क्या अपको पता है भारत में कितने ज्योतिर्लिंग हैं ?

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ज्योति और लिंग मिलाकर ज्योतिर्लिंग बना। ज्योति का अर्थ है चमक और लिंग यानि शिवलिंग। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है जो शिवलिंग प्रकाशमान किरण का उत्सर्जन करती है। कहा जाता है कि ६४ ज्यातिर्लिंग हैं जिनमें से १२ बहुत प्रसिद्ध हैं। यह स्वयंभू शिवलिंग हैं यानि अपने आप उत्पन्न हुआ।

सोमनाथ
गुजरात के सोमनाथ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग सबसे पवित्रतम माना जाता है। परंपरा के अनुसार द्वादश तीर्थयात्रा पर सबसे पहले दर्शन यहीं किया जाता है। जब से चन्द्र देव ने इसे सोने का बनवाया था तब से इस पर सोलह बार हमला हुआ और नष्ट किया गया तथा उतनी बार इसे पुनः बनवाया गया।

मलिकार्जुना
यह आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है। श्रीसाइला अपने पुरातत्व के लिए प्रसिद्ध है। मलिकार्जुना कृष्णा नदी पर स्थित पर्वत के ऊपर बना है। इसे श्रीसाइला के नाम से भी जाना जाता है। यही वह पवित्र स्थल है जहां आदि शंकराचार्या ने शिवानन्दलहरी लिखा था।

महाकालेश्वर
महाकाल शिवलिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यहां के शिवलिंग का मुख दक्षिण की तरफ है और गर्भगृह के छत पर श्रीयंत्र अंकित है।

ओमकारेश्वर
यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में है। नर्मदा नदी पर मन्धाता अथवा शिवपुरी द्वीप पर स्थित ओमकारेश्वर ओमकार एवं अमरेश्वर नामक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह द्वीप ओम की शक्ल में बने हैं।

केदारनाथ
केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित है। यह गढ़वाल हिमालय पर्वत माला का सबसे प्रसिद्ध शिवलिंग है। यह मंदाकिनी नदी के निकट है। केदारनाथ मंदिर अक्सर बर्फ से ढ़का रहता है। केदारनाथ तक जाने के लिए ऊबड़ खाबड़ इलाकों को कठोर मौसम में पैदल पार करना पड़ता है। केदारनाथ के दर्शन करने हों तो पैदल चलकर ही जाना पड़ेगा।

भीमाशंकर
ज्यादातर लोग मानते हैं कि भीमाशंकर लिंग महाराष्ट्र में पुणे के निकट स्थित है। भीमाशंकर लिंग असल में कहां पर स्थित है यह विवाद का विषय है। शिवपुराण के अनुसार भीमाशंकर मंदिर असम में गुवाहाटी के निकट स्थित है। लिंग पुराण के अनुसार भीमशंकर मंदिर ओडिशा के भीमपुर में स्थित है।

काशी विश्वनाथ
यहां का ज्यातिर्लिंग सबसे पवित्र माना जाता है। काशी विश्वनाथ का मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित है। यहां के देवता को विश्वनाथ या ब्रह्यांड के राजा कहा जाता है। वाराणसी को काशी या बनारस भी कहते हैं। कहते हैं कि बनारस सबसे पुराना रहने वाला शहर है जिसका लिखित प्रमाण ३५॰॰ साल पुराना है।

त्रिम्बकेश्वर
त्रिम्बकेश्वर महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। त्रिम्बकेश्वर अपने तीन मुख वाले लिंग के लिए प्रसिद्ध है। लिंग के तीन मुख त्रिदेव ब्रह्या, विष्णु एवं महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। पानी के अत्यधिक प्रयोग से लिंग का आकार छोटा होता जा रहा है। लिंग के इस क्षय को सांकेतिक माना जाता है। इसका अर्थ है कि बीतते समय के साथ जीवन खत्म हो जाता है।

बैद्यनाथ
यह झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां भी आंध्र प्रदेश के मलिकार्जुन की तरह शिवलिंग के साथ शक्ति पीठ भी है अर्थात मां पार्वती भी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यही हिमाचल प्रदेश का बैजनाथ है, तो कुछ इसे महाराष्ट्र का परली वैजनाथ मानते हैं।

नागेश्वर
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी गुजरात में है। किन्तु महाराष्ट्र और उत्तराखंड दावा करते हैं कि यह ज्यातिर्लिंग उनके यहां है। शिव पुराण के अनुसार नागेश्वर दारूकावन में था और यह वन उत्तराखंड में है और गुजरात के द्वारका क्षेत्र में वन का कोई चिन्ह नहीं मिलता है। फिर भी नागेश्वर के लिए लोगों की पहली पसंद गुजरात ही है।

रामेश्वरम
रामेश्वरम दक्षिण भारत में स्थित है। माना जाता है कि रावण से युद्ध के पश्चात श्री राम यहां पर युद्ध में किए गए अपने पापों के लिए भगवान शिव से माफी मांगने आए थे। यह मंदिर उन चार पवित्र स्थलों में से है जिनके दर्शन करना कोई भी हिंदू एक बार अपने जीवन काल में अवश्य चाहेगा।

घृष्नेश्वर
यह महाराष्ट्र में इलोरा में औरंगाबाद के निकट स्थित है। मुगल मराठा टकराव के दौरान कई बार नष्ट हुआ। १६वीं सदी में शिवाजी के दादाजी वेरूल के मालोजी भोंसले ने इसका पुनर्निमाण कराया एवं १८वीं सदी में अहिल्या बाई होल्कर ने। यहां के मंहिर के गर्भगृह तक कोई भी जा सकता है लेकिन पुरूषों को शर्ट, कुर्ता या बनियान कुछ भी पहनकर जाने की इजाजत नहीं है।


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