करोना काल लॉकडाउन 2.0 का नौंवां दिन, अफवाहों और वैमनस्यता पर सवार विघ्नसंतोषी

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द क्विंट नामक मीडिया ने आज भारत सरकार के कोविड़ टास्क फोर्स के प्रमुख के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है, जिसके अनुसार, भारत अब कोरोना संक्रमण की तीसरी स्टेज में पहुँच गया है और उनके हिसाब से अब यह स्टेज बहुत खतरनाक है और अगले दस दिन में यह और भी भयानक शक्ल ले लेगा। तो क्या यह समझा जाए कि, अब आप चाहे जो प्रयत्न कर लें, यह अब आप तक पहुंचेगा ही ?और अगर पहले ही पहुँच चुका होगा तो ? और अगर अब इसे किसी भी हाल रोका नहीं जा सकता तो फिर इन्सान क्या करे?

सबसे पहले तो मैं, आम जनता के अदने से नुमाइंदे के तौर पर, भारत सरकार से पूछना चाहता हूँ, कि क्या यह भारत सरकार की तरफ से अधिकृत सूचना है? क्योंकि मेरे हिसाब से क्विंट एक बायस्ड निजी खबरिया उपक्रम है इसलिए। और अगर है, तो सरकार ने, इसका उचित प्रचार, प्रसार अपने प्लेटफॉर्म, दूरसंचार और अन्य माध्यमों से क्यों नहीं किया? और अगर नहीं, तो सरकार ने इस खबरिया चैनल के खिलाफ क्या कड़े कदम उठाये हैं, क्यों इसे डराने, अफवाह फैलाने के लिए खुला छोड़ रखा गया है? यह कदम इसलिए भी बेहद जरुरी हो जाता है, जबकि हम लगातार अफवाहों का बाजार गरम होते देख रहे हैं, फिर वो चाहे मजदूरों के पलायन के पीछे छुपे नक्सली सोच वाले नेताओं का कुचक्र हो या बुजुर्ग संतों की बेरहमी से की गई हत्याएं, वो जमातियों का खुलेआम कानून का विद्रोह हो या थूक जिहाद, अब जबकि इस चीन प्रायोजित केमिकल करोना वॉर का तीसरा चरण प्रारम्भ हो चुका है, तब मानवता के घोर दुश्मन भी सक्रिय हो चुके हैं।

लेकिन जब दुनिया भर को पस्त कर देने वाले चीन को, भारत में इस करोना का वो अपेक्षित बाजार लायक संक्रमण नहीं मिला तो उसने, नेताओं, बिकाऊ मीडिया के जरिये अफवाहों का बाजार गरम करवाना शुरू कर दिया और जगा दिया विघ्नसंतोषियों, बिकाऊ पत्रकारों और भारतविरोधी स्लीपर सेल्स को, ताकि 130 करोड़ की आबादी घबरा कर, सोशल डिस्टेंसिंग के अभूतपूर्व असर को चौपट करने सड़को पर निकल आये और हुआ भी यही, दिल्ली मुंबई में इन गद्दारों ने क्या किया ? हजारों, लाखो गरीब, 21 दिनों तक बिना काम बिना खाना कैसे रहेंगे, का इन मीडिया चैनलों ने रोना शुरू किया, एक नक्सली मुख्यमंत्री का तो काम ही सिर्फ इन चैनलों पर पैसे लुटाना और खुद का विज्ञापन करना हो गया और सारा देश इसे देख रहा है। एक-दो परिवारों की पैदल यात्रा का 24 घंटे एैसे कवरेज किया जाने लगा कि जैसे पूरा देश ही पैदल चल पड़ा, फिर धर्म के नाम पर एक संप्रदाय विशेष को मोर्चे पर लगा दिया गया, और परेशान जनमानस की गलतियों से चीन की अब ये चाल सफल होती दिख रही है।

पर देशवासी जानते हैं कि देश जब युद्ध या किसी बड़े संकट में फंसता है तो हर नागरिक युद्ध का हिस्सा होता है, हर नागरिक को परेशानी उठानी पड़ती है, हर नागरिक को त्याग करना पड़ता है, युद्ध सिर्फ सेनायें ही नहीं लड़ती हैं, देश इन सब ताकतों से भी पूरी ताकत से कह रहा है कि तुम कुछ भी कर लो, हम लक्ष्मण रेखा नहीं उलांघेंगे और इस आपदा से भी जीत ही जायेंगे, हमने तो विश्व विजेता सिकंदर को भी उल्टे पांव वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था, हम सौ करोड़ देशभक्त अपने सक्षम वीर प्रधानमंत्री की अगुआई में शैतान चीन की हर चाल का भरपूर जबाब देंगे क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो मासूम बुजुर्ग संतों की बेरहम हत्या के दुर्दांत विडिओ देखकर भी इतना बड़ा जनमानस, खोलते खून के बावजूद, अपने प्रधानमंत्री के निर्देशों का पालन करता हुआ घरों में नहीं बैठा रहता। परंतु देश के अंदर ही कुछ लोग और बिकाऊ गद्दार लुटेरी संस्थायें बार बार सड़कों पर नंगी हो रही हैं, पत्रकारों पर हमले कर रही है, जिन्हें देखना और सुनना भी बहुत कष्टदायक है । पर जनता चुप नहीं बैठी है, समय का इन्तजार कर रही है।

इसलिए अफवाहों पर नहीं, खुद पर विश्वास कीजिये और यक़ीं मानिये कि वायरस और बैक्टीरिया आपके शत्रु नहीं हैं, वो आपके शरीर की कोशिकाओं को आपसे ज्यादा जानते हैं, कोशिका भी उनके साथ तालमेल से रहना जानती है, बस अपने मन से कहिए कि वो डर, नफरत, ढीढता और लापरवाही की बजाय संयम, सहयोग, सदभाव और संचय पर ध्यान दें। अब वक़्त आ चुका है कि आप अपने मन को समझायें कि ये धरती जितनी आपकी है, उतनी ही किसी पशुपक्षी, अदृश्य सूक्ष्मजीव की या किसी सूक्ष्म पौधे की भी है, आपका शरीर खुद एक दुनिया है जिसमें बहुत सारे जीव और पदार्थ एक बेहतर तालमेल के साथ रहते हैं, ये तालमेल अनेक सूक्ष्म कणों और सूक्ष्म जीवों की अथक कोशिशों का नतीजा है, आपका दिमाग इस तालमेल का सहज संचालक है, आपका मन बहुत सारे दिमागों का एक तंत्र है जो आपके लिए सूचना, विचार और कल्पनाएं लाकर देता है। और अगर आपका मन आपके दिमाग को लगातार भर रहा है तो आपका दिमाग अपनी सहज संचालन करने की क्षमता खो देता है, ऐसी स्थिति में आपके मन में अनगिनत सूचनाएं, विचार और कल्पनाएं भरी होती हैं, लेकिन आपका दिमाग उनकी प्रोसेसिंग नहीं कर पाता और मेन्टल ब्लॉक की स्थिति खड़ी हो जाती है, ऐसे में आपके शरीर में कोशिकाओं, सूक्ष्म जीवों और पदार्थों का सहज तालमेल गड़बड़ा जाता है, कुछ घटक सुप्त हो जाते हैं तो कुछ अति सक्रिय, और आपकी शारीरिक दुनिया यानी आपका इम्मून सिस्टम, रक्षातंत्र बिखरने लगता है, आज एक अदृश्य सूक्ष्म जीव , जिसे कोरोना नाम दिया गया है, के माध्यम से आपको प्रकृति के नजदीक जाने, रहने, समझने और सामूहिकता या दिमागी तंत्रों से अलग रहने का अवसर मिला हैं, इस मौके का लाभ उठाइये, बीमारी, आपदा, महामारी या महाविनाश जैसे शब्दों और विचारों में खोय रहने की बजाय अपने दिमाग के संपर्क में रहिए, वही आपको पॉज़िटिव रख, आपके शरीर में मौजूद कोशिकाओं, सूक्ष्म जीवों और कणों के संसार में ले जाएगा, जहाँ जाकर ही आप अपना, सृष्टि, प्रकृति का और अपने इष्ट का वास्तविक स्वरूप देख समझ सकते हैं, तभी आप देख सकेंगे कि जिस सूक्ष्म जीव को आज आप मानवता का घोर शत्रु या संकट मान रहे हैं, वो लाखों सालों से आपके आसपास ही मौजूद रहा है, आपके शरीर को हर विपदा में लड़ने और डटे रहने वाला इम्मून सिस्टम, प्रतिरोध तंत्र देता हुआ, सतत चुनौतियों के जरिये।


इसलिए चलते चलते, एक बार फिर आम जनता के लिए कुछ बातें, कोरोना से जुड़ी अफवाहों, सटीक उपचार, दवाई वाले विज्ञापनों पर बिलकुल ध्यान ना दें, अगर कोई दुविधा है भी, तो सरकार द्वारा स्थापित संस्था की मदद लें, नाकि इन बिकाऊ तंत्रों पर भरोसा करें। कहीं से भी अधिक जानकारी एकत्र करने का प्रयास ना करें, क्योंकि ये आपकी मानसिक स्थिति को और भी ज्यादा विचलित करेंगे, दूसरों को भी ऐसी सलाहें देने से पहले सोचें, क्योंकि सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता एक सी नहीं हो सकती, कुछ डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार भी हो सकते हैं, जितना संभव हो पसंदीदा संगीत सुनें, बच्चों के साथ गेम खेलें, परिवार के साथ बैठकर आने वाले दो से तीन वर्षों के लिए संचय, संयम और जरुरी काम कैसे होंगे, उसकी रुपरेखा बनाएं, अपने हाथों को नियमित अंतराल पर अच्छे से साबुन से धोएं, घर की साफ़सफाई भी करें, किसी भी नवआगंतुक को मिलना ही हो, तो मास्क पहनकर 1 मीटर दूर से मिलें, आपकी नकारात्मक सोचविचार की प्रवृति आपका और आपके परिजनों का न सिर्फ डिप्रेशन बढ़ाएगी, बल्कि वायरस से बीमारी से लड़ने की क्षमता भी कम करेगी। वहीँ दूसरी ओर सकारात्मक सोच आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी परिस्थिति से निकलने और बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाएगी, और सबसे जरुरी बात, बार बार गरम पेय पदार्थ, चाय, पीते रहें, हल्दी, नीम्बू, आंवला, तुलसी लेते रहें, रोज सुबह की धूप में व्यायाम जेसी इम्मूनवर्धक गतिविधियां जारी रखें, जो हम हर आर्टिकल में बार बार बता रहें हैं, बजुर्गों का विशेष ख्याल रखें, उन्हें घर में ही शांत, खुश और सुव्यवस्थित रखें और एक जरुरी बात, खुद पर विश्वास दृढ़ रखें कि ये समय भी शीघ्र ही निकल जाएगा।
मिलते हैं कल फिर, कुछ और बातों के साथ, तब तक जै जै रामजी की।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग


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