मध्य प्रदेश चुनाव : उपलब्धियां और खामियों को बखान करने का दौर

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देवदत्त दूबे।

भोपाल । प्रदेश में 28 सीटों के उपचुनाव के लिए धीरे-धीरे चुनाव प्रचार आक्रामक होता जा रहा है। दोनों ही दलों के नेता अपनी सरकार की उपलब्धियां और विरोधी दल की खामियों को बखान करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया का उपयोग जमकर किया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में होने जा रहे चुनाव भविष्य की राजनीतिक दिशा ही नहीं तय करेंगे, बल्कि नेताओं का भविष्य भी तय करेंगे यही कारण है, कि दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जहां कोई संकोच नहीं कर रहे हैं, वहां अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए नहीं थक रहे। मतदाता दोनों दलों की बातों को ध्यान से सुन रहा है और दोनों ही दलों की सरकार को उसने देखा भी है भाजपा की लगातार 15 वर्षों की सरकार और पिछले 6 महीना की सरकार की तुलना कांग्रेस के 15 माह की सरकार से करते हुए उसे निर्णय लेना है। बहरहाल प्रदेश में मिनी आम चुनाव की तरह हो रहे उपचुनाव अब प्रदेश की फिजा को चुनावी रंग में रंगने लगे हैं। मीडिया के तमाम प्लेटफार्म इन चुनावों से सराबोर होने लगे है। सोशल मीडिया पर छोटी-छोटी फिल्में बनाकर पोस्ट की जा रही हैं। जिनमें फिल्मी सीनों का सहारा लिया जा रहा है। नई-नई तकनीक अपनाई जा रही है। नेताओं की अदाएं भी फिल्मी कलाकारों जैसी होने लगी है। खासकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच पर अपनी अदाओं से आम जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
गुरुवार को सोशल मीडिया पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है। जिस में वे अपनी अदाओं से कमलनाथ के इस वीडियो का जवाब दे रहे हैं जिसमें कमलनाथ ने कहा था मेरी क्या गलती थी जो सरकार गिराई गई, वीडियो में कमलनाथ ने बहुत से प्रश्न खड़े किए थे जिसने कहा था कि किसानों का कर्जा माफ करना क्या गलती की, गौशाला बनवाना क्या मेरी गलती थी, ऐसी अनेक उपलब्धियां इस बहाने उन्होंने गिनाई थी। जिसका भाजपा ने बिंदुवार जवाब दिया। पार्टी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल एवं पंकज चतुर्वेदी ने पत्रकारों को कमलनाथ सरकार की खामियां गिनाई एवं उन्हें महापाप करार दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी एक दूसरे पर हमले तेज कर दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ को रौतेला मुख्यमंत्री की संज्ञा देते हुए कहा कि वे हमेशा खाली खजाने का रोना रोते रहे। लेकिन हमने गरीबों की सेवा में कोई कमी नहीं आने दी भले ही हमारे हाथ तंग रहे हो वही कमलनाथ बार-बार सभाओं में जनता से भाजपा सरकार को वोट कि नहीं नोट की सरकार बता रहे हैं और बिकाऊ नहीं टिकाऊ को जिताने की अपील कर रहे है। कुल मिलाकर दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके यह उपचुनाव अब नेताओं के लिए एक दूसरे के ऊपर तंज करने व्यंग करने का माध्यम बन ही गए हैं लेकिन अपनी उपलब्धियों और दूसरे की खामियों को गिनाने का मैदान भी बन गए।


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