मध्य प्रदेश: वचन पत्र का मुकाबला संकल्प पत्र से
देवदत्त दुबे।
भोपाल। राजनीति में विश्वास का संकट कितना बढ़ता जा रहा है पहले हर दल चुनाव घोषणा पत्र जारी करता था लेकिन धीरे धीरे घोषणा पत्र से विश्वास उठता गया यही कारण है कि कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में वचन पत्र दिया था और उपचुनाव में भी हर सीट का वचन पत्र तैयार किया है। कांग्रेस का वचन पत्र का मुकाबला करने के लिए भाजपा भी प्रत्येक सीट पर संकल्प पत्र जारी करेगी ।दरअसल राजनीतिज्ञों के प्रति पहले कितना आदर और सम्मान इसलिए था की राजनीतिक दल ईमानदार प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारते थे ।लेकिन धीरे-धीरे चुनाव में धनबल बाहुबल और जाति बल टिकट वितरण का आधार बनने लगा और जब ऐसे लोग चुनाव जीत कर आने लगे तब वे पार्टी का घोषणा पत्र एक तरफ रख कर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने लगे और समय के साथ लोगों का घोषणा पत्र से विश्वास उठने लगा और यही कारण है कि दलों ने घोषणापत्र का नाम बदलकर किसी ने वचन पत्र कर दिया तो किसी ने संकल्प पत्र और इनमें लोकलुभावन घोषणाएं की जाती है जिससे कि मतदाता चुनाव में वोट दे सकें लेकिन धीरे-धीरे चुनाव में धनबल बाहुबल और जाति बल टिकट वितरण का आधार बनने लगा ।बहरहाल प्रदेश में 3 नवंबर को होने जा रहे 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने जहां अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं वही अब मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान तेज हो गया है ना रोको मंत्रों की तरह याद कराया जा रहा है । लेकिन दोनों ही दलों की सबसे बड़ी कोशिश मतदाताओं को सुनहरा भविष्य दिखाने की है और जिसके लिए कांग्रेस जहां 2018 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर प्रत्येक सीट के लिए वचन पत्र तैयार करा रही है वहीं भाजपा ने भी अब हर सीट के लिए संकल्प पत्र जारी करने का ऐलान किया है भाजपा ने सभी 28 सीटों की जरूरतों के हिसाब से डाटा तैयार किया है और उसको संकल्प पत्र में समाहित किया है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि हम संकल्प पत्र लेकर चुनाव मैदान में जाएंगे विधानसभा के जो काम है उनको संकल्प पत्र में शामिल किया जाएगा हमने हर एक काम को पूरा किया है 6 महीने में प्रदेश में कई बड़ी सौगातें दी गई हैं वह भी संकल्प पत्र में शामिल किए जाएंगे। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पहले जो वचन पत्र लाई थी उसकी एक ही बात उस में फूल नहीं की ऐसे में अब उन्हें कोई और पत्र लाने का अधिकार नहीं है । कांग्रेस ने जनता से किया एक ही वादा पूरा नहीं किया उसी का परिणाम है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग प्रदेश को बचाने के लिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ रहे हैं। इन लोगों को विश्वास है कि जो भाजपा कहती है वही करती है कुल मिलाकर प्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में हर एक बिंदु पर कड़ा मुकाबला है। प्रत्याशी चयन में कांग्रेस ने जैसे को वैसा प्रत्याशी देने की कोशिश की है जबकि भाजपा के पास प्रत्याशी चयन के मामले में कोई विकल्प नहीं था शर्त के अनुसार कांग्रेस से आए विधायकों को ही प्रत्याशी बनाना तय था लेकिन बाकी किसी भी क्षेत्र में कोई भी दल पीछे नहीं रहना चाहता। भाजपा मैनेजमेंट और बूथ प्रबंधन पर हमेशा फोकस बनाए रहती है इस बार कांग्रेस ने भी पूरी कवायद बूथ प्रबंधन पर की है । लेकिन मतदाताओं पर व्यापक असर डालने के लिए कांग्रेस के वचन पत्र के मुकाबले अब भाजपा संकल्प पत्र ला रही है और यह भी एक चुनावी मुकाबले का मैदान रहेगा कि कौन कितना प्रभावी पत्र मतदाताओं के सामने रखेगा।