पाप मोचनी एकादशी का महत्व
संसार में कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं है जिसने कभी कोई पाप न किया हो। शास्त्र भी यही कहते हंै। अनेक पाप ऐसे हैं जो हमसे अनजाने में होता है। ईश्वरीय विधान के अनुसार पाप मोचनी एकादशी का व्रत करने से हम पाप के दंड से बच सकते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार एकादशी तिथि को विष्णु का दिन मानते हैं। इस दिन जगत के स्वामी श्री हरि विष्णु की पूजा करने वह बहुत संतुष्ट होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों का निवारण भी करते हैं। भगवान एकादशी व्रत के अनुष्ठान से जितना खुश होते हैं उतना संतोष तो उन्हें बड़े बड़े यज्ञ अनुष्ठान से भी नहीं मिलता।
एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करें और व्रत का संकल्प करें। संकल्प के पश्चात षोडषोपचार सहित जगत स्वामी श्री हरि विष्णु की पूजा करें। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के चतर्भुज रूप की पूजा होती है। व्रती को दशमी तिथि पर सात्विक भोजन लेना चाहिए। भगवान विष्णु का स्मरण करें और मन से भोग विलास की भावना त्यागें। भगवान के सामने बैठकर भगवद कथा का पाठ करें अथवा सुनें।
इस एकादशी यानि पाप मोचनी एकादशी पर व्रत करने से बहुत पुण्य मिलता है। पदम् पुराण के अनुसार पाप मोचनी एकादशी का व्रत सारे पाप धो देता है। ब्रह्म हत्या, सोने की चोरी, मदिरापान, गुरूपत्नी गमन जैसे महापाप भी इस व्रत से दूर किए जा सकते हैं। परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि वर्ष भर आप जान बूझ कर पाप करेंगे और पाप मोचनी एकादशी पर उसे धोने के लिए व्रत करेंगे। इस एकादशी तिथि पर रात्रि जागरण का बहुत महत्व है और इस व्रत को करने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। आज ७ अप्रैल को पाप मोचनी एकादशी है।