करोना काल 2.0, लॉक डाउन का सातवां दिन, ड्रेगन साबित होता ड्रेगन और विश्व की आगे की रणनीति

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सबसे पहले बात विश्व की, G 7 देशों के समूह, जिसमे कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन हैं, ने ना सिर्फ चीन को बुरी तरह नकार दिया है, बल्कि उसे सारे विश्व से अलग थलग भी कर दिया है, कोरोना के संक्रमण और उससे हुई मौतों से उद्वेलित देशों ने उसके खिलाफ वैश्विक स्तर पर जांच करने की भी घोषणा की है, जिसमे मुक़दमे कायम करने, नुकसान की भरपाई हेतु हर्जाने की मांग और चीनी मूल के लोगों का अपने अपने देशों से बहिष्कार शामिल है।

जहाँ जर्मनी ने 149 बिलियन यूरो का मुआवजा माँगा है, वहीँ ब्रिटेन की एक सोसायटी ने 6.5 ट्रिलियन डॉलर और अमेरिका ने 30 ट्रिलियन डॉलर के शुरूआती हर्जाने की मांग की है। सभी देश चीन को इस संकट का प्रत्यक्ष जिम्मेदार बता रहे हैं, वहीँ अमेरिका इससे भी आगे, चीन के यहाँ हुई मौतों के फर्जी आंकड़ों पर सवाल उठाकर, जांच और सजा का ब्रह्मनाद कर रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि ड्रेगन के रक्तपिपासा की आग भी अब ठंडी पड़ रही है, उसके प्रोजेक्ट्स ठप्प पड़े है, कंपनियां निकलने की फ़िराक में हैं, यहाँ तक की पाक के साथ उसका कुटिल उद्योग “BRI” भी अब संकट में है और भारत ने भी अपनी सशक्त सरकार की मजबूत नीतियों के चलते अपने यहाँ प्रोजेट्स लगाने हेतु खुले निमंत्रण वैश्विक बाजार को दे दिए हैं और साथ ही अपने देश की कंपनियों को इस आर्थिक संकट काल में बचाने हेतु FDI नियम भी कड़े कर दिये हैं जिसकी गूंज ना सिर्फ चीन और सम्पूर्ण विश्व को सुनाई दे रही है, अपितु देश में मौजूद गद्दारों, भ्रष्ट तंत्र, बिकाऊ मीडिया के कानों पर जोरदार नगाड़े भी बजा रही है।

और अब चलते चलते बात WHO प्रमुख की, जिनका कहना है कि सबसे ख़राब समय तो अब आने वाला है।
इस बात की गंभीरता और तह में जाने के लिए, हम फिर बात करेंगे चीन के षड्यंत्र की, क्लोरोकुइन गोली पर ट्रैम्प के अतिउत्साह की, बात दिशाहीन स्वास्थ्य तंत्र की और इस बीमारी की भयावहता की। हमने बहुत से माध्यमों से, मार्च के पहले हफ़्ते में ही चेताया था कि यह चीन द्वारा कृत्रिम रूप से निर्मित केमिकल हथियार है जो उसने पूर्णतः दुनिया को डराने और पैसा कमाने के लिए बनाया है और इसीलिए यह सिर्फ़ वुहान तक सिमटा रह कर भी हज़ारों हज़ार किमी दूर अमेरिका, इटली, ईरान तो पहुँच गया लेकिन चंद सौ किलोमीटर दूर बीजिंग और शंघाई नही पहुंचा? उसकी लेब में अभी और भी घातक वायरस हें, जिनकी संख्या पंद्रह सौ से भी अधिक बताई जा रही है और शायद इसीलिए चीन अपराधी होते हुए भी पूरी दुनिया को आँखें दिखा रहा है और यही कारण है कि ना सिर्फ़ अमेरिका बल्कि पूरा विश्व बौखलाया हुआ है।
सोचिए, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का WHO प्रमुख पर सीधा हमला और WHO की फ़ंडिंग रोकना तथा चीन के हाथों में खेलते WHO प्रमुख का आज का यह बयान वाक़ई बहुत बड़ी चेतावनी है मानव सभ्यता के लिए और सुना है कि बेलेंसिंग पॉवर के रूप में मशहूर किम (उत्तर कोरिया के तानाशाह) की भी तबियत बेहद नासाज़ है ?
अगर ऐसा है तो तय मानिए कि अगले दो साल दुनिया के लिए बेहद दुष्कर होने जा रहे हें।

तो कस लीजिये कमर और तैयार हो जाइये, क्यूंकि आप पर ही है अब, मानव सभ्यता को जीवित रखने का भार।
मिलते हैं कल तब तक जय रामजी की।

लेखक: डॉ भुवनेश्वर गर्ग आप भोपाल शहर में स्तित एक बड़े हस्पताल में जाने माने स्वस्थ विशेषज्ञ है।


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