जिंदगी क्या है ?

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संतोष श्रीवास्तव।

जिंदगी क्या है- एक बार समुद्र के किनारे एक लहर आई और एक बच्चे की चप्पल को अपने साथ बहा ले गई बच्चे ने रेत पर उंगली से लिखा,
समुंद्र चोर है
उसी समुंदर के दूसरे किनारे पर कुछ मछुआरों ने खूब सारी मछली पकड़ी और एक मछुआरे ने रेत पर लिखा
समुंद्र मेरा पालनहार है
एक युवक समुद्र में डूब कर मर गया तो उसकी पत्नी ने रेत पर लिखा
समुंद्र हत्यारा है
वही एक किनारे पर एक भिखारी रेत पर टहल रहा था उसे लहर के साथ तैर कर आया एक मोती मिला उसने रेत पर लिखा
समुंद्र दानी है
अचानक एक बड़ी लहर आई और सारे लिखे को मिटा कर चली गई, लोग समुंद्र के बारे में कुछ भी कहे, लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है अपना क्रोध और शांति अपने हिसाब से तय करता है।
अगर विशाल समुद्र बनना है। तो किसी के निर्णय पर ध्यान ना दें, जो करना है अपने हिसाब से करें, जो गुजर गया उसकी चिंता में ना रहे, हार जीत, सुख दुख, खोना पाना इन सबके चलते मन विचलित ना करें।
अगर जिंदगी सुख और शांति से भरी होती, तो इंसान जन्म लेते समय रोता नहीं, जन्म के समय रोना और मरकर रुलाना इसी के बीच के संघर्ष भरे समय को जिंदगी कहते हैं। कुछ जरूरतें पूरी, तो कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
इसी का नाम है जिंदगी

लेखक “जयहिंद नेशनल पार्टी” के प्रवक्ता है।


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