जानकारी नहीं समझदारी से होगा भविष्य का समाधान
वर्तमान युग, सूचना की जानकारी का युग माना जाता है। पल पल में खबर दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाती है। इस समय जबकि कोरोनावायरस के चलते दुनिया का अधिकांश भाग लॉक डाउन है और दिन-रात सोशल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया पर कोरोना से संबंधित जानकारी एकत्रित करके परेशानी बढ़ा रहा है लेकिन जो लोग जानकारी की बजाए समझदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं वे तनाव रहित लॉक डाउन का समय निकाल रहे हे।
दरअसल किसी भी विषय की जानकारी और उसकी समझदारी में बड़ा अंतर होता है। जो भी बातें होती हैं उनमें से अधिकांश प्राय सबके भीतर होती है, लेकिन कुछ लोग इसे समझते हैं और कुछ लोगों को समझाना पड़ता है और जब बात समझ में आ जाती है तब वह स्वयं कहता है की जिस बात को मैं जानता था उसे समझने भी लगा।
कोरोना महामारी के चलते भी जानकारी और समझदारी का अंतर अनेक जगहों पर देखने को मिला कुछ लोग इस महामारी की भयावहता की जानकारी से ही परेशान हो गए यहां तक कि आत्महत्या तक कर ले लेकिन जिन्होंने समझदारी से काम लिया वे परिवार के परिवार अस्पताल से इलाज करा कर वापस घर आ कर पहले जैसा सामान्य जीवन जीने लगे है। सोचो यदि सभी लोग समझदारी का जीवन जीते तो फिर पुलिस को सड़क पर दिन रात नहीं बिताना पड़ता। पुलिस को लाठिया नहीं भांजना पड़ता और सरकार को भी लॉक डाउन का बार-बार समय नहीं बढ़ाना पड़ता।
बहरहाल लॉक डाउन के चलते मन को समाज और परंपरा से ऐसा स्वभाव मिल गया है कि आगे के लिए वह समस्याओं के लिए शायद बहाना नहीं बनाएगा क्योंकि कुछ लोग अक्सर यही कहते हैं की अगर मुझे अमुक सुविधाएं मिलती तो मैं ऐसा करता। इस प्रकार की कोरी कल्पना है गढ़ने वाले आत्म प्रवचना किया करते हैं। अब समझ में आ गया होगा की भाग्य दूसरों के सहारे विकसित नहीं होता आपका आभार ढोने के लिए आपको ही संघर्ष करना पड़ा। अपने आप को असमर्थ अशक्त और असहाय समझने वाले लोगों ने भी साधनों के अभाव में इस दौरान जीवन को आगे बढ़ाया जिन लोगों की यह कमजोरी थी या जिन्हें स्वयं अपने ऊपर विश्वास नहीं था वे दूसरों को धनवान और शान शौकत से रहते उन्हें सुखी समझते थे लेकिन इस दौरान सभी की स्थिति एक सी हो गई सभी घरों के अंदर सिमट गए जो लक्षण या विशेषताएं हम दूसरों में देखते हैं वे यदि स्वयं में देखने लगे तो फिर जानकारी से ज्यादा समझदारी बढ़ेगी और जब समझदारी आएगी तब हर समस्या का समाधान भी अंदर से ही निकलने लगेगा। उसके लिए जरूरी है कि हम सारी चालाकी छोड़ें मन के विकारों को समझें और पहले अपने को ही सामने लाएं हर बात को आजमाने के पहले अपने को कसौटी पर कसें फिर बातें भी सही मायने में समझ में आ जाएंगी और उनसे हम मुक्त भी हो जाएंगे।
बजाए समझदारी बढ़ाई जाए क्योंकि यह समस्या एक-दो दिन की नहीं है अब बरसों तक समझदारी पूर्वक जीवन जीना पड़ेगा क्योंकि जिन बातों के लिए समाज और प्रबुद्ध वर्ग समझाता रहा हमने उस पर ध्यान नहीं दिया और बड़े-बड़े आयोजनों के माध्यम से अपने अस्तित्व का भान कराते रहे। मसलन कई बार यह आवाज विभिन्न समाजों में उठी की भारी भरकम मृत्यु भोज बंद होना चाहिए लेकिन बहुत सीमित जगह छोड़कर बाकी जगह ऐसा नहीं हो पाया। यह भी आवाज बार-बार उठी की रात की वजह दिन की शादियां और खर्चीली शादियां ना हो कुल मिलाकर विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संबंध में जो भी जरूरी जानकारियां थी अब लगभग सभी के पास पहुंच चुकी हैं।
अब जो जानकारी आ रही है वे केवल आंकड़ों की है जोकि कमजोर आत्मबल वालों को तनाव भी बढ़ा सकती हैं इसलिए अब जरूरी है जानकारी की लेकिन शादियों में आडंबर दिखाने की जैसे होड़ चल रही थी इसी तरह नशाबंदी के लिए भी आवाजें उठती रही लेकिन इसके विपरीत विभिन्न प्रकार के नशा तेजी से समाज में बढ़ते रहे। लेकिन अब कोरोना महामारी के बाद शायद इन सब बातों को मानने की मजबूरी हो गई है मजबूरी में ही सही समझदारी बढ़ेगी और जब समझदारी बढ़ेगी तो समस्याओं का समाधान भी आसान होगा।
