“कर्म को यदि धर्म से जोड़ दिया जाए तो जीव का कल्याण हो जाएगा” देवब्रत जी शास्त्री

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देवदत्त दुबे।

वृंदावन वार्ड वृंदावन नगर में शंकर जी के मंदिर के पास चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस में कहा कि आज के समय युवा पीढ़ी संस्कारों को त्याग दी जा रही है महाराज श्री ने बताया कि लोग कर्म तो बहुत करते हैं लेकिन कृपा नहीं होती परमात्मा की, कहा कि यदि कर्म को धर्म से जोड़ा जाए तो निश्चित ही परमात्मा की कृपा होगी धर्म कि जो रक्षा करता है धर्म के मार्ग पर जो चलता है उसकी रक्षा धर्म स्वयं करता है धर्मों रक्षति रक्षिता और बिगड़े हुए काम बनेंगे आजकल लोग प्रणाम करना भूल गए अभिवादन करना बड़ों का सम्मान करना भूल गए बड़ों के सम्मान करन से प्रणाम करने से चार चीजें प्राप्त होती हैं आयु, विद्या, यश और बल, की प्राप्ति होती है महाराज जी ने रास पंचाध्याई की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि जीव और ब्रह्म का एक होना ही रास है इंद्रियों का समर्पण ही जीव को और ब्रह्म को एक करते हैं गोपी उद्धव संवाद सुनाते हुए कहा कि ज्ञान// उद्धव/ ईश्वर के समीप रहते हुए भी ईश्वर को नहीं पहचान पाया परंतु भक्ति रूपी गोपियां सांसारिक दृष्टि से दूर होते हुए भी ब्रह्मा को जानती थी और उन्हें प्राप्त किया उन्होंने क्योंकि बृज की भूमि भक्ति की भूमि है ब्रज में भक्ति का ही साम्राज्य है ब्रिज की रज में कण कण में भी देवताओं का वास है भगवान का वचन है जैसे एक मां अबोध बालक को अपने गोद में लेकर उसका लालन पालन करती है और जब वही बालक बड़ा हो जाता है तो मां उसे स्वतंत्र छोड़ देती है ऐसे ही भगवान का वचन है कि जो भक्ति है वह मेरे लिए अबोधबालक की तरह है मैं उसकी रक्षा करता हूं उसका लालन-पालन करता हूं और जो ज्ञान रूपी है एक बड़े बालक की तरह है जो स्वतंत्र होता है कहने का तात्पर्य ज्ञानी को भगवान की प्राप्ति हो ना हो लेकिन भक्ति का मार्ग भगवान को प्राप्त जरूर करा देता है इसके बाद महाराज श्री ने कथा के अन्य चरित्र को श्रवण कराते हुए अंतिम में रुक्मणी और कृष्ण के विवाह की कथा श्रवण कराई भगवान रुकमणी के साथ इसलिए विवाह किया क्योंकि रुकमणी प्रण था कि हम विवाह करेंगे तो भगवान कृष्ण से करेंगे अन्यथा हम विवाह नहीं करेंगे क्योंकि यह सांसारिक पति हैं सांसारिक पति को एक दिन नष्ट हो जाना है लेकिन जगतपति को प्राप्त करना चाहा और और भगवान ने उनका मनोरथ पूर्ण किया इसके बाद 16108 भगवान ने विवाह किए,,,यह सोलह हजार एक सो आठ स्त्री 16000 उपासना कांड के मंत्र हैं 100 प्रकार की उपनिषद है और 8 प्रकार की प्रकृति है इसलिए भगवान ने इतने विवाह किए ह अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे,,, कल कथा का विश्राम दिवस है आप सभी नगरवासी सादर आमंत्रित है,,,


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