लॉक डाउन: आपदा में आविष्कार का समय
समय चिंताजनक है, लेकिन जब प्रण पक्का हो तो फिर कैसा डर और “लोहा तप कर ही तो सोना बनता है”, यह भी तो सत्य है । तो आने वाले इक्कीस दिनों का सरकार और जनता कैसे बेहतर उपयोग कर सकती है, सोचिये ?
जनता अपने घरों में रह कर संचय, संयम, सेल्फ डिसिप्लिन फॉलो करे। संयम से न्यूनतम संसाधनों में कैसे फिट रहना है यह खुद भी देखे और अपने परिजनों, बच्चो को भी सिखाये, समझाए ताकि वो इससे भी विकट परिस्थिति में रहने के लिए खुद को तैयार कर सकें । शुद्धः पेय जल का दुरउपयोग ना हों और देखें कि आपके घर के आसपास बेवजह गंदगी न इकठ्ठा हो जिससे कि और बीमारियां न फैल सके और मूक पशुओं, पंछियों को भी उनका हक़ मिल सके क्योंकि उन्ही की अवहेलना से ही आज चीन से होते हुए पूरे विश्व का ये हाल हो रहा है । पहली रोटी गाय की और आखिरी कुत्ते की। यह तो हमारे देश की प्राचीनतम सुगड़ व्यवस्था रही है। भोजन का दुरूपयोग न हो और बचे ना, बच भी जाए तो फेके ना, किसी के काम आ जाए और नहीं तो बेजुबान जानवर का ही पेट भरे । पैनिक ना करें और वायरस संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने के लिए पूरे समर्पण, निष्ठां और नियम से सोशिअल डिस्टेंसिंग करें ।
अफवाहें ना फैलाएं और गैरजरूरी चीजों का बेवजह भण्डारण न करें ।
सरकारें क्या कर सकती हैं इस दुर्गम समय में, व्यवस्थाओं का, संसाधनों का, जीवनोपयोगी वस्तुओं का बेहतर वितरण तंत्र खड़ा करके हाहाकार कालाबाजारी रोक सकती हैं । बिग बास्केट, फ्लिपकार्ट, अमेज़ॉन, ओनडोर, जैसी संस्थाएं e commerce प्लेटफॉर्म का वर्षों से सुचारु उपयोग कर रही हैं और इनका डिलीवरी सिस्टम न सिर्फ सटीक है अपितु त्वरित, सुगढ़ और आर्थिक रूप से ईमानदार भी। इनके एप्प्स, भण्डारण, डिलीवरी सिस्टम को सरकारें अपने नियंत्रण में लेकर विवेक से उपयोग करें और घरों में डरा सिमटा कोई भी व्यक्ति अपने घर में मौजूद सदस्यों का एक ग्रुप फोटो इस एप्प पर डाल कर अपनी साप्ताहिक पारिवारिक आवश्यकता की जरुरी चीजों, मेडिकल सहायता दवाई आदि की जरुरत पोस्ट कर सकता है और e commerce तंत्र इन्हे उनके घर के निकट पहुंचा सकते हैं। शहर में छोटे छोटे क्लस्टर जोन्स बना कर और वहां जीवनयोपयोगी वस्तुओं सब्जियां फलफ्रूट का भण्डारण कर वहीँ से इन्हे मोहल्ले के घरों में इस एप्प के जरिये पहुंचाने से भीड़ तंत्र पर काबू पाया जा सकेगा और अत्यावश्यक वस्तुओं की काला बाजारी और फर्जी काल पर भी रोक लगाईं जा सकेगी, चीजें ख़राब नहीं होंगी और किसानो, मजदूरों, गरीबों पर बेबजह का बोझ भी नहीं पड़ेगा।
जरुरतमंदो, बीमारों, बुजुर्गों, बेसहारा, अकेले रह रहे छात्रों, नौकरी के सिलसिले में दूर से आये हुए लोगों के लिए यह तंत्र वरदान साबित हो सकता है। चिकित्सा सहायता के लिए भी इस का उपयोग किया जा सकता है और बजाय इसके कि बीमार जरूरतमंद सड़कों, दुकानों पर भीड़ लगाकर या कानून की अवहेलना करके संक्रमण चेन तोड़ने के इस वैश्विक मोदी प्रण को गलत साबित कर दें, तंत्र को खुद ही भागीरथ बन जाना चाहिए ।
आने वाले समय में यह तंत्र हमारे देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था मजबूत करने, सरकारी आय बढ़ाने और रिवेन्यू बढ़ाने में (आयकर हटाकर भी) गोल्डमाइन साबित हो सकता है । आखिर कुछ इसी तरह तो प्राचीन काल में, आक्रमणकारियों से बचकर जंगलों में रहते, घासपट्टी खाते करोड़ों मंदिर, अनुकृतियां गढ़ीं गईं होंगी, पांडवो के स्थल या खजुराहो की विश्व धरोहरें और अन्य रचनाएं भी इसी तरह बनाई गईं होंगी।
कोई सुन रहा है क्या, तो इसे माननीय प्रधानमंत्रीजी, प्रदेशों के मुखयमंत्रियों, जिम्मेदारों तक पहुंचाएं और इस यज्ञ में अपनी आहुति दें ।
प्रकृति, प्राणियों, जगत का कल्याण हो ।
करोना से डरे ना – क्या करें और क्या ना करें ?
क्या करें ?
घबराएँ ना, बार-बार गरम पानी और गरम पेय पदार्थ पीये , पौष्टिक ताज़ा भोजन लेते रहें, घर में ख़ुद को सुरक्षित और संरक्षित रखे, अपने मित्रों परिजनों से भी दूरी बनाए रखें अगर आपको शंका है कि आप किसी प्रभावित के सम्पर्क में आएँ हें ! बार बार हाथ धोते रहें और साफ़ सफ़ाई सोशीयल डिसटेंसिंग का ख्याल रखें ।
क्या ना करें ?
ध्यान दें वायरल संक्रमण एक बहुत ही सामान्य, ईश्वरदत्त प्राकृतिक प्रक्रिया है प्राणियों की इम्यून क्षमता बढ़ाने के लिए, इसलिए इसका मजाक ना बनाए, सामान्य ज्ञान और सावधानी की अवहेलना ना करें, एंटीबायोटिक्स हरगिज़ ना लें और बिना विशेषज्ञ की सलाह तो कोई भी दवाई कदापि ना लें इससे आपका इम्यून सिस्टम बिगड़ सकता है ।
भीड़ में बिलकुल ना जाएँ और संक्रमण चेन तोड़ने के लिए २१ दिन के न्यूनतम समय का डिसप्लिन ना तोड़ें ।
लेखक भोपाल के गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय के वरिष्ठ चिकित्सक है ।