मध्य प्रदेश: उपचुनाव कहीं चेहरा तो कहीं चुनाव चिन्ह पर फोकस
देवदत्त दूबे।
भोपाल। दिन प्रतिदिन संघर्षपूर्ण होते जा रहे है 28 विधानसभा के उपचुनाव। दलों को रणनीति बदलने पर भी मजबूर कर रहे हैं। इस समय चुनाव से ज्यादा चर्चा दोनों दलों की रणनीति की है। जिसमें कहां जा रहा है कि राजा और महाराजा के चेहरों को पीछे करके चुनाव अभियान आगे बढ़ाया जाएगा।

दरअसल 15 वर्षों में प्रदेश में जितने भी चुनाव हुए सत्तारूढ़ दल भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए चुनाव अभियान चलाया। वही इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाने पर लिए हुए है। शायद यही कारण है की कांग्रेस में जहां दिग्विजय सिंह को पर्दे के पीछे रखा जा रहा है, वे बूथ मैनेजमेंट का काम देख रहे हैं वही कमल नाथ पार्टी का एक मात्र चेहरा चुनाव में दिखाई दे रहा है। वही सत्तारूढ़ दल मे चुनाव प्रचार के लिए जो वीडियो रथ भोपाल से रवाना किए गए हैं उसमें सिंधिया की फोटो ना होने से यही संदेश गया है कि पार्टी अब आगे सिंधिया को पीछे रखेगी। जिससे कांग्रेस के हमले सीधे सिंधिया पर ना पड़े क्योंकि कांग्रेस लगातार सिंधिया को गद्दार कहा जा रहा है। कुछ उसी तरह जिस तरह से भाजपा एक दशक से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बंटाधार कहती आ रही है।

बहरहाल भले ही माना जाता रहा है की बीच युद्ध में सेना नहीं बदली जाती और ना ही रणनीति। लेकिन उपचुनाव के इस महा युद्ध को जीतने के लिए दोनों दल हर दिन रणनीति बदल रहे हैं जिससे कि हर हाल में इन चुनाव को जीत जा सके। भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा और सपा ने भी इन चुनावों में अपनी दमदारी दिखाना शुरू कर दिया है। और भाजपा कांग्रेस के दमदार नेताओं को चुनाव मैदान में उतारना शुरू कर दिया है। बसपा ने बड़ा मलहरा में पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है, तो सपा ने भी कुछ सीटों पर ऐसे ही उम्मीदवार मैदान में उतारे है।
बहरहाल अब जबकि चुनाव प्रचार के लिए केवल एक पखवाड़े का समय बचा है, तब प्रदेश के प्रमुख दल चुनावी रण की रणनीतियों को नए सिरे से धार दे रहे है। आज नामांकन दाखिल करने का आखरी दिन है और इसके बाद की रणनीति बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ राजधानी भोपाल में सहयोग के साथ बैठक करेंगे। जिसमें बूथ प्रबंधन का काम संगठन करेगा और चुनावी सभाएं कमलनाथ स्वयं करेंगे कांग्रेस की रणनीति प्रत्येक सीट पर एक बड़ी सभा करने की अब तक देखी जा रही है। जिसकी चर्चा क्षेत्र और उसके आसपास हो जाती है। जबकि भारतीय जनता पार्टी में नेताओं की फौज है और प्रत्येक सीट पर दर्जनों सभाएं पार्टी मतदान के पहले करेगी। पहले सेक्टर सम्मेलन के माध्यम से कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाई गई और उसके बाद मंडल स्तर पर कार्यक्रम किए जा रहे है। धीरे-धीरे यह चुनाव कांग्रेस के कमलनाथ के मुकाबले भाजपा के शिवराज सिंह के चेहरों पर सिमटता जा रहा है। वही कांग्रेस में प्रबंधन दिग्विजय सिंह देख रहे हैं और भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मतदान केंद्र की मजबूती पर फोकस बनाए हुए है ।
कुल मिलाकर जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे पार्टियों की रणनीतियां बदल रही है। कहीं चेहरे पर तो कहीं चुनाव चिन्ह पर फोकस किया जा रहा है।