क्या कोरोना पॉजिटिव को बिना जाँच मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा जेल भेजना सही था ?

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अरविन्द कुमार

जबलपुर की जेल में पहुँचा वह आरोपी जिसने डॉक्टरो की टीम पर हमला किया था, मध्य प्रदेश पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करते हुए मुकदमा दर्ज कर जबलपुर जेल भेजा था। जबलपुर जेल जाने के बाद इस आरोपी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है इस आरोपी का नाम जावेद खान बताया जा रहा हैं , इसमें कोई दो राय नहीं है कि जेल के अंदर पहुंचे इस कोरोना पॉजिटिव आरोपी मरीज ने न जाने कितने कैदियों को करोना से संक्रमित किया होगा और साथ ही संक्रमित किया होगा उन पुलिसवालों को जहां से इस आरोपी को गिरफ्तार करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी और जब तक इसको जेल ले जाया गया वहां तक जितने भी पुलिसकर्मी एवं पुलिस विभाग के अन्य लोग इससे मिले उन सबको भी इस आरोपी ने कोरोना से संक्रमित किया होगा । कहीं ऐसा तो नहीं है कि जो लोग डॉक्टर्स और पुलिस पर हमला कर रहे हैं वह लोग भली-भांति जानते हैं कि वह कोरोना पॉजिटिव है और यह लोग जान कर शासन प्रशासन के लोगों पर हमला करके यह चाहते हो कि हमें जेल भेजा जाए और हम लोग एक बड़े समूह में कोरोना को फैलाने में कामयाब हो सकें जहां पर कोरोना फैलने के बाद प्रशासन, राज्य सरकारें , केन्द्र सरकार सभी के हाथ पांव फूल जाएंगे और भारत की कोरोना के विरुद्ध लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी। यदि लाॅकडाउन के समय आरोपियों को जेल भेजा जा रहा है तो क्यों जेल प्रसाशन ऐसे लोगों को प्रशासन जेल के अंदर लाने से पहले उनका कोरोना टेस्ट नहीं करा रहा है ? और तब तक उनको किसी अन्य स्थान पर नजरबंद नहीं रखता है जब तक कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव या नेगेटिव ना आ जाए उसके बाद ही जेल प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि उसको जेल में रखना है या क्वॉरेंटाइन हाउस भेजना है या फिर उसको आइसोलेट करना है यह प्रशासन की एक बड़ी जिम्मेदारी है, शायद इसमें मध्य प्रदेश जेल प्रशासन ने एक बड़ी भूल का उदाहरण पेश किया है जब उसने डॉक्टर्स पर हमला करने वाले शख्स को जेल भेज दिया जो कि कोरोना पॉजिटिव हैं ।


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