भगवान शिव का पसंदीदा माह सावन
जयती भट्टाचार्या
सावन को श्रावण मास भी कहते हैं। यह भगवान शिव का सबसे पसंदीदा महीना है। इस मास को हिन्दू पुराणों के अनुसार बेहद पवित्र माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर का यह पांचवा महीना है। इस साल यानि 2022 में श्रावण 14 जुलाई से प्रारंभ हो चुका है और यह माह 12 अगस्त 2022 को ख्त्म होगा। इस साल सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को मनाया जाएगा। हिन्दू कैलेंडर का यह पांचवा महीना है। साधारणतः सावन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई से अगस्त के बीच में आता है।
यह महीना धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र दोनों के लिए पवित्र है। इस महीने का हर दिन इतना पवित्र और धार्मिक है कि आप सावन के किसी भी दिन कोई शुभ कार्यक्रम कर सकते हैं। यह भगवान शिव का महीना है शुभ तो होगा ही।
इस महीने को श्रावण मास क्यों कहते हैं। यह चन्द्र आधारित हिन्दू कैलेंडर का पांचवा महीना है और इस महीने में आकाश पर श्रवण नक्षत्र राज करते हैं इसलिए इस महीने को श्रावण कहा जाता है।
कहते हैं समुद्र मंथन इसी महीने में हुआ था। समुद्र मंथन से 13 रत्न निकले जिसे देवों और असुरों ने बांटा परंतु 14वां था हलाहल विष। इसे लेने के लिए कोई भी आगे नहीं आया क्योंकि सभी जानते थे कि यह जानलेवा विष है जो संपूर्ण ब्रह्यांड को नष्ट कर सकता था। तब सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने हलाहल विष पी लिया जिसे मां पार्वती ने देखा तो तुरंत भगवान शिव का गला पकड़ लिया ताकि विष वहीं तक जाए। भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाने लगा।
हलाहल विष की वजह से भगवान शिव का शरीर गर्म होने लगा था। तब शीतलता के लिए उन्होंने चन्द्रमा को अपने सिर पर धारण किया। सभी देवों ने उनके सिर पर गंगा जल डालना प्रारंभ किया ताकि उन्हें शीतलता मिले। यही प्रथा आज भी चली आ रही है। बेल पत्ता भी शिवलिंग पर चढ़ाते हैं क्योंकि यह भी ठंडा होता है।
श्रावण मास उत्तर भारत में दक्षिण भारत से 15 दिन पहले ही मनाया जाता है। यानि दक्षिण भारत में यह मास उत्तर भारत से 15 दिन बाद प्रारंभ होता है। भक्त यह पूरा महीना शरीर एवं दिमाग को ठंडा रखने के लिए व्रत रखते हैं। जो पूरा महीना व्रत नहीं रख सकते वह केवल सावन का सोमवार व्रत रखते हैं। इस साल सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है, दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 1 अगस्त और चैथा 8 अगस्त को है। इस वर्ष सावन में चार सोमवार ही हैं।