियों की तादाद तो बताई जाती रही लेकिन वे कहां-कहां गए, यह एक हफ्ते बाद भी पूरी तरह पता नहीं है। कई जमाती छोटे-छोटे कस्बों जिनमें तहसील मुख्यालय शामिल हैं, पहुंचे थे और वे वहां मस्जिदों और घरों में भी रुके बताए गए हैं। विदिशा जिले के सिरोंज में एक कोरोना पॉजिटव पाए जाने के बाद अब अन्य कस्बों में भी जमातियों के आने, रुकने और चले जाने की खबरों से लोगों में दहशत है। यह दहशत अब गांवों तक पहुंच रही है। लेकिन सरकारी तंत्र का इंटेलीजेंस फेल रहा है।

विदेश से लौटे लोगों की सूची के बाद भी ट्रैकिंग नहीं

करीब एक पखवाड़े पहले सूची जारी होने के बावजूद विदेश यात्रा की हिस्ट्री वाले परिवारों की जांच नहीं की गई। अकेले भोपाल शहर में ऐसे लोगों की सूची 71 पेज की थी। इनमें अब कोरोना पॉजिटिव पाई गई स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल का पुत्र तथा स्वास्थ्य विभाग की अपर संचलक वीणा सिन्हा का पुत्र भी शामिल था। यह अफसर न केवल मुख्यमंत्री के साथ बल्कि स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसराें, डॉक्टरों तथा अन्य स्टाफ के संपर्क में सतत बने रहे। अब यह आशंका गहरा रही है कि अकेले स्वास्थ्य महकमे के एक दर्जन अफसर आदि कोरोना पॉजिटव पाए जाने के बाद उनके संपर्क में रह चुके कितने लोगों को यह वायरस संक्रमण सामने आ सकता है? चौंकाने वाली बात यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव ने खुद को किसी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाने से साफ इनकार किया और उन्होंने घर पर ही इलाज के इंतजाम कराए। इस दौरान वे घर से ही मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा में शामिल हो रही हैं, इसके लिए उनके बंगले पर अधिकारी-कर्मचारी भी जाते रहे।

खतरे की आशंका के बीच लापरवाही जारी

बीते तीन माह में भोपाल के अलावा अन्य जिलों तक अमेरिका, इटली, दुबई, ब्रिटेन आदि से यात्रा कर लौटे लोगों की अबतक न तो पहचान की कई है और न ही जांच, वह भी आधिकारिक सूची उपलब्ध होने के बावजूद। इनके संपर्क में रहे हजारों लोग अब खुद की सेहत को लेकर चिंतित हैं। आंकड़ों में अभीतक मप्र देश में नौवें क्रम पर है। यहां 256 मामले सामने आ चुके हैं, इनमें से 230 कोरोना पॉजिटिव में से 15 की मौत हो चुकी है, जबकि 11 ठीक भी हो चुके हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *