प्रयागराज के सदर बाजार क्षेत्र के पम्प नंबर 4 के पार्क में रूके हैं 80 मजदूर, सरकार से वापस जाने के लिए मांग कर रहे है

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अरविंद कुमार
प्रयागराज के सदर बाजार क्षेत्र के पम्प नंबर 4 के पार्क में रूके हैं 80 मजदूर इनमें अधिकतर सोनभद्र जिले के हैं इनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं। ये सभी मजदूर ठेकेदार के अंतर्गत आर्मी चिकित्सालय और वहाँ की चारदिवारी करने के लिए लगे हुए थे। इन मजदूरों का कहना है कि 13 से 15 मार्च के आसपास ये सभी मजदूर यहाँ आए थे मगर कुछ ही दिन बाद अचानक कोरोना महामारी के कारण लाॅकडाउन हो गया और सभी निर्माण कार्य बंद हो गए । आने जाने के सभी साधन बंद हुए तो ये लोग यहीं पर फंसे रह गए, ऐसे में इनको ठेकेदार से भी थोड़ी बहुत मदद मिली और साथ ही प्रशासन ने भी इनके खानपान का ध्यान रखा हैं । कुछ सामाजिक संस्थाओ से भी इनको राहत सामग्री पहुँची हैं मगर अब यह मजदूर यहाँ रहना नहीं चाहते हैं इनका कहना हैं कि अब इनके पास पैसे बिलकुल भी नहीं हैं , इन्हीं मजदूरों में से एक सतीश का कहना हैं कि हम सभी को प्रतिदिन खाने में पूरी आदि तेलिय खाना मिलता है रोज तो पकवान भी नहीं खाया जा सकता, खाने में कोई बुराई नहीं हैं मगर खाने के अलावा भी कई चीजें चाहिए होती हैं इंसान को जैसे बच्चो के लिए दूध फल दवाई आदि जो पैसे से ही आती है वही पैसा अब हमारे पास नहीं हैं , गुप्ता प्रसाद कहते हैं की हम यहाँ फंसे है वहा घर पर हमारे परिजन परेशान है, हमारी कोई कमाई नहीं हो रही है तो हम घर पर भी पैसे नहीं भेज पाते ऐसे में हम अब घर जाना चाहते हैं मगर कोई साधन है नहीं । प्रशासन के लोगों से भी कई बार कहा मगर यहाँ से सोनभद्र जाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रहीं हैं। मजदूरों का कहना हैं कि अभी दो तीन दिन पहले इन मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण जरूर कराया गया है शासन की ओर से लेकिन यहाँ इनके सिर पर छत नहीं हैं खुले आसमान के नीचे रहते कई बार आवारा मवेशी भी परेशान करते हैं , ये मजदूर कहते है कि हम लोगों को खाने के साथ कुछ पैसों की भी आवश्यकता हैं जिससे कि हम अपने बच्चों को दवाई दूध इत्यादि चीजें लाकर दे सकें क्योंकि सिर्फ खाने से ही तो जीवन चलने वाला नहीं है कभी किसी का बीपी हाई हो जाता है ? कभी किसी को सिर में दर्द हो जाता है, किसी को उल्टी होती है ,किसी को दस्त लग जाता है , किसी के बच्चे को बुखार आ जाता है ,यहाँ पर रह रही एक बच्ची को अभी पीलिया भी हो गया था हालाकि इन लोगों का कहना कि अब वह बच्ची ठीक हैं मगर बिमारी संबंधी परेशानी तो कभी भी किसी को भी हो सकती है, ये लोग कहते हैं बगैर पैसे के प्रदेश मे कुछ नहीं होता हैं इसलिए हम प्रशासन से विनती करते हैं कि हमे हमारे घर भेजने का इंतजाम करा दे तो हम सरकार के आभारी रहेंगे ।


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