,,,भगवान का सहारा लोगे तो संसार के समस्त बंधनों से छुटकारा मिल जाएगा है ,,,

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वृन्दावन नगर वृंदावन वार्ड सागर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस के कथा में पंडित देवव्रत जी शास्त्री ने बताया कि भगवान कृष्ण का कारागार में जन्म हुआ। भगवान कृष्ण ने कहा वसुदेव जी से आप हमें गोकुल छोड़ आओ जैसे ही वसुदेव जी ने भगवान का सहारा लिया भगवान को अपने सिर पर धारण किया तुरंत वसुदेव की हथकड़ियां बेड़ियां खुल गई, सैनिक पहरेदार सो गए कहने का तात्पर्य है इस जीवन में भी हम यदि भगवान का सहारा लेते हैं तो हम भी संसार के समस्त बंधनों से छूट जाएंगे और इसके बाद महराज श्री ने बताया कि भगवान गोकुल क्यों गए गोकुल में जाने का कारण जहां गौं का कुल होता है वह उसे गोकुल कहा जाता है भगवान को गाय बहुत प्रिय है ।गोकुल से वृंदावन पहुंचे वृंदावन जहां भक्तों का समूह को जहां भक्ति महारानी का साम्राज्य इसलिए भगवान गोकुल से वृंदावन पहुंचे और भगवान ने अनेक ब्रज में लीलाएं की । वृंदावन भक्ति का स्थान है यहां पर हमेशा भक्ति निवास करते हैं ऐसे धाम में जाकर जहां आनंद की सुख की प्राप्ति होती है। महाराज श्री ने आजकल संस्कार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम लोग हिंदू होकर भी अपने हिंदुत्व को छोड़ रहे हैं। अपनी संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं और जो विदेशी लोग हुआ करते हैं विदेशी लोगों का रहन सहन ठीक नहीं, खाना-पीना ठीक नहीं, जो धर्म जानते ही नहीं थे और आज वही सनातन धर्म को लोग अपना रहे हैं और आज भी आप देखेंगे कि वृंदावन में, अयोध्या काशी में, हजारों लाखों की तादात में विदेशी लोग हिंदू धर्म को अपना कर आनंद की अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं। हम लोग शिखा, तिलक पूजन पाठ छोड़ते जा रहे हैं और विदेशी लोग अपनाते जा रहे हैं क्योंकि उसमें उनको आनंद की प्राप्ति हो चुकी है और सत्यता को जान चुके हैं, इसी के साथ, भगवान ने माखन चोरी लीला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान ने माखन चोरी इसलिए की कि गोपियों का जो भाव वह मक्खन जैसा था तो माखन चुराते चुराते भगवान गोपियों के उस भाव को भी देखना चाहते थे और गोपियां चाहते थे कि भगवान कृष्ण हमारे घर आए मक्खन के बहाने भगवान घर आते थे और दूसरा कारण यह भी बताया की बृज की गोपियां मथुरा में मक्खन बेचने जाया करती थी ग्वालों को मक्खन खाने के लिए नहीं मिलता था इसलिए भगवान ने माखन चोरी लीला करके बताना चाहा की गोपियों तुम पूरा का पूरा मक्खन चाहती हो ग्वाल बालों के लिए हम लोगों के लिए मक्खन नहीं मिल पाता है। इस शिक्षा को प्रदान किया कालिया नाग की कथा को श्रवण कराते हुए कहा कि गोवर्धन चरित्र की कथा श्रवण कराई भगवान ने सात वर्ष की उम्र में सात कोस के गोवर्धन पर्वत को सात दिन सात रात तक उठाया ब्रिज वासियों की रक्षा करने के लिए और इंद्र ने मेघ की वर्षा की इंद्र को अविमान हो गया था। बाद में जब इंद्र को पता चला यह भगवान की लीला है तो भगवान से क्षमा याचना मांगी इंद्र ने दस श्लोंक में तो भगवान ने इंद्र को क्षमा कर दिया और इससे पहले ब्रह्मा जी ने ग्वाल बैल और बछड़ों को चुराया था भगवान ने ब्रह्मा को क्षमा नहीं किया 40 स्लोक में क्योंकि ब्रह्मा ने ग्वाल वालों को और गौ को भगवान से दूर रखा 1 वर्ष तक इसलिए इन्हें क्षमा नहीं किया लेकिन इंद्र पद में छोटे थे फिर भी भगवान इंद्र को छमा इसलिए किया गलती तो की थी लेकिन इंद्र की एक गलती में भी एक अच्छाई थी कि भगवान को जो ग्वाल ओर गौ अति प्रिय हैं एक ऐसा संयोग बना उस समय कि सात दिन तक उन्हें भगवान के पास बृजवासी एक साथ रहे तो भगवान ने कहा तुमने भक्तों को जोड़ने का कार्य किया है और ब्रह्मा ने बिछुड़ने का काम किया है इसलिए भगवान वचन है जो भी इस दुनिया में मेरे भक्तों के साथ छेड़छाड़ करेगा मेरे भक्तों के साथ अपराध करेगा। मैं उसे कभी क्षमा नहीं करूंगा भगवान कहते हैं हमसे अपराध कर लो हम तुम्हें क्षमा कर देंगे हमारी शरण में आ जाना लेकिन हमारे भक्तों से यदि अपराध करोगे तो हम उसे माफ नहीं कर पाएंगे। उसे क्षमा नहीं कर पाएंगे इसी के साथ गोवर्धन परिक्रमा का महत्व भी महाराज जी ने बताया। आज प्रत्यक्ष देव गोवर्धन नाथ है इनकी परिक्रमा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है, यह कथा शिवरात्रि के पावन पर्व पर हो रही है और 5 तारीख तक कथा चलेगी सार्वजनिक कथा का आयोजन महिला मंडल एवं समस्त नगर वासियों के सहयोग से किया जा रहा है। आप सभी श्रद्धालुओं से निवेदन है कथा में अधिक से अधिक संख्या में पधार कर अपने जीवन को कृतार्थ करें कथा 3: बजे से शाम 6:00 बजे तक आयोजन होता है 6 तारीख को भंडारा होगा जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।


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